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लालू यादव ने खोज निकाली ओवैसी फैक्टर की काट, आरजेडी खेलेगा अति पिछड़ा कार्ड, क्या है फार्मूला?

बिहार की राजनीति में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ने पार्टी के लिए नया सामाजिक समीकरण तैयार किया है. मुस्लिम मतों के बंटवारे से बचने और बीजेपी को टक्कर देने के लिए 'अति पिछड़ा' और मुस्लिम गठजोड़ की रणनीति पर उन्होंने अमल करने का फैसला लिया है. जानिए, क्या है लालू का नया चुनावी प्लान.

लालू यादव ने खोज निकाली ओवैसी फैक्टर की काट, आरजेडी खेलेगा अति पिछड़ा कार्ड, क्या है फार्मूला?
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बिहार की सियासी बिसात एक बार फिर करवट लेने को तैयार है. इस बार 'ओवैसी फैक्टर' की काट निकालने के लिए लालू प्रसाद यादव ने खुद मोर्चा संभाल लिया है. साल 2020 में मुस्लिम वोट बैंक पर एआईएमआईएम की बढ़ती पकड़ ने आरजेडी को चिंता में जरूर डाला था, लेकिन अब लालू यादव ने अपना पुराना और प्रभावशाली ट्रंप कार्ड (अति पिछड़ा फार्मूला) फिर से निकाल लिया है. ये वही कार्ड हैं जिसने कभी मंडल राजनीति को परिभाषित किया था. अब सवाल है - क्या ये चाल ओवैसी के असर को वाकई कमजोर कर पाएगी?

दरअसल, बिहार की राजनीति में मुस्लिम वोट हमेशा से RJD की कोर वोट बैंक में शामिल रहा है. पिछले दो चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने सीमांचल इलाके में जो सेंध लगाई है, उसने लालू यादव को चिंता में डाल दिया है. AIMIM न सिर्फ मुस्लिम मतों का बंटवारा कर रही है बल्कि लालू की पारंपरिक पकड़ को भी चुनौती दे रही है. अब आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने 'अति पिछड़ा कार्ड' के जरिए उसी चुनौती का जवाब तैयार कर लिया है.

‘MY’ नहीं, अब ‘AMP’ पर फोकस

आरजेडी दशकों से 'MY समीकरण' यानी मुस्लिम-यादव गठजोड़ पर निर्भर रही है, लेकिन अब समीकरण बदले के संकेत मिले हैं. आरजेडी का नया चुनावी नया फॉर्मूला है 'AMP' है. यानी अति पिछड़े, मुस्लिम और प्रगतिशील यादव. इस गठजोड़ के जरिए पार्टी न सिर्फ ओवैसी की मुस्लिम वोट में सेंधमारी की रणनीति को काटेगी बल्कि बीजेपी के OBC और नीतीश के अति पिछड़ा वर्ग फ्रंट को भी जवाब देगी.

अति पिछड़ों की नई राजनीति

बिहार में 130 से ज्यादा उपजातियों वाले अति पिछड़ा वर्ग एक बड़ी आबादी है, जो अब तक एनडीए के साथ झुकी हुई रही है, लेकिन लालू यादव अब इस वर्ग को अपना बना कर न सिर्फ AIMIM का असर खत्म करना चाहते हैं बल्कि बीजेपी के अति पिछड़ा कार्ड को भी काउंटर करना चाहते हैं. इसके तहत पंचायत स्तर तक अति पिछड़े चेहरों को आरजेडी में प्रमोट करने की योजना बनाई है.

एआईएमआईएम का इफेक्ट ऐसे होगा खत्म

लालू यादव की रणनीति से साफ है कि वह मुस्लिम वोटों को AIMIM से खींचकर फिर से RJD के साथ जोड़ने के फिराक में हैं. इसके लिए RJD सीमांचल जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में स्थानीय मुस्लिम नेताओं को टिकट देने की योजना बना रही है. ताकि ‘अपना नेता-अपनी पार्टी’ का भाव पैदा हो सके. इसके साथ-साथ ओवैसी पर ये नैरेटिव भी सेट किया जा रहा है कि AIMIM सिर्फ बीजेपी को फायदा पहुंचाने का काम करती है.

बीजेपी के खिलाफ राजनीतिक सामाजिक गठजोड़

दरअसल, बीजेपी ने बिहार में OBC कार्ड खेलकर लालू यादव के 'social justice' ब्रांड को काफी हद तक नुकसान पहुंचाया है. लालू यादव का प्रयास है कि मुस्लिमों के साथ अति पिछड़े वर्ग का ‘पीड़ित और उपेक्षित’ नैरेटिव बनाकर महागठबंधन को एक नया सामाजिक आधार कैसे मिले. इस बात को ध्यान में रखते हुए अब RJD की नजर अब महादलित, मुसहर, निषाद, कुशवाहा, धींवर जैसे वोट बैंक पर है, जो न सिर्फ AIMIM बल्कि बीजेपी दोनों को झटका दे सकते हैं.

साल 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में सीमांचल की कुल 24 सीटों में से एआईएमआईएम 5, आजेडी 4, बीजेपी 6, जेडीयू 5, कांग्रेस 2 वीआईपी एक और निर्दलीय के खाते में एक सीटें गई थी.

सीमांचल में हिंदू-मुस्लिम धुव्रीकरण नहीं होने देंगे - नवल किशोर यादव

आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवल किेशोर यादव का कहना है कि पहली बात तो यह है कि हमारी पार्टी चुनाव को किसी भी हालत में हिंदू-मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण नहीं होने देना चाहती. साल 2020 की तरह ही पार्टी का प्रयास सभी वर्गों का समर्थन हासिल करना है. जहां तक सीमांचल की बात है तो ओवैसी फैक्टर स्थानीय समीकरण के हिसाब से प्रभावी रहा, जिसका ​बीजेपी ने ध्रुवीकरण कर लाभ उठाया. इस बार हम लोगों का प्रयास ओवैसी फैक्टर को कम करने के साथ दलित मतदाताओं को अपने पक्ष में बनाए रखने की है. ऐसा इसलिए कि सीमांचल की 24 सीटों पर दलित फैक्टर भी काफी असरकारी है. आरजेडी का जोर रोजगार, विकास और पलायन रोकने और सबको साथ लेकर चलने की है. ऐसा इसलिए कि ये सबकी जरूरत है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025बिहार
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