बिहार में आज जारी होगी अंतिम मतदाता सूची, सुप्रीम कोर्ट पर टिकी निगाहें
बिहार में 22 साल बाद हुए विशेष मतदाता सूची संशोधन का काम पूरा कर लिया गया है और मंगलवार को अंतिम सूची जारी होगी. इस बीच विपक्ष ने बड़े पैमाने पर वोटर एक्सक्लूज़न का आरोप लगाया है और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. कोर्ट ने चेतावनी दी है कि गड़बड़ी पाई गई तो पूरी सूची रद्द हो सकती है. वहीं राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ शुरू कर दी है. आगामी विधानसभा चुनाव से पहले इस पर पूरे देश की नज़रें टिकी हैं.

बिहार की राजनीति में मंगलवार का दिन बेहद अहम माना जा रहा है. 22 साल बाद हुए स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) ऑफ इलेक्टोरल रोल्स का काम पूरा हो चुका है और चुनाव आयोग आज अंतिम मतदाता सूची जारी करने वाला है. इस कदम के साथ ही राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई है, क्योंकि मतदाता सूची को लेकर विपक्षी दल लगातार सवाल उठा रहे हैं और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. ऐसे में अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की 7 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई और आयोग की अगली घोषणा पर टिकी हैं.
बिहार में मतदाता सूची का इतना बड़ा संशोधन दो दशक बाद किया गया है. 1 अगस्त को आयोग ने ड्राफ्ट रोल जारी किया था और मतदाताओं व राजनीतिक दलों को 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज कराने का समय दिया गया. इस बीच राज्य भर से लाखों दावे-आपत्तियां आईं, जिन्हें निपटाने के बाद अंतिम सूची जारी की जा रही है. ड्राफ्ट रोल्स में मतदाताओं की संख्या 7.24 करोड़ दर्ज की गई थी.
विपक्ष के निशाने पर आयोग
मतदाता सूची के इस संशोधन को लेकर विपक्ष ने चुनाव आयोग पर बड़े पैमाने पर वोटर एक्सक्लूज़न का आरोप लगाया है. राजद, कांग्रेस और वाम दलों का कहना है कि यह प्रक्रिया गरीब और अल्पसंख्यक समुदायों को सूची से बाहर करने की सोची-समझी रणनीति है. विपक्ष का आरोप है कि सत्ता पक्ष, खासतौर पर बीजेपी, इस पूरी कवायद के जरिए अपने लिए लाभकारी माहौल बना रही है.
मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
बढ़ते विवाद और मताधिकार छिनने की आशंका को देखते हुए कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं. याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से गुहार लगाई कि आयोग की प्रक्रिया के चलते लाखों योग्य मतदाताओं का नाम सूची से गायब हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर गंभीर रुख अपनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अगर गड़बड़ी पाई गई तो वह पूरी मतदाता सूची रद्द करने से भी पीछे नहीं हटेगा.
न्यायालय की कड़ी टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि मतदाता सूची में समावेशिता ज़रूरी है. कोई भी योग्य मतदाता वंचित न रहे, यह सुनिश्चित करना आयोग की जिम्मेदारी है. अदालत ने यह भी साफ किया कि किसी भी तरह का 'मास एक्सक्लूज़न' बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
आधार कार्ड को मिली मान्यता
मतदाता सूची संशोधन के दौरान पहचान पत्रों को लेकर भी विवाद हुआ. चुनाव आयोग ने पहले आधार कार्ड को मान्य पहचान पत्रों की सूची में शामिल नहीं किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए आधार को वैध पहचान पत्र मान लिया. अब मतदाता पंजीकरण के लिए 11 दस्तावेज़ों के अलावा आधार कार्ड भी मान्य होगा.
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का हमला
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो इस पूरे मामले को सीधे बीजेपी और चुनाव आयोग की मिलीभगत करार दिया है. उन्होंने दावा किया कि बिहार के अलग-अलग क्षेत्रों से मिले आंकड़े दिखाते हैं कि यह प्रक्रिया सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचाने के लिए की जा रही है. राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव ने मिलकर बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ शुरू की है, जिसके जरिए वे जनता को जागरूक कर रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि यह लोकतंत्र से “वोट चोरी” का प्रयास है.
आयोग का पलटवार
चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पूरा संशोधन निष्पक्ष तरीके से किया गया है. आयोग ने राहुल गांधी को चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनके पास पुख्ता सबूत हैं तो वह हलफनामा दाखिल करें. आयोग का कहना है कि न तो किसी योग्य नागरिक को सूची से बाहर किया जाएगा और न ही किसी अयोग्य को सूची में जगह दी जाएगी.
विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती
बिहार विधानसभा की मौजूदा 243 सीटों वाली विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है. ऐसे में आयोग को समय रहते चुनाव कराना होगा. सूत्रों का कहना है कि 4-5 अक्टूबर को चुनाव आयोग की टीम पटना पहुंचकर चुनावी तैयारियों की समीक्षा करेगी. इसके बाद अगले हफ्ते चुनाव कार्यक्रम का एलान संभव है. पहले चरण की वोटिंग की संभावना छठ पर्व (अक्टूबर अंत) के तुरंत बाद जताई जा रही है.
पिछला चुनाव और मौजूदा सियासी तापमान
पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में कोरोना महामारी की छाया में तीन चरणों में हुए थे. इस बार हालात अलग हैं, लेकिन मतदाता सूची को लेकर छिड़ी जंग ने चुनावी माहौल को पहले ही गरमा दिया है. सत्तारूढ़ एनडीए जहां विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगा रहा है, वहीं महागठबंधन का दावा है कि यदि यह सूची ऐसे ही जारी हुई तो लोकतंत्र पर बड़ा हमला होगा.
जब अंतिम मतदाता सूची जारी होगी, तो यह न सिर्फ बिहार के चुनावी भविष्य का खाका तय करेगी बल्कि सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई के चलते यह राष्ट्रीय राजनीति का भी बड़ा मुद्दा बनेगी. लोकतंत्र में मताधिकार सबसे अहम अधिकार है, और जब वही विवादों में घिर जाए, तो स्वाभाविक है कि पूरा देश इस पर नज़र रखे. बिहार चुनाव इस बार सिर्फ सीटों की लड़ाई नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों और चुनावी निष्पक्षता की परीक्षा भी साबित हो सकता है.