शराब घोटाला मामले में उलझे पिता-पुत्र! नहीं मिली भूपेश बघेल के बेटे को 'सुप्रीम' राहत- जानें अब आगे क्या
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को शराब घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के दायरे में आए चैतन्य की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया. इससे बघेल परिवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. मामला कथित शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है, जिसमें करोड़ों रुपये के लेन-देन की जांच चल रही है. अब ईडी की कार्रवाई तेज होने की संभावना है.

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में सुप्रीम कोर्ट से आंशिक राहत मिली है. 8 अगस्त 2025, सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिया कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट पिता-पुत्र की याचिकाओं पर त्वरित और प्राथमिकता के साथ सुनवाई करे. ये याचिकाएं प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच और संभावित गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग को लेकर दायर की गई हैं.
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने यह कहते हुए सीधे राहत देने से इनकार कर दिया कि पहले याचिकाकर्ताओं को राज्य के हाईकोर्ट का रुख करना चाहिए. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी साफ किया कि यदि संवैधानिक मुद्दों को लेकर कोई आपत्ति है, तो अलग याचिका दाखिल की जा सकती है, जिसकी अगली सुनवाई 6 अगस्त 2025 को होगी.
शराब घोटाले में बघेल परिवार पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दर्ज मामले में भूपेश बघेल और उनके बेटे पर आरोप है कि वे एक व्यवस्थित आपराधिक साजिश में शामिल रहे, जिसके तहत छत्तीसगढ़ में हजारों करोड़ रुपये का शराब व्यापार से जुड़ा लेन-देन किया गया. ईडी ने दावा किया है कि इस घोटाले में सरकारी अधिकारियों, कारोबारियों और राजनीतिक हस्तियों की मिलीभगत सामने आई है.
PMLA के प्रावधानों को दी गई चुनौती
भूपेश बघेल और उनके बेटे ने इस मामले में प्रवर्तन निदान अधिनियम (PMLA) के उन प्रावधानों को भी चुनौती दी है जो ईडी को जांच, गिरफ्तारी और संपत्ति जब्ती जैसे शक्तिशाली अधिकार प्रदान करते हैं. उन्होंने इन प्रावधानों की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. हालांकि अदालत ने कहा कि इस याचिका को अलग से दर्ज कर उसकी संवैधानिक सुनवाई की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इस मामले में अगली तारीख 6 अगस्त 2025 निर्धारित की गई है.
'इस स्तर पर हस्तक्षेप नहीं', सुप्रीम कोर्ट की दो टूक
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि 'हम इस स्तर पर व्यक्तिगत राहत के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. उचित होगा कि याचिकाकर्ता पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का रुख करें, जो मामले की तात्कालिकता को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय ले. भूपेश बघेल का कहना है कि उनके खिलाफ कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है. कांग्रेस पार्टी इसे सत्ता गंवाने के बाद केंद्र सरकार द्वारा ईडी के दुरुपयोग का उदाहरण बता रही है. वहीं, भाजपा और जांच एजेंसियों का दावा है कि पूरी जांच कानून के तहत और साक्ष्यों के आधार पर की जा रही है.