End of an Era! भारतीय वायुसेना में MiG-21 का सफर खत्म: सितंबर में होगी रिटायरमेंट, तेजस डिलीवरी में देरी से बढ़ी चिंता
भारतीय वायुसेना (IAF) के इतिहास में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है. करीब छह दशक तक देश के आसमान की सुरक्षा का जिम्मा निभाने वाले MiG-21 बाइसन फाइटर जेट्स आखिरकार 19 सितंबर 2025 को आधिकारिक तौर पर सेवा से बाहर हो जाएंगे.

भारतीय वायुसेना (IAF) सितंबर तक अपने पुराने रूसी-निर्मित MiG-21 फाइटर जेट्स को पूरी तरह से रिटायर करने जा रही है. दशकों तक भारत की हवाई सुरक्षा में अहम भूमिका निभाने वाले इन लड़ाकू विमानों का सफर अब समाप्त होने वाला है. इनकी जगह अब स्वदेशी तकनीक से तैयार तेजस Mk1A फाइटर जेट्स लेंगे, जो IAF की ताकत को नए आयाम देंगे. तेजस आधुनिक तकनीक, उन्नत एवियोनिक्स और बेहतर मारक क्षमता के साथ भारतीय आसमान की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. MiG-21 लंबे समय से भारतीय वायुसेना का मुख्य आधार रहा है, लेकिन अब तकनीकी प्रगति और सुरक्षा जरूरतों के मद्देनजर इसे हटाने का निर्णय लिया गया है.
इस ऐतिहासिक रिटायरमेंट से भारतीय वायुसेना की पहचान में बड़ा बदलाव आएगा. लेकिन यह प्रक्रिया ऐसे समय में हो रही है, जब स्वदेशी तेजस Mk1A फाइटर जेट्स की डिलीवरी में लगातार देरी हो रही है.
MiG-21: भारतीय वायुसेना का भरोसेमंद साथी
MiG-21 का नाम भारत के सैन्य इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है. 1963 में पहली बार भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ यह रूसी लड़ाकू विमान कई युद्धों में भारत की जीत का गवाह रहा है. 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध, करगिल युद्ध और कई हवाई अभियानों में MiG-21 ने अपनी ताकत दिखाई. इसे वायुसेना का 'वर्कहॉर्स' कहा जाता रहा है. हालांकि, समय के साथ इसकी तकनीक पुरानी पड़ गई. बढ़ती दुर्घटनाओं और पायलटों की जान जाने की वजह से इसे ‘फ्लाइंग कॉफिन’ तक कहा जाने लगा. इन कारणों से वायुसेना ने तय किया था कि MiG-21 को धीरे-धीरे फेज आउट किया जाएगा.
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भारतीय वायुसेना (IAF) के पास अब सिर्फ 36 MiG-21 विमान बचे हैं, जबकि कभी इनकी संख्या करीब 900 थी, जिनमें से लगभग 660 भारत में निर्मित किए गए थे. इन विमानों ने दशकों तक देश की हवाई सीमाओं और क्षेत्रों की सफलतापूर्वक रक्षा की. MiG-21 ने 1963 में ट्रायल आधार पर वायुसेना में एंट्री की थी. रूसी मूल का यह फाइटर जेट लंबे समय तक भारतीय वायुसेना की रीढ़ बना रहा और 2000 के दशक के मध्य तक इसकी अहम भूमिका रही. इसके बाद वायुसेना में आधुनिक सुखोई Su-30MKI विमानों की एंट्री हुई, जिससे MiG-21 का युग धीरे-धीरे खत्म होने लगा.
सितंबर 2025 में आखिरी उड़ान
भारतीय वायुसेना का अंतिम MiG-21 स्क्वाड्रन 19 सितंबर को चंडीगढ़ में एक भव्य समारोह के साथ रिटायर होगा. यह सिर्फ एक विमान की विदाई नहीं है, बल्कि भारतीय वायुसेना के एक युग का अंत है. लेकिन इस रिटायरमेंट के साथ सबसे बड़ा सवाल है - वायुसेना की स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ पर इसका क्या असर होगा?
