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पटना में स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला, हर बड़े स्कूल में बनेगी 'बाल परिवहन समिति'

पटना में स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है. अब शहर के हर बड़े स्कूल में 'बाल परिवहन समिति' का गठन किया जाएगा. यह समिति छात्रों की स्कूल बस और वाहन व्यवस्था की निगरानी करेगी, ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. इसमें स्कूल प्रबंधन, अभिभावक प्रतिनिधि और परिवहन विभाग के अधिकारी शामिल होंगे.

पटना में स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला, हर बड़े स्कूल में बनेगी बाल परिवहन समिति
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( Image Source:  Sora - AI )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 21 July 2025 12:36 AM IST

बिहार की राजधानी पटना में स्कूली बच्चों की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन ने एक नई व्यवस्था लागू की है. अब जिन स्कूलों में 2000 से अधिक छात्र पढ़ते हैं, वहां 'बाल परिवहन समिति' का गठन अनिवार्य किया गया है. इस पहल का मकसद स्कूली बसों और अन्य वाहनों की निगरानी को सख्त करना है.

इस समिति की अध्यक्षता स्कूल के प्रधानाचार्य करेंगे, जबकि सदस्य के रूप में दो अभिभावक, एक शिक्षक प्रतिनिधि, स्कूल बस मालिक, ट्रैफिक इंस्पेक्टर, मोटरयान निरीक्षक और शिक्षा विभाग का एक सदस्य शामिल होगा. परिवहन प्रभारी इस समिति का सचिव होगा. समिति प्रत्येक तीन महीने में एक बार बैठक करेगी और स्कूल ट्रांसपोर्ट की समीक्षा करेगी.

डीटीओ ने दिए सख्ती के संकेत

पटना जिला परिवहन पदाधिकारी उपेन्द्र कुमार पाल ने स्पष्ट किया कि सभी स्कूलों को वाहन नियमों का पालन करना होगा, वरना 'विद्यालय वाहन परिचालन विनियम 2020' के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा किसी भी हालत में समझौते का विषय नहीं है.

स्कूली बसों के लिए नई शर्ते

  • बस पीले रंग की होनी चाहिए और उस पर स्कूल का नाम स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए.
  • अगर बस किराये पर ली गई है, तो उस पर 'On School Duty' लिखा होना जरूरी है.
  • बस की अधिकतम गति सीमा 40 किमी प्रति घंटा तय की गई है.
  • फर्स्ट एड बॉक्स, फायर एक्सटिंग्विशर, GPS, लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस और पैनिक बटन होना अनिवार्य है.
  • बैग रखने और दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था जरूरी है.
  • दो इमरजेंसी गेट और खिड़कियों पर सुरक्षा ग्रिल लगाना अनिवार्य होगा.

यह फैसला पटना में स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक ठोस कदम माना जा रहा है, जिससे अभिभावकों का भरोसा भी बढ़ेगा और स्कूल ट्रांसपोर्ट सिस्टम अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनेगा.

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