बस्तर के 29 गांवों में पहली बार फहराया गया तिरंगा, नक्सलियों से आजाद हुए लोग; गृहमंत्री की क्या रही भूमिका?
Bastar News: छत्तीसगढ़ में आज 29 गांव ऐसे हैं जो आजादी के बाद पहली बार स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं. इस जगह नक्सलियों के खौफ में लोग जी रहे थे. अब वहां आजादी का पर्व मनाया जा रहा है. सरकार मार्च 2026 तक राज्य को नक्सलवाद से मुक्त करने की ठोस रणनीति तैयार कर रही है.

Independence Day Celebration In Bastar: भारत आज अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. आज ही के दिन 15 अगस्त, 1947 को भारत को अंग्रेजी हुकमत से आजादी मिली थी. इस बार का राष्ट्रीय दिवस छत्तीसगढ़ के लिए बेहद खास है. क्योंकि नक्सलियों का गढ़ कहने जाने वाला बस्तर में धूमधाम से आजादी का जश्न मनाया जा रहा है.
गृह मंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ सरकार कई महीनों से राज्य को नक्सल मुक्त बनाने के लिए अभियान चला रहे हैं. पहले बस्तर में पुलिस का जाना मुश्किल हो जाता था, लेकिन अब वहां कानून व्यवस्था पूरी तरह से लागू हो. आज राज्य में 29 गांव ऐसे हैं जो आजादी के बाद पहली बार स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं.
29 गांव में नया सवेरा
गृह मंत्री ने साफ कहा था कि मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त बना देंगे. इसी दिशा में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. पहले 29 गांव में नक्सली बीहड़ों में आजादी के पर्व पर काले झंडे फहराते थे, लेकिन पहली बार आज तिरंग लहराया रहा है. सुरक्षा बलों और पुलिस ने मिलकर इन गांवों की तस्वीर बदल दी है. यहां लोग बिना किसी डर के खुले आसमान में स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहे हैं.
बस्तर में चलाया एंटी नक्सल अभियान
प्रदेश के बीजापुर के नारायणपुर जिले में 11 गांव पहली बार आजादी का पर्व मना रहे हैं. जवानों ने यहां पर सुरक्षा को देखते हुए नए कैंप भी खोले हैं. 21 मई को 2025 को नक्सली नेता सेंट्रल कमेटी मेंबर बसवराजु का एनकाउंटर किया था. वहीं सुकमा में 7 गांव पहली बार 15 अगस्त मना रहे हैं. इस जगह नक्सली कमांडर हिड़मा के खौफ में लोग जी रहे थे.
नक्सल के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हाल ही में स्पष्ट तौर पर कहा था कि सरकार मार्च 2026 तक राज्य को नक्सलवाद से मुक्त करने की ठोस रणनीति तैयार कर रही है. मौजूदा समय में इसमें जनता, सुरक्षा और पुनर्वास को प्राथमिकता दी जा रही है.
बस्तर जैसे संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कैंपों की संख्या बढ़ाकर नागरिकों तक शासन पहुंच सुनिश्चित की जा रही है. सरकारी प्रयासों से 250 से अधिक पुलिस कैंपस्थापित किए जा चुके हैं, जिससे नक्सल समूहों की पकड़ कमजोर हुई है.
वहीं सरकार ने 'नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पीड़ित राहत पुनर्वास नीति–2025' लागू की है, जिसके तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों को नकदी, मकान, प्लॉट, नौकरी या जमीन दी जाती है. हथियार सौंपने पर नकद पुरस्कार भी मिलता है.