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नीतीश सरकार की मृदा योजना ने पलट दी खेती की किस्मत, किसान बोले- मुनाफा दोगुना, लागत आधी!

बिहार सरकार की मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना किसानों के लिए गेमचेंजर साबित हो रही है. इस योजना के तहत मोबाइल वैन और मोबाइल ऐप के जरिए खेत की मिट्टी की जांच की जा रही है, जिससे किसानों को उनकी जमीन के पोषक तत्वों की सही जानकारी मिल रही है. इसके आधार पर उर्वरकों का संतुलित उपयोग संभव हुआ है, जिससे उत्पादन बढ़ा है और लागत घटी है.

नीतीश सरकार की मृदा योजना ने पलट दी खेती की किस्मत, किसान बोले- मुनाफा दोगुना, लागत आधी!
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Published on: 22 July 2025 6:44 PM

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदर्शी नीतियों और वैज्ञानिक सोच के दम पर राज्य में खेती को एक नई पहचान मिल रही है. अब खेती केवल परंपरा नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी से जुड़ी एक स्मार्ट प्रक्रिया बन चुकी है. मुख्यमंत्री के नेतृत्व में शुरू की गई मृदा स्वास्थ्य योजना किसानों के लिए गेमचेंजर साबित हो रही है, जिससे फसल की उपज बढ़ी है और लागत में भारी कटौती हुई है.

राज्य में अब किसानों को मोबाइल ऐप से अपनी मिट्टी की रिपोर्ट मिल रही है. खेत की सेहत को ध्यान में रखकर खेती करने से मुनाफा दोगुना हो रहा है. इससे स्पष्ट है कि नीतीश सरकार का यह कदम खेती को वैज्ञानिक और डिजिटल युग में ले जाने का प्रयास है.

गांव-गांव में पहुंची मोबाइल मृदा जांच प्रयोगशाला

बिहार सरकार ने गांव-गांव तक चलंत (मोबाइल) मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं भेजकर खेती की तस्वीर बदल दी है. राज्य के सभी 38 जिलों में जिला स्तरीय लैब्स के साथ-साथ प्रत्येक प्रमंडल में 9 मोबाइल लैब्स भी काम कर रही हैं जो किसानों के खेत से सीधे नमूने लेकर जांच करती हैं. वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 5 लाख से अधिक मिट्टी नमूनों की जांच की जा चुकी है, जिससे साबित होता है कि अब बिहार का किसान वैज्ञानिक पद्धति को अपनाकर खेती को उन्नति की ओर ले जा रहा है.

12 वैज्ञानिक मापदंडों पर होती है जांच

मिट्टी की गुणवत्ता को आंकने के लिए 12 वैज्ञानिक मापदंडों जैसे pH, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सूक्ष्म पोषक तत्व आदि का विश्लेषण किया जाता है. यह प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी है, जिससे रिपोर्ट की सटीकता और विश्वसनीयता बनी रहती है.

डिजिटल मृदा कार्ड से स्मार्ट खेती

अब किसान को रिपोर्ट पाने के लिए लैब के चक्कर नहीं काटने पड़ते. सरकार ने डिजिटल मृदा स्वास्थ्य कार्ड की शुरुआत की है, जो सीधे किसान के मोबाइल पर भेजा जाता है. इससे किसान अपने खेत की जरूरत के मुताबिक उर्वरक और तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उत्पादन में दोगुनी वृद्धि हो रही है.

ग्राम स्तर से लेकर विश्वविद्यालय तक मजबूत नेटवर्क

राज्य भर में 72 ग्राम स्तरीय लैब्स, 14 अनुमंडल स्तरीय नई प्रयोगशालाएं, और कृषि विज्ञान केंद्रों की लैब्स किसानों को मिट्टी जांच की सुविधा दे रही हैं. इस ढांचे से हर किसान को सटीक सलाह और वैज्ञानिक मार्गदर्शन मिल रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह मॉडल अब देशभर में चर्चा का विषय बन चुका है. उनका मानना है कि "खेती अब सिर्फ मेहनत नहीं, विज्ञान और टेक्नोलॉजी का संगम है. मृदा जांच योजना बिहार के किसानों को न सिर्फ आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि देश को टिकाऊ खेती की दिशा में प्रेरित भी कर रही है. किसान नांलदा रामदेव यादव ने कहा कि, पहले उर्वरक अंधाधुंध डालते थे, अब मिट्टी की रिपोर्ट के आधार पर डालते हैं. लागत घटी और फसल भी बढ़ी.

बिहारनीतीश कुमार
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