स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ की चुनौती
वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास 29 फाइटर स्क्वाड्रन हैं, जबकि इसकी मंजूरशुदा ताकत 42 स्क्वाड्रन है. MiG-21 के हटने से यह संख्या और घट जाएगी. ऐसे में तेजस Mk1A फाइटर जेट्स का समय पर वायुसेना में शामिल होना बेहद जरूरी हो गया है. लेकिन डिलीवरी में देरी ने हालात को जटिल बना दिया है.
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तेजस Mk1A की डिलीवरी क्यों लेट हुई?
तेजस Mk1A को MiG-21 की जगह लेने के लिए तैयार किया गया है. यह हल्के वजन का, अत्याधुनिक तकनीक से लैस और पूरी तरह से स्वदेशी फाइटर जेट है. सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को तेजस Mk1A के 83 विमानों का ऑर्डर दिया है. हालांकि, डिलीवरी में मुख्य अड़चन जनरल इलेक्ट्रिक (GE) के F404-IN20 इंजनों की कमी है. ये इंजन तेजस Mk1A के लिए बेहद जरूरी हैं. जानकारी के मुताबिक GE से इंजन की डिलीवरी मार्च 2024 से शुरू होनी थी. लेकिन उत्पादन में आई समस्याओं के कारण डिलीवरी एक साल लेट हो गई. HAL को पहला इंजन मार्च 2025 में और दूसरा जुलाई 2025 में मिला. अब GE मार्च 2026 तक हर महीने दो इंजन देने की योजना पर काम कर रहा है.
HAL की स्थिति और आगे की योजना
HAL ने कम से कम छह तेजस Mk1A एयरफ्रेम तैयार कर लिए हैं, लेकिन ये बिना इंजन के हैं. HAL के चेयरमैन डी.के. सुनील ने कहा है कि अगर इंजन की सप्लाई तय समय पर जारी रही, तो मार्च 2026 तक छह विमान डिलीवर कर दिए जाएंगे. हालांकि, हथियारों के इंटीग्रेशन में और समय लग सकता है.
MiG-21 रिटायरमेंट का मतलब क्या है?
MiG-21 के हटने के साथ ही वायुसेना की ताकत में एक खालीपन आएगा. IAF के पास अभी भी राफेल और सुखोई-30MKI जैसे आधुनिक फाइटर हैं, लेकिन स्क्वाड्रन गैप को भरने के लिए तेजस का समय पर शामिल होना बेहद जरूरी है. MiG-21 की रिटायरमेंट से एक और संदेश साफ है - भारत अब विदेशी तकनीक पर निर्भरता कम कर रहा है और स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है. हालांकि, तेजस की देरी यह भी दिखाती है कि हमें अभी भी आपूर्ति श्रृंखला और उत्पादन क्षमता में सुधार की जरूरत है.
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चुनौती और उम्मीदें
- चुनौती: स्क्वाड्रन की कमी, तेजस की डिलीवरी में देरी, इंजन सप्लाई में अनिश्चितता.
- उम्मीद: GE से समय पर इंजन, HAL का उत्पादन बढ़ाना, और तेजस के साथ वायुसेना की ताकत बढ़ाना.
MiG-21 की विदाई एक ऐतिहासिक क्षण है, लेकिन इसके साथ भारतीय वायुसेना के सामने नई चुनौतियां भी खड़ी हैं. तेजस Mk1A पर अब सिर्फ एक विमान का नहीं, बल्कि भारत की एयरोस्पेस आत्मनिर्भरता का भरोसा टिका है. 19 सितंबर को जब आखिरी MiG-21 उड़ान भरेगा, वह सिर्फ एक विमान की विदाई नहीं होगी, बल्कि भारत की नई रक्षा यात्रा का प्रतीक भी बनेगा.