नीतीश के भरोसेमंद! कौन हैं बिहार शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एस सिद्धार्थ? चुनाव लड़ने की है चर्चा
बिहार के शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव पद पर कार्यरत वरिष्ठ IAS डॉ. एस. सिद्धार्थ ने VRS के लिए आवेदन देकर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है. उनके जदयू से चुनाव लड़ने की अटकलें हैं. 1991 बैच के अफसर रह चुके सिद्धार्थ न केवल पढ़े-लिखे बल्कि पायलट, फोटोग्राफर और कवि भी हैं.

बिहार के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. एस. सिद्धार्थ ने 17 जुलाई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के लिए आवेदन देकर राज्य की ब्यूरोक्रेसी और सियासत दोनों में हलचल पैदा कर दी है. बतौर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, उन्होंने नीतीश सरकार में एक अहम भूमिका निभाई है. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में राजनीतिक भूमिका में उतर सकते हैं, हालांकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से इस्तीफे की पुष्टि नहीं की है.
डॉ. सिद्धार्थ के करीबी माने जाने वाले सूत्रों के मुताबिक, वह जदयू के टिकट पर नवादा जिले की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. वे 30 नवंबर 2025 को रिटायर होने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही वीआरएस की अर्जी देकर यह संकेत दे दिया है कि उनका अगला कदम राजनीतिक हो सकता है. ऐसे वक्त में, जब बिहार की राजनीति नीतीश कुमार के "महागठबंधन" से NDA में वापसी के बाद नए समीकरणों से गुजर रही है, डॉ. सिद्धार्थ का राजनीतिक प्रवेश समीकरणों को प्रभावित कर सकता है.
एजुकेशन सिस्टम में किए कई सुधार
अपने प्रशासनिक कार्यकाल के दौरान डॉ. एस. सिद्धार्थ ने शिक्षा विभाग में कई प्रभावशाली सुधार लागू किए- जैसे मॉडल स्कूलों की स्थापना, शिक्षक प्रशिक्षण और शिकायतों का ऑनलाइन निवारण. लेकिन कुछ नीतियों, विशेषकर शिक्षकों के स्थानांतरण और सेवा शर्तों में सख्ती को लेकर वे आलोचना के भी केंद्र बने. उनके कार्यकाल को “कठोर लेकिन असरदार” माना जाता रहा है और यही छवि उन्हें प्रशासन से राजनीति की ओर एक भरोसेमंद चेहरा बना सकती है.
1991 बैच के हैं अधिकारी
तमिलनाडु के मूल निवासी डॉ. एस सिद्धार्थ 1991 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. उन्होंने मुजफ्फरपुर, भोजपुर, औरंगाबाद जैसे ज़िलों में जिलाधिकारी के रूप में काम किया है. केंद्र सरकार में भी उन्होंने भारी उद्योग मंत्रालय में निदेशक जैसे पदों पर योगदान दिया. आज वह न केवल शिक्षा विभाग में बल्कि कैबिनेट सचिवालय और सामाजिक संस्थानों में भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं, जिससे उनका अनुभव और प्रशासनिक पकड़ काफी गहरी मानी जाती है.
कितने पढ़े लिखे हैं सिद्धार्थ?
डॉ. सिद्धार्थ की शैक्षणिक पृष्ठभूमि चौंकाती है. IIT दिल्ली से कंप्यूटर साइंस में B.Tech, फिर IIM अहमदाबाद से MBA और उसके बाद आईटी में पीएचडी. वे न केवल एक प्रशासनिक अधिकारी हैं, बल्कि एक प्रशिक्षित पायलट, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर, चित्रकार, कार्टूनिस्ट और कवि भी हैं. कोविड के दौर में उन्होंने हवाई जहाज उड़ाने की ट्रेनिंग ली। ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व राजनीति में एक अलग रंग भर सकते हैं.
सिर्फ अफसर नहीं, संभावित नेता?
उनकी छवि एक मेहनती, अनुशासित और दूरदृष्टि रखने वाले अधिकारी की रही है. यही गुण उन्हें प्रशासन से निकलकर जनसेवा के व्यापक फलक यानी राजनीति में प्रवेश करने की पृष्ठभूमि बना रहे हैं. यदि वे चुनावी राजनीति में आते हैं, तो वह बिहार की नौकरशाही से राजनीति में जाने वाले उन चुनिंदा चेहरों में शामिल होंगे, जिनसे नीति, प्रशासन और विकास की धाराएं एकसाथ बहने की उम्मीद की जा सकती है.