धर्मांतरण और महिला तस्करी मामले में NIA कोर्ट ने ननों को लेकर सुनाया ये फैसला- पढ़ें पूरी कहानी
छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार हुई दो नन के मामले में कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. इन पर आरोप था कि वह 3 आदिवासी लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाकर उनकी तस्करी कर रही थी. यह मामला बजरंग दल ने उठाया था, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था.

केरल की दो नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिसके साथ ही सुखमन मंडावी नाम के एक व्यक्ति को छत्तीसगढ़ पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. इन पर यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने नारायणपुर की तीन महिलाओं का जबरन धर्म बदलवाने की कोशिश की और फिर उन्हें बाहर ले जाकर तस्करी करने की योजना में शामिल थे.
अब इस मामले में छत्तीसगढ़ की एक विशेष एनआईए अदालत ने तीनों को सशर्त ज़मानत दे दी है. हालांकि, अदालत ने उनकी ज़मानत पर कुछ शर्तें लगाईं हैं, जिनमें पासपोर्ट जमा करना और मुचलका भरना शामिल है..
आरोप और बचाव पक्ष की दलीलें
इस मामले की शिकायत बजरंग दल के एक स्थानीय नेता ने की थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि ये तीनों लोग आदिवासी लड़कियों को बाहर ले जाकर तस्करी कर रहे थे और जबरन धर्म परिवर्तन भी करवा रहे थे. लेकिन ननों के वकील अमृतो दास ने कोर्ट में कहा कि ये सारे आरोप बिलकुल बेबुनियाद हैं. वकील ने बताया कि लड़कियों के माता-पिता ने खुद कहा है कि उनकी बेटियां कई सालों से ईसाई धर्म मान रही हैं और वे वयस्क हैं. लड़कियां अपनी इच्छा से काम के लिए आगरा जा रही थीं, किसी ने उन्हें मजबूर नहीं किया. इसलिए न तो धर्म परिवर्तन जबरन था और न ही कोई तस्करी हुई.
दबाव में दिया था बयान
दो दिन पहले द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस मामले में शामिल तीन में से एक लड़की ने एक बयान दिया. उसने कहा कि मुझसे दबाव डालकर बयान लिया गया, मैंने जो कहा वो मेरी मर्ज़ी से नहीं था. इसके बाद से मामले ने और तूल पकड़ा और लोग सवाल पूछने लगे कि क्या सच में धर्मांतरण और तस्करी हो रही थी? या फिर ये झूठे आरोपों की एक कहानी थी, जो किसी साज़िश के तहत गढ़ी गई.
अदालत का फैसला और आगे की कार्रवाई
दुर्ग की स्थानीय अदालत ने इस मामले को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर मानते हुए इसे बिलासपुर स्थित एनआईए अदालत को भेज दिया था. अब एनआईए की अदालत ने तीनों को सशर्त ज़मानत दे दी है. इन पर लगी कई शर्तों को पूरा करना होगा, तभी वे बाहर रह सकेंगे.