चुनावी खेल या लापरवाही? बिहार के 30,000 वोटरों का नाम गायब, अब कर रहे वापसी की मांग
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. चुनाव आयोग (EC) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, प्रारंभिक मसौदे में हटाए गए 65 लाख मतदाताओं में से 29,872 लोगों ने अपने नाम को फिर से शामिल करने के लिए आवेदन किया है. वहीं, 13.33 लाख नए मतदाता, जिन्होंने हाल ही में 18 वर्ष की आयु पूरी की है, उन्होंने भी वोटर बनने के लिए नामांकन फॉर्म जमा किए हैं.
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. चुनाव आयोग (EC) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, प्रारंभिक मसौदे में हटाए गए 65 लाख मतदाताओं में से 29,872 लोगों ने अपने नाम को फिर से शामिल करने के लिए आवेदन किया है. वहीं, 13.33 लाख नए मतदाता, जिन्होंने हाल ही में 18 वर्ष की आयु पूरी की है, उन्होंने भी वोटर बनने के लिए नामांकन फॉर्म जमा किए हैं.
गौरतलब है कि आयोग ने 24 जून को जारी आदेश में कहा था कि बिहार के सभी 7.89 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं को 25 जुलाई तक एन्यूमरेशन फॉर्म भरना अनिवार्य था. इन आधार पर 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची में मतदाताओं की संख्या घटकर 7.24 करोड़ रह गई.
65 लाख नाम क्यों हटाए गए?
चुनाव आयोग ने बताया कि जिन 65 लाख नामों को मसौदे में हटाया गया है, उन्हें मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित, लापता या एक से अधिक जगह पंजीकृत के रूप में चिह्नित किया गया था. 1 अगस्त से 1 सितंबर तक का समय आयोग ने दावे और आपत्तियाँ दाखिल करने के लिए तय किया है.
शनिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 29,872 दावे (नाम शामिल करने के लिए) प्राप्त हुए. 1,97,764 आपत्तियाँ (नाम हटाने के लिए) दर्ज हुईं. इनमें से 33,771 मामलों का निपटारा पहले ही कर दिया गया. राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1.60 लाख बूथ स्तर एजेंटों (BLA) ने कुल 103 आपत्तियाँ और 25 दावे दाखिल किए हैं.
नए मतदाताओं की संख्या
चुनाव आयोग के मुताबिक, अब तक 13,33,793 नए मतदाताओं (18 वर्ष या उससे ऊपर) ने नामांकन फॉर्म भरे हैं. इनमें से 61,248 फॉर्म का निपटारा सात दिनों के भीतर हो चुका है. 1 सितंबर दावे और आपत्तियाँ दाखिल करने की अंतिम तारीख है, जबकि 25 सितंबर तक इनका निपटारा करना होगा। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी.
नागरिकता और जन्म प्रमाण संबंधी नया नियम
इस बार चुनाव आयोग ने उन सभी लोगों से अतिरिक्त दस्तावेज माँगे हैं जो 2003 के बाद वोटर बने हैं. उनसे जन्मतिथि या जन्मस्थान का सबूत देना अनिवार्य किया गया है ताकि उनकी नागरिकता और मतदाता योग्यता सिद्ध हो सके. जो लोग 1 जुलाई 1987 के बाद जन्मे हैं, उनसे उनके माता-पिता का जन्म संबंधी दस्तावेज भी मांगा गया है. यह नया नियम नागरिकता अधिनियम, 1955 के प्रावधानों के अनुरूप है. जबकि पहले सिर्फ स्व-घोषणा (self-declaration) ही पर्याप्त होती थी. SIR आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इस मामले पर अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी.





