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सड़क पर केक, गाड़ी पर नीली बत्ती और कानून की उड़ती धज्जियां! DSP की पत्नी के बर्थडे सेलिब्रेशन पर HC ने CS से मांगा हलफनामा

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अंबिकापुर में DSP की पत्नी द्वारा नीली बत्ती लगी निजी कार पर बर्थडे सेलिब्रेशन और सड़क जाम की घटना पर सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है. कोर्ट ने FIR में 'अज्ञात ड्राइवर' के उल्लेख को अस्वीकार्य बताया, जबकि वीडियो में शामिल लोग स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे. यह मामला पहले भी कोर्ट के संज्ञान में आ चुका है, और बार-बार निर्देशों के बावजूद ऐसी घटनाओं के दोहराव पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है.

सड़क पर केक, गाड़ी पर नीली बत्ती और कानून की उड़ती धज्जियां! DSP की पत्नी के बर्थडे सेलिब्रेशन पर HC ने CS से मांगा हलफनामा
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( Image Source:  Social Media )

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सार्वजनिक सड़कों पर बर्थडे पार्टी और ट्रैफिक जाम जैसी घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव से पूछा है कि पहले दिए गए कोर्ट के निर्देशों के बावजूद ऐसी घटनाएं क्यों नहीं रुकीं. कोर्ट ने मुख्य सचिव को इस पर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.

यह आदेश एक स्वतः संज्ञान जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान आया, जो एक वायरल वीडियो के आधार पर दायर की गई थी. वीडियो में एक DSP की पत्नी को नीली बत्ती लगी XUV700 कार के बोनट पर केक काटते हुए देखा गया था, जबकि अन्य महिलाएं खिड़कियों और सनरूफ से बाहर लटक रही थीं. यह घटना अंबिकापुर के पास एक होटल के बाहर की बताई जा रही है.


FIR में 'अज्ञात ड्राइवर' का जिक्र, कोर्ट ने जताई नाराजगी

कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि जब वीडियो में DSP की पत्नी और अन्य लोग स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं, तब FIR में 'अज्ञात ड्राइवर' के खिलाफ मामला क्यों दर्ज किया गया. कोर्ट ने पुलिस की जांच को 'अस्वीकार्य' बताया और सवाल किया कि आखिर निजी वाहन पर नीली बत्ती कैसे लगी थी और इसके लिए कौन जिम्मेदार है.


पहले भी हुई थीं ऐसी घटनाएं, कोर्ट ने दिए थे निर्देश

जनवरी 2025 में एक अन्य सड़क बंदी के मामले पर भी हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि कानून के उल्लंघन पर न केवल मोटर वाहन अधिनियम के तहत, बल्कि भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत भी कार्रवाई की जाए. बावजूद इसके, कोर्ट ने फरवरी और मार्च 2025 में भी ऐसी घटनाओं को होते देखा.


कई बार जारी हुए निर्देश, फिर भी नहीं थमीं घटनाएं

28 फरवरी को पुलिस महानिदेशक ने एक सर्कुलर जारी किया जिसमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, अवैध सड़क जाम और ट्रैफिक बाधाओं को रोकने के निर्देश दिए गए थे. 20 मार्च को एक और सर्कुलर जारी कर परिवहन विभाग और पुलिस के बीच समन्वय, रोड सेफ्टी अभियान और दोषियों के लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया का निर्देश दिया गया. फिर भी इसी तरह की घटना सामने आई, जिससे नाराज होकर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है.


हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि इस तरह की घटनाएं 'लोक व्यवस्था और कानून-व्यवस्था' के लिए खतरा हैं, और अब प्रशासनिक शीर्ष अधिकारियों से व्यक्तिगत जवाबदेही तय की जाएगी. अगली सुनवाई में कोर्ट मुख्य सचिव और DGP से विस्तृत योजना और कार्रवाई रिपोर्ट की मांग करेगा.

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