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नीतीश-लालू के 'गुरु' की पोती को पीके ने बनाया ब्रह्मास्त्र, तेजस्वी बेकरार! कौन हैं मोरबा से जनसुराज की प्रत्याशी जागृति ठाकुर?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज ने मोरबा सीट से कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति ठाकुर को उम्मीदवार बनाया. इसके चलते तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार की सियासी रणनीतियों में नया तनाव पैदा हुआ है. जागृति ठाकुर को राजनीतिक विरासत और साफ इमेज के कारण जनसुराज ने मोरबा से टिकट दिया है. यह कदम बिहार की राजनीति में बड़ा मोड़ साबित हो सकता है.

नीतीश-लालू के गुरु की पोती को पीके ने बनाया ब्रह्मास्त्र, तेजस्वी बेकरार! कौन हैं मोरबा से जनसुराज की प्रत्याशी जागृति ठाकुर?
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 9 Oct 2025 6:23 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है, और अब खेल में असली तड़का लगाया है प्रशांत किशोर ने. जनसुराज पार्टी की पहली सूची ने जैसे ही दस्तक दी, सियासत में हलचल मच गई. वजह समस्तीपुर की मोरबा सीट से उम्मीदवार बनीं जागृति ठाकुर, जो कोई आम नाम नहीं, बल्कि जननायक कर्पूरी ठाकुर की पोती हैं. अब सवाल उठ रहा है कि क्या बिहार की राजनीति में जननायक की यह पोती नीतीश और लालू दोनों के लिए सिरदर्द बनने जा रही हैं?

दरअसल, करीब 2 साल पहले जब केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का एलान किया तो नीतीश कुमार ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की और कुछ ही दिन तेजस्वी यादव को बिना बताए वह भाजपा से गठबंधन कर लिए. वही मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कहा जा रहा था कि JDU और भाजपा के साथ होने की वजह कर्पूरी ठाकुर का भारत रत्न देने का एलान. इस कड़ी में अब जनसुराज ने कपूरी ठाकुर की नातिन को अपनी पार्टी से टिकट देकर चुनाव को और हवा दे दी है. आइए जानते है कि कौन हैं कपूरी ठाकुर की पोती जगृति ठाकुर?

प्रशांत किशोर की 51 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में डॉक्टर, वकील, प्रोफेसर, पूर्व ब्यूरोक्रेट से लेकर पुलिस अधिकारी तक शामिल हैं, लेकिन असली सुर्खियां बटोरी हैं डॉ. जागृति ठाकुर हैं. पीके ने इस नाम के ज़रिए न सिर्फ समाजवादी वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है, बल्कि नीतीश और लालू दोनों के 'कर्पूरी कनेक्शन' पर भी सीधा वार किया है.

कौन हैं जनसुराज की प्रत्याशी जागृति ठाकुर?

डॉ. जागृति ठाकुर महान समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर की पोती और उनके छोटे बेटे वीरेंद्र नाथ ठाकुर की बेटी हैं. दिलचस्प बात यह है कि उनके चाचा रामनाथ ठाकुर इस समय जेडीयू के राज्यसभा सांसद और केंद्र में मोदी सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री हैं. यानी एक ही परिवार एक तरफ नीतीश की पार्टी, तो दूसरी तरफ प्रशांत किशोर का नया मोर्चा.

जागृति ठाकुर ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद मुलायम सिंह यादव और देवी लाल ने सवाल उठाया था. 'जननायक की विरासत कौन संभालेगा?' उस वक्त उनके पिता वीरेंद्र ठाकुर ने चिट्ठी लिखी थी कि 'बड़े भाई बेरोजगार हैं, विरासत उन्हें दी जाए.' जागृति के पास आज भी वह चिट्ठी मौजूद है. अब वही विरासत लेकर वह बिहार के मैदान में उतरी हैं.

क्यों नीतीश-लालू दोनों के लिए चुनौती बनेंगी जागृति ठाकुर?

