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अदालत ने दिया रिहाई का आदेश, अधिकारियों ने लगाया UAPA और कर लिया गिरफ्तार; अब SC ने मांगा जवाब

छत्तीसगढ़ के एक मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई. जिसमें अधिकारी ने अदालत के आदेशों का पालन नहीं किया था. इस सुनवाई में अदालत ने अधिकारियों को लताड़ लगाई है. साथ ही 28 फरवरी को पेश होकर जवाब मांगा है. अदालत का कहना है कि जब हमने याचिकाकर्ता को रिहा करने का आदेश दिया था फिर कैसे UAPA लगाकर गिरफ्तारी की गई.

अदालत ने दिया रिहाई का आदेश, अधिकारियों ने लगाया UAPA और कर लिया गिरफ्तार; अब SC ने मांगा जवाब
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( Image Source:  ANI )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Published on: 17 Feb 2025 4:33 PM

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले का एक मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. इस मामले पर पहले भी सुनवाई हो चुकी है. दरअसल कोर्ट में एक शख्स मनीष राठौर के खिलाफ बीएनएस की धारा 506 के तहत मामला दर्ज किया गया था. इस मामले में कोर्ट ने व्यक्ति की रिहाई का आदेश दिया था. लेकिन छत्तिसगढ़ जिला प्रशासन ने अदालत के इस आदेश का पालन नहीं किया और शख्स पर UAPA लगाकर उसे हिरासत में ले लिया.

उस अधिकारी को पेश करो

इसी मामले पर सोमवार 17 फरवरी को एक बार फिर से सुनवाई हुई. जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की. उन्होंने कहा कि उस अधिकारी को पेश किया जाए जिसने 'मनीष राठौर' को रिहाई देने के बजाए उसे गिरफ्तार कर लिया. मनीष के वकील ने अदालत को बताया कि सिर्फ उसको गिरप्तार नहीं किया गया बल्कि उसे पूरे शहर में भी घुमाया गया. वकील ने बताया कि सबूत के तौर पर उसके पास इस घटना की तस्वीरें भी हैं.

कैसे लगा दिया UAPA?

अब इस मामले पर जस्टिस ओका ने प्रशासन पर गुस्सा निकाला और कहा कि जब ये मामला आईपीसी के धारा 506 से जुड़ा है, तो फिर अफसर कैसे UAPA लगा सकता है? अदालत ने कहा कि इस मामले में हमने 2 जनवरी 2025 को सुनवाई की थी. हमने याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी से बचाने के लिए आदेश पारित किया था. फिर इस पर कैसे UAPA लगाया गया. पुलिस ने इस मामले में SDPO को नोटिस जारी किया है. साथ ही 28 फरवरी तक कोर्ट में हाजिर होने का आदेश भी जारी किया है. अदालत में पेश होकर इस कार्रवाई पर सफाई देने को कहा गया है.

सुप्रीम कोर्ट से मिल गई थी जमानत

दरअसल भारतीय दंड संहिता की धारा 506 बी के तहत शख्स के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन अदालत ने जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी कर दिया था. लेकिन इसपर जिला अधिकारी SDO और SHO ने इस आदेश का पालन नहीं किया और मनीष पर UAPA लगाकर कार्रवाई की उसे गिरफ्तार कर लिया गया. जब इस मामले पर फिर सुनवाई हुई तो अदालत ने अधिकारियों को फटकार लगाई है.

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