Muzaffarpur Rape Case: दलित बेटी मरी तो नेताओं को याद आई 'जाति'! कुढ़नी की बेटी को इंसाफ कब?
कुढ़नी की 9 साल की दलित बेटी से हैवानियत और फिर उसकी मौत ने पूरे बिहार को झकझोर दिया है. लेकिन मासूम की चीख सुनने से पहले ही नेता भाषण और बयानबाज़ी में उलझ गए. अस्पताल में बच्ची की मौत के बाद सरकार ने दो मेडिकल अफसरों को सस्पेंड कर दिया, लेकिन क्या इससे इंसाफ मिल जाएगा? यूथ कांग्रेस ने सड़कों पर उतरकर नीतीश सरकार को घेरा, पर असली सवाल ये है. क्या दलित की बेटी के लिए भी कानून वैसे ही जागेगा, जैसे किसी वीआईपी के लिए? कब मिलेगा इस बेटी को न्याय, कब रुकेगा ये सिस्टम का सन्नाटा?

Muzaffarpur Dalit Girl Rape Case: बिहार मुजफ्फरपुर की धूप अब और ज्यादा तपती लगती है. उस गांव की गलियों में अब सन्नाटा है, जहां पहले एक 9 साल की बच्ची की खिलखिलाहट गूंजती थी. वो बच्ची जो अपनी किताबों से दोस्ती करती थी, सपनों में डॉक्टर बनने की बातें करती थी… लेकिन 26 मई की शाम उसके जीवन की कहानी बेरहमी से छीन ली गई.
उस दिन गांव के ही एक दरिंदे ने उसकी दुनिया तबाह कर दी. एक दलित बच्ची के साथ बलात्कार हुआ, उसका शरीर बुरी हालत में छोड़ दिया गया. परिजनों ने जैसे-तैसे उसे अस्पताल पहुंचाया, पहले स्थानीय अस्पताल, फिर PMCH पटना. वहीं खबरों के मुताबिक बताया जा रहा है बच्ची इलाज के लिए तड़प रही थी लेकिन बिहार के सबसे बड़े अस्पताल में उसका इलाज नहीं हो सका कहा जा रहा है अस्पताल में बिस्तर न होने कारण उसे कई घंटों तक अस्पताल के बाहर ही इंतजार करवाते रहे और आखिरकार 9 साल की मासूम ने दम तोड़ दिया.
मुजफ्फरपुर दलित गर्ल रेप पर सियासत
वहीं अब बिहार में इस साल चुनाव होने को है जिसको लेकर बिहार की सियासत शुरु हो गई है. बच्ची से दुष्कर्म और मौत मामले में यूथ कांग्रेस ने आज नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ पटना में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया गया है.
सोमवार को जब उसकी मौत की खबर फैली, तो पटना का सदाकत आश्रम गुस्से और ग़म का गवाह बना. यूथ कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने नीतीश सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. नारे लगे -"नीतीश जवाब दो, बेटी का हिसाब दो!" "दलित बेटियों की कब तक चीत्कार दबी रहेगी?" स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और मुख्यमंत्री को घेरते हुए प्रदर्शनकारियों ने सवाल पूछा - "PMCH में क्यों नहीं मिली समय पर जिंदगी बचाने वाली सुविधा?"
परिजनों का आरोप है कि पुलिस शुरुआत में मामला दबाने की कोशिश कर रही थी. लड़की की हालत बेहद नाजुक थी, लेकिन सही इलाज नहीं मिला. एक बच्ची तड़पती रही… अस्पताल की दीवारें चुप रहीं… डॉक्टरों की आंखें झुकी रहीं… और सिस्टम सोता रहा.
पीड़िता की स्थिति और परिवार की मांगें
पीड़िता इस समय गहरे मानसिक और शारीरिक आघात में है. परिवार का कहना है कि उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं. FIR दर्ज होने के बावजूद आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई थी, जिससे परिवार को न्याय मिलने में संदेह है. परिजनों ने सरकार से CBI जांच की मांग की है.
प्रशासन और पुलिस की भूमिका
स्थानीय पुलिस पर यह आरोप लगा कि उन्होंने शुरुआत में मामले को दबाने की कोशिश की। जब मामला सोशल मीडिया और कुछ संगठनों के ज़रिए हाईलाइट हुआ, तब जाकर FIR दर्ज की गई.पुलिस का कहना है कि कुछ आरोपियों को पकड़ लिया गया है और बाकी की तलाश जारी है.
सियासी बवाल क्यों?
- विपक्षी पार्टियों ने इसे नीतीश कुमार सरकार की “कानून व्यवस्था की विफलता” बताया.
- RJD और कांग्रेस ने दलित बेटी के लिए “इंसाफ यात्रा” की बात की है.
- बीजेपी ने इसे “JDU-RJD की मिलीभगत से जातीय अत्याचार” करार दिया.
- दलित संगठनों ने भी सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किए और मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की.
सोशल मीडिया पर उबाल
ट्विटर पर #KudhniKiBeti, #DalitLivesMatter, #JusticeForMuzaffarpurGirl जैसे हैशटैग ट्रेंड कर चुके हैं. लोगों ने राष्ट्रीय महिला आयोग और मानवाधिकार आयोग से भी स्वतः संज्ञान लेने की मांग की है.
- अब तक क्या-क्या हुआ?
- FIR दर्ज, लेकिन गिरफ्तारी में देरी.
- NHRC को ज्ञापन सौंपा गया.
- दलित संगठनों ने बिहार बंद की चेतावनी दी.
- प्रशासन ने फास्ट ट्रैक कोर्ट की बात कही है, लेकिन कोई ठोस तारीख या रोडमैप नहीं दिया गया है.