  • बिहार की राजनीति में 'कर्पूरी ठाकुर' सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं- गरीबों, पिछड़ों और दलितों की आवाज़.
  • लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों खुद को उनका 'राजनीतिक वारिस' बताते हैं.
  • लालू तो यहां तक कह चुके हैं कि 'कर्पूरी ठाकुर की मौत मेरे पिता की गोद में हुई थी'.
  • वहीं नीतीश ने उनके बेटे रामनाथ ठाकुर को अपने कोटे से मंत्री बनाकर 'वफादारी' का प्रमाण दिया था.

लेकिन अब प्रशांत किशोर ने कर्पूरी ठाकुर की असली पोती को मैदान में उतारकर इस भावनात्मक कार्ड को पलट दिया है.

प्रशांत किशोर का बड़ा दांव

जनसुराज की पहली सूची में कुल 51 उम्मीदवार हैं, इनमें 16% मुस्लिम, 17% अत्यंत पिछड़े वर्ग से हैं.

लिस्ट में कई चमकते नाम शामिल हैं- के.सी. सिन्हा (पटना यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर, मशहूर गणितज्ञ और किताबों के लेखक) वाई.बी. गिरी (पटना हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट और पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल) डॉ. अमित कुमार दास (मुजफ्फरपुर से डॉक्टर, जो ग्रामीण इलाकों में हेल्थ कैंप चलाते हैं) यह सूची प्रशांत किशोर की “साफ राजनीति” की ब्रांडिंग के साथ आई है. दिलचस्प यह है कि खुद पीके का नाम अभी किसी सीट पर नहीं है, जिससे राघोपुर या कारगार सीट से उनके उतरने की अटकलें और बढ़ गई हैं.

कौन थे कर्पूरी ठाकुर?

कर्पूरी ठाकुर नाई समाज से थे, लेकिन उनकी सादगी, ईमानदारी और दूरदर्शिता ने उन्हें “गरीबों का गांधी” बना दिया. मुख्यमंत्री रहते उन्होंने मैट्रिक परीक्षा में अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म की और पिछड़ों के लिए आरक्षण लागू किया. एक किस्सा मशहूर है अपने गांव की शादी में जब नाई नहीं आया, तो खुद मुख्यमंत्री ठाकुर ने कलश उठाकर रस्म निभाई. यही उनकी जमीन से जुड़ी सादगी थी जिसने उन्हें आज भी बिहार के दिल में 'जननायक' बनाकर रखा है.

अब बिहार का समीकरण कैसे बदलेगा?

जागृति ठाकुर का उतरना सिर्फ एक टिकट नहीं- यह एक राजनीतिक संकेत है. जनसुराज का यह कदम कर्पूरी ठाकुर की विरासत को फिर से जनता के बीच लाने की कोशिश है, और यही बात नीतीश कुमार और लालू यादव दोनों को बेचैन कर रही है. अगर जागृति ठाकुर मोरबा से अच्छा प्रदर्शन करती हैं, तो 2025 का यह चुनाव “जननायक की पोती बनाम राजनीतिक शिष्यों” की सीधी टक्कर बन सकता है.

टिकट एलान के बाद क्या बोले PK?

बिहार विधानसभा चुनाव की पहली सूची जारी होने के बाद जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा, 'आज जिन लोगों को टिकट नहीं मिला, उनका थोड़ा गुस्सा या निराश होना स्वाभाविक है, लेकिन वे जानते हैं कि जन सुराज में न पैसे की ताकत चलती है और न ही बाहुबल की। हमने समाज से किए अपने वादे पूरे किए हैं. जन सुराज को खड़ा करने में सिर्फ 243 उम्मीदवार ही नहीं, बल्कि हज़ारों लोगों ने योगदान दिया है. जिनमें से 243 लोग चुनाव मैदान में हैं.'

बिहार विधानसभा चुनाव 2025प्रशांत किशोर
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