नीतीश का खेल बिगाड़ेंगे चिराग! फिर वही 2020 वाली चाल, JDU के पास है 'भीम समागम' की काट?
एलजेपीआर प्रमुख चिराग पासवान इस बार बिहार की राजनीति में किसी से सीधे टकराना नहीं चाहते. इस बार वो अपना पत्ता खोलने से भी बच रहे हैं. पार्टी के नेताओं का कहना है कि सही समय आने पर वो अपनी बात सभी के सामने रखेंगे. फिलहाल, रामविलास पासवान की नीतियों मुताबिक 'बहुजम भीम समागम' के तहत दलित, गरीब, अल्पसंख्यक, पिछड़ों को मुख्यधारा में लाने की मुहिम में जुटे हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बात एनडीए की करें या महागठबंधन की, दोनों में सीटों के आवंटन को लेकर रार मची है, लेकिन लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, साल 2020 के विधानसभा चुनाव के अनुभव से सीख लेते हुए पहले से ज्यादा आक्रामक हो गए हैं. उनके इस रुख से साफ है कि वह इस बार एनडीए में रहकर ही चुनाव लड़ेंगे, लेकिन ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी की दावेदारी को नहीं छोड़ेंगे. वह इस बार सीएम नीतीश कुमार का विरोध करने से बच रहे हैं, पर 'बहुजन भीम समागम' मुहिम शुरू कर उनकी नींद उड़ा दी है.
चिराग की पॉलिटिक्स को समझिए
यहां पर आप कहेंगे कि वो कैसे? इसके लिए आपको चिराग पासवान की राजनीति के पैटर्न पर नजर डालना होगा. उन्होंने चुनाव से ठीक पहले 'बहुजन भीम समागम' की शुरुआत की है. इसे बिहार के सभी नौ प्रशासनिक संभागों में आयोजित करने की योजना है. इसके जरिए वह बिहार की 38 प्रतिशत आबादी में बड़ा सेंध लगाना की कोशिश में जुटे हैं.
अगर ऐसा हुआ तो जिस 36 फीसदी अति पिछड़े आबादी पर जेडीयू का कब्जा है, उसका 21 प्रतिशत पर एलजेपीआर का कब्जा हो जाएगा. ऐसा इसलिए कि नीतीश कुमार के अति पिछड़ा आबादी में एससी-एसटी आबादी शामिल है. बिहार में दोनों समुदायों की कुल आबादी 21 फीसदी से ज्यादा है, जिसे चिराग पासवान एलजेपीