Patna Dr Gopal Khemka Murder: तो क्या डॉ. गोपाल खेमका का पूरा परिवार ही निशाने पर है? INSIDE STORY
बिहार के पटना में 4 जुलाई 2025 को उद्योगपति डॉ. गोपाल खेमका की हत्या ने राज्य की राजनीति और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. पहले बेटे की हत्या, फिर छोटे बेटे पर जानलेवा हमला और अब खुद खेमका की कॉन्ट्रैक्ट किलिंग.ये सब एक सुनियोजित साजिश की ओर इशारा करते हैं. पुलिस की सुस्त प्रतिक्रिया और परिवार की सुरक्षा में लापरवाही पर समाज के प्रबुद्ध वर्ग ने भी कड़ी आलोचना की है.

Patna Dr Gopal Khemka Murder: “बिहार की राजधानी पटना (Patna, Bihar) में 4 जुलाई 2025 को अंजाम दिया जा चुका उद्योगपति डॉ. गोपाल खेमका हत्याकांड (Dr Gopal Khemka Murder) में पुलिस को कॉंट्रैक्ट-किलिंग (Contract Killing) का पूरा अंदेशा है. घटना की तह में पुलिस (Bihar Patna Police) व्यवसायिक प्रतिद्वंदिता के की परिणति के रूप में भी जांच को आगे बढ़ा रही है. उधर इस घटना से बिहार के राजनीतिक गलियारों में अलग ही तरह की अफवाहों-चर्चाओं को बल मिलना शुरू हो गया है.
समाज के प्रबुद्ध लोग डॉ. गोपाल खेमका हत्याकांड (Gopal Khemka Murder in Patna) में शामिल हत्यारों से पहले, पटना पुलिस को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. बिहार के सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों का मानना है कि यह सिर्फ एक व्यवसायी का कत्ल नहीं है. यह किसी नेक-सामाजिक और साधु प्रवृत्ति के इंसान और इंसानियत का खून है. उस इंसान का खून है डॉ. गोपाल खेमका (Dr Gopal Khemka) का कत्ल जो, अपना दुख भूलकर हमेशा गैरों के सुख के लिए आंधी-तूफान बारिश में हरदम खड़े रहते थे.”
साल 2018 में डॉ. गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका का बिहार के वैशाली जिले में कत्ल. उसके बाद उनके छोटे बेटे के ऊपर जानलेवा हमला. और अब 4 जुलाई 2025 को हत्यारों ने डॉ. गोपाल खेमका जैसी उस शख्शियत को ही गोलियों से भून डाला जो, बिहार और वहां के व्यवसायियों का सिरमौर थे. आखिर कौन और क्यों गोपाल खेमका के व उनके परिवार के पीछे हाथ धोकर पड़ा है? इसी सवाल के जवाब के लिए स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन ने जब डॉ. गोपाल खेमका हत्याकांड की “इनसाइड-स्टोरी” में झांकने के लिए, बिहार में कई लोगों से बात की.
पटना (बिहार) पुलिस सोती क्यों रही?
बात करने पर कुछ अलग ही कहानी निकल कर सामने आई. इस कहानी में एक सच तो सभी ने कबूला कि, “जब गोपाल खेमका और उनका परिवार कई साल से दुश्मनों के निशाने पर थे, तब से अब डॉ. गोपाल खेमका और उनके बेटे का कत्ल होने के बीच तक के वक्त में पटना या बिहार पुलिस आखिर क्यों सोती रही? बिहार की राजनीति को पांच दशक से करीब से देख रहे और देश के नामी पत्रकारों में शुमार कुमार नरेंद्र सिंह बोले, “बिहार की पुलिस और वहां के नेता अगर सुधर ही जाएंगे तब फिर बिहार की चर्चा-बदनामी ही कौन करेगा? बिहार में ओछी भाई-भतीजावाद की राजनीति, निकम्मी पुलिस और वहां के अपराध व अपराधियों से ही तो बिहार की दुनिया भर में बदनाम-पहचान है.”
उद्योगपतियों की सुरक्षा सरकार-पुलिस करे
वरिष्ठ पत्रकार कुमार नरेंद्र सिंह आगे कहते हैं, “बिहार में अगर क्राइम और नेताओं की नेतागिरी ही खत्म हो जाएगी तो फिर और बचेगा ही क्या बिहार की झोली में? यही तो बिहार में है. हां, जहां तक बात डॉ. गोपाल खेमका हत्याकांड की है तो मुझे यह कांट्रैक्ट किलिंग लगती है. कांट्रैक्ट किलिंग भी ऐसी जो कोई आदमी इस परिवार के पीछे हाथ धोकर पड़ा है. परिवार को नेस्तनाबूद करने पर. मेरी समझ नहीं आता है कि इतने बड़े व्यवसायी के परिवार के पीछे कोई हाथ धोकर पड़ा है. और बिहार के नेता-मंत्री-पुलिस किसी को भी पता ही नही है. डॉ. गोपाल खेमका जैसे उद्योगपति परिवारों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी तो बिहार सरकार और राज्य पुलिस को खुद ही अपने कंधों पर ले लेनी चाहिए. या इसके लिए भी बिहार सरकार या पुलिस तभी सोचेगी जब उसे गोपाल खेमका जैसे लोग हर महीने मोटी रंगदारी देंगे.”
डॉ. गोपाल खेमका हत्याकांड भारी पड़ेगा
सुराज पार्टी के वरिष्ठ नेता और बिहार पुलिस के सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक जितेंद्र मिश्रा कहते हैं, “इलेक्शन का वक्त है. डॉ. गोपाल खेमका जैसे एक दो नाम भी और ठिकाने लगा दिए गए, तो आगामी विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार जो कुर्सी बचानी मुश्किल पड़ जाएगी. हालांकि, इस बार के चुनाव में उनकी कुर्सी तो वैसे भी अपने आप ही खतरे में पड़ चुकी है. इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश बाबू और उनकी गठजोड़ की राजनीति की तबाही तय ही मानकर चलिए. डॉ. गोपाल खेमका के बेटे को जब 2018 में कत्ल किया जा चुका था. तब से लेकर अब तक क्यों बिहार पुलिस और राज्य के नेता-मंत्री हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे? क्यों नहीं बिहार पुलिस मुख्यालय या पटना जिला पुलिस ने इतने बड़े उद्योगपति की सुरक्षा का जिम्मा खुद ब खुद अपने कंधों पर उठाया?”
कैसे हुआ डॉ. खेमका का कत्ल?
जिक्र करना जरूरी है कि डॉ. गोपाल खेमका 4 जुलाई 2025 को रात के वक्त जैसे ही कार से बाहर निकले, उन्हें गोलियों से भून डाला गया. मौके पर ही उनकी मौत हो गई. घटनास्थल पर मौजूद लोगों में इस बात को लेकर भी काफी रोष था कि डॉ. गोपाल खेमका की हत्या हो जाने की खबर मिलने के बाद भी पुलिस बहुत देर से घटनास्थल पर पहुंची थी. गोपाल खेमका के भाई संतोष खेमका ने घटना के बारे में बताया कि, “मेरे भाई डॉ. गोपाल खेमका के कत्ल वाली जगह गांधी मैदान थाने से चंद फर्लांग की दूरी पर ही है. इसके बाद भी पटना (थाना गांधी मैदान पुलिस) पुलिस का देर से पहुंचना भी पुलिस को शक के दायरे में खड़ा करता है.
शक के दायरे में पटना पुलिस
इससे साफ जाहिर है कि पुलिस ने अपराधियों को मौके पर ही दबोचने के बजाए, उन्हें पुलिस-कानून से बच निकल भागने का मौका जान-बूझकर दिया. घटना के काफी देर बाद थाना पुलिस पहुंची और उससे भी लेट-लतीफ रहीं मौके पर पहुंचने वाली वो पटना पुलिस अधीक्षक दीक्षा जिन्हें ही राज्य पुलिस मुख्यालय ने अब इस मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी का प्रमुख भी बना डाला है. ऐसे में मुझे शक है कि मेरे भाई के कत्ल के मामले की जांच भी सही दिशा में होकर अंजाम तक पहुंचाई जा सकेगी.”
बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक बोले
अब डॉ. गोपाल खेमका का कत्ल और उससे पहले साल 2018 में उनके पुत्र का मर्डर? पिता-पुत्र दोनो को ही कत्ल कर डाला जाना और गोपाल खेमका के छोटे बेटे के ऊपर जानलेवा हमला किया जाना क्या इत्तिफाक है? पूछने पर बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक (अफना नाम न खोलने की शर्त पर) कहते हैं, “क्राइम और क्रिमिनल के कोई कायदा कानून नहीं होते हैं. वे काल पात्र का भी ध्यान नहीं रखते. उनका अपना कानून होता है. अपने द्वारा अपराध को अंजाम देने के लिए तय समय होता है. जहां तक डॉ. गोपाल खेमका हत्याकांड है.
डॉ. गोपाल खेमका के बाद अगला नंबर किसका..?
इसकी जांच पुलिस को बेहद पैनी नजर से और कई एंगल से करनी होगी. क्योंकि यह सिर्फ एक डॉ. या व्यवसायी का कत्ल भर नहीं है. यह एक उस पिता का भी कत्ल है जिसके बेटे को साल 2018 में मारा जा चुका है. पुलिस को देखना होगा कि कहीं इस हत्याकांड में भी उन्हीं लोगों का हाथ तो नहीं है जिन्होंने साल 2018 में डॉ. गोपाल खेमका के बड़े बेटे का वैशाली में कत्ल कर दिया था. अगर वे ही लोग शामिल हुए तो फिर और भी ज्यादा चिंता की बात यह होगी कि अब डॉ. गोपाल खेमका के छोटे बेटे के ऊपर भी खतरा ज्यादा बढ़ जाएगा. क्योंकि कातिलों का अगला निशाना वही हो सकता है. मुझे लगता है कि डॉ. खेमका के परिवार को ही कोई साफ करने पर उतारू है. डॉ. खेमका के परिवार के बाकी सदस्यों को सुरक्षा के लिए अब पुलिस को जल्दी से जल्दी, डॉ. गोपाल खेमका के कातिलों तक पहुंचना जरूरी होगा.”