12 तक पढ़ाई, 5 FIR... 45 साल की उम्र में 'नड्डा की जगह' लेने वाले Nitin Nabin कैसे बन गए BJP के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष?
45 साल की उम्र में नितिन नवीन को भाजपा का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने से सियासी हलकों में चर्चा तेज है. 12वीं तक पढ़ाई करने वाले नितिन नवीन के खिलाफ 5 एफआईआर दर्ज हैं, हालांकि कोई भी गंभीर आपराधिक मामला नहीं है. साफ छवि, मजबूत संगठनात्मक अनुभव, युवा राजनीति से लंबा जुड़ाव और चुनावी प्रबंधन में सफलता उनकी बड़ी ताकत मानी जा रही है.
भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को संगठन में बड़ा और चौंकाने वाला फैसला लेते हुए बिहार सरकार के मंत्री और युवा नेता नितिन नवीन को पार्टी का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया. यह फैसला ऐसे समय आया है, जब भाजपा संगठन में पीढ़ीगत बदलाव और भविष्य की राजनीति को लेकर रणनीतिक मंथन कर रही है. 45 वर्षीय नितिन नवीन को यह जिम्मेदारी देकर पार्टी ने साफ संकेत दिया है कि आने वाले वर्षों में नेतृत्व की कमान युवाओं के हाथों में सौंपी जाएगी.
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नितिन नवीन की नियुक्ति सिर्फ एक पद परिवर्तन नहीं, बल्कि भाजपा की दीर्घकालिक राजनीतिक सोच का प्रतिबिंब मानी जा रही है. संगठन और सरकार-दोनों में मजबूत पकड़ रखने वाले नितिन नवीन को लेकर यह भी चर्चा है कि आने वाले समय में उनके 'कार्यकारी' पद से शब्द हट सकता है और वह पूर्णकालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष की भूमिका में नजर आ सकते हैं.
क्यों नितिन नवीन पर खेला भाजपा ने बड़ा दांव?
युवा चेहरा, जेन-जी पर फोकस
महज 45 साल की उम्र में नितिन नवीन को इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलना बताता है कि भाजपा अब जेनरेशन शिफ्ट को गंभीरता से आगे बढ़ा रही है. बीते एक दशक में भाजपा से बड़ी संख्या में युवा जुड़े हैं और सोशल मीडिया के दौर में राजनीति की भाषा भी बदली है. पार्टी का मानना है कि युवा मतदाता पीएम मोदी से सहज रूप से जुड़ता है, और नितिन नवीन उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हैं.
साफ-सुथरी छवि, बिना विवाद
नितिन नवीन उन नेताओं में नहीं हैं जो विवादित बयानों से सुर्खियों में रहते हों. पांच बार विधायक रहने के बावजूद उनकी छवि शांत, संतुलित और गैर-विवादित रही है. यही वजह है कि भाजपा नेतृत्व को उन पर भरोसा है कि विपक्ष उनके पुराने बयानों को हथियार नहीं बना पाएगा.
संगठन का लंबा और मजबूत अनुभव
नितिन नवीन की राजनीति सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं रही.
- एबीवीपी से राजनीतिक सफर
- बिहार भाजयुमो अध्यक्ष (2016–2019)
- भाजयुमो राष्ट्रीय महासचिव (2019–2023)
- छत्तीसगढ़ भाजपा के सह-प्रभारी और फिर प्रभारी
- छत्तीसगढ़ में 2023 की ऐतिहासिक जीत के पीछे उनके संगठनात्मक कौशल को बड़ी वजह माना जाता है, जब तमाम सर्वे कांग्रेस की जीत दिखा रहे थे.
सरकार और संगठन, दोनों की समझ
नितिन नवीन को शासन का भी अच्छा अनुभव है. फरवरी 2021 में पहली बार मंत्री बने इसके बाद 2024–25 में फिर कैबिनेट में शामिल वर्तमान में पथ निर्माण मंत्री संगठन और सरकार के बीच संतुलन बैठाने में उनकी यह भूमिका भाजपा के लिए बेहद अहम मानी जा रही है.
कैडर से निकले नेता, संघ से जुड़ाव
बीजेपी और संघ के भीतर लंबे समय से यह चर्चा रही है कि शीर्ष पदों पर कैडर बैकग्राउंड वाले नेताओं को आगे लाया जाए. नितिन नवीन के पिता नवीन किशोर सिन्हा भाजपा के कद्दावर नेता रहे थे और जेपी आंदोलन से जुड़े थे. बचपन से ही नितिन का संघ और पार्टी की गतिविधियों से जुड़ाव रहा, जो उन्हें पार्टी के भीतर भरोसेमंद चेहरा बनाता है.
निजी जीवन, संपत्ति और हलफनामा
चुनावी हलफनामे के अनुसार नितिन नवीन की चल संपत्ति: ₹91.80 लाख है पत्नी दीपमाला श्रीवास्तव के नाम संपत्ति: लगभग ₹1.47 करोड़. कुल कर्ज: ₹56 लाख से अधिक (होम लोन और कार लोन), आय (ITR 2025–26): ₹3.71 लाख, खुद के नाम कोई अचल संपत्ति नहीं. उनके खिलाफ 5 आपराधिक मामले दर्ज हैं, लेकिन कोई भी गंभीर या दोष सिद्ध मामला नहीं है. अधिकतर केस आंदोलन और आचार संहिता से जुड़े हैं.
पिता की विरासत, खुद का संघर्ष
23 मई 1980 को पटना में जन्मे नितिन नवीन ने दिल्ली से पढ़ाई की. 2005 में पिता के निधन के वक्त वे सिर्फ 26 साल के थे. उसी साल राजनीति में कदम रखा और 2006 में पटना पश्चिम से उपचुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. परिसीमन के बाद बांकीपुर सीट से 2010 से अब तक लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. 2025 के चुनाव में उन्होंने आरजेडी उम्मीदवार को करीब 51 हजार वोटों से हराया.
बीजेपी के भविष्य की तस्वीर?
नितिन नवीन की ताजपोशी को सिर्फ एक नियुक्ति नहीं, बल्कि भाजपा के भविष्य के नेतृत्व मॉडल के तौर पर देखा जा रहा है-जहां युवा, संगठन से निकला, साफ छवि वाला और चुनावी मैनेजमेंट समझने वाला नेता पार्टी की कमान संभालेगा.





