आपकी सरकार अब चौराहे पर खड़ी... जातिगत जनगणना पर तेजस्वी ने PM मोदी को लिखा पत्र, कर दी ये 5 मांगें
Tejashwi Yadav Write To PM Modi: तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर पूछा कि वह यह सुनिश्चित करें कि जाति जनगणना के आंकड़ों से सार्थक नीतिगत सुधार सामने आएं... बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पीएम को लिखे गए पत्र में तेजस्वी ने जातिगत जनगणना को लेकर कई मांग भी की है.

Tejashwi Yadav Write To PM Modi: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने राष्ट्रीय जनगणना में जाति जनगणना को शामिल करने के केंद्र के फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने सरकार को सलाह देते हुए सवाल किया कि जातिगत जनगणना का जो डेटा आएगा, उसका उपयोग सुधारों के लिए किया जाएगा या फिर ये सिर्फ सरकारी पन्नों तक ही धूल फांकता रहेगा.
तेजस्वी ने पत्र में लिखा, 'आपका बहुत देर से लिया गया निर्णय उन नागरिकों की मांगों को स्वीकार करने की ओर उठाया गया कदम है, जिन्हें लंबे समय से समाज के हाशिये पर धकेल दिया गया है.' पत्र में तेजस्वी यादव ने प्राइवेट सेक्टर को सामाजिक न्याय के लक्ष्यों के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर भी बात की.
तेजस्वी यादव की 5 मांगें-
- जनगणना के आंकड़ों से सामाजिक सुरक्षा और आरक्षण नीतियों की व्यापक समीक्षा होनी चाहिए.
- आरक्षण पर मनमानी सीमा पर भी फिर से विचार करना चाहिए.
- निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण जनगणना के आंकड़ों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए.
- OBC और EBC के पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए.
- जाति जनगणना का उपयोग निजी क्षेत्र में खुली बातचीत करने के लिए किया जाना चाहिए.
जातिगत जनगणना को लेकर तेजस्वी का पीएम से सवाल
तेजस्वी यादव ने लिखा, 'आपकी सरकार अब एक ऐतिहासिक चौराहे पर खड़ी है. जाति जनगणना कराने का निर्णय हमारे देश की समानता की यात्रा हो सकता है. सवाल यह है कि क्या डेटा का उपयोग सुधारों के लिए किया जाएगा या यह पिछली कई आयोग रिपोर्टों की तरह धूल भरे कागजों तक ही सीमित रहेगा?'
प्राइवेट सेक्टर को लेकर तेजस्वी की मांग
तेजस्वी यादव ने लिखा, 'प्राइवेट सेक्टर सामाजिक न्याय से अछूता नहीं रह सकता. कंपनियों को रियायती दरों पर भूमि, बिजली सब्सिडी, कर छूट, बुनियादी ढांचे का समर्थन और टैक्स पेयर के पैसे से पर्याप्त लाभ प्राप्त हुए हैं. बदले में उनसे हमारे देश की सामाजिक संरचना को रिफ्लेक्ट करने की उम्मीद करना पूरी तरह से उचित है. जाति जनगणना के तहत उनके लाभ और उत्थान पर भी काम होना चाहिए.