दो राज्यों में वोटर निकले प्रशांत किशोर! इलेक्शन ऑफिसर ने थमाया नोटिस, मांगा जवाब
चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर चुनाव से पहले फंस गए हैं, लेकिन इस बार वजह राजनीति नहीं बल्कि वोटर लिस्ट में उनकी गड़बड़ी है. दरअसल चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा है क्योंकि वे दो राज्यों बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों में वोटर के रूप में रजिस्टर हैं.
जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार वजह कोई चुनावी रणनीति नहीं बल्कि खुद उनकी वोटर लिस्ट से जुड़ी गड़बड़ी है. बिहार के सासाराम जिले की करगहर विधानसभा सीट के चुनाव पंजीकरण अधिकारी (ERO) ने मंगलवार को उन्हें एक नोटिस जारी किया, जिसमें पूछा गया है कि आखिर वे दो अलग-अलग राज्यों बिहार और पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में कैसे दर्ज हैं?
इस नोटिस में एक अखबार की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिसमें दावा किया गया था कि प्रशांत किशोर का नाम करगहर (बिहार) और भवानीपुर (पश्चिम बंगाल)दोनों जगहों की वोटर लिस्ट में मौजूद है. इसी आधार पर अधिकारी ने उनसे तीन दिन के भीतर जवाब देने को कहा है.
फॉर्म की गलती से बढ़ा शक
चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, संभव है कि प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल में नया मतदाता बनने के लिए फॉर्म 6 भर दिया हो. लेकिन नियमों के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति पहले से कहीं और वोटर है, तो उसे फॉर्म 8 भरना होता है. यह फॉर्म पुराने पते से नाम हटवाने और नए पते पर दर्ज कराने की प्रक्रिया के लिए होता है. यानी अगर उन्होंने गलत फॉर्म भरा, तो यह प्रक्रिया तकनीकी तौर पर गलत मानी जाएगी.
कानूनी प्रावधान और सजा का खतरा
ERO की ओर से भेजे गए नोटिस में स्पष्ट लिखा है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 17 के तहत एक व्यक्ति केवल एक ही विधानसभा क्षेत्र में मतदाता बन सकता है. अगर कोई जानबूझकर दो जगह नाम दर्ज कराता है, तो यह अपराध माना जाएगा. इसके लिए एक साल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं, जैसा कि धारा 31 में प्रावधान है.
दोनों जगह दर्ज है नाम
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशांत किशोर का नाम बिहार में मिडिल स्कूल, कोनार (करगहर विधानसभा क्षेत्र) के एक मतदान केंद्र पर दर्ज है, वहीं पश्चिम बंगाल में उनका नाम सेंट हेलेन स्कूल, बी. रानीशंकारी लेन (भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र) के मतदान केंद्र पर पाया गया है. करगहर की मतदाता सूची में उनका EPIC नंबर IUI3123718 बताया गया है.
अब क्या होगा आगे?
चुनाव अधिकारी ने प्रशांत किशोर से तीन दिनों के भीतर लिखित स्पष्टीकरण मांगा है. अगर वे यह साबित नहीं कर पाते कि यह गलती अनजाने में हुई या तकनीकी कारणों से हुई, तो मामला चुनाव आयोग के उच्च अधिकारियों तक पहुंच सकता है. फिलहाल इस पर प्रशांत किशोर या उनकी पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. बिहार की राजनीति में सक्रिय प्रशांत किशोर के लिए यह मामला नई मुश्किलें खड़ी कर सकता है, क्योंकि यह सीधे तौर पर चुनावी नियमों के उल्लंघन से जुड़ा है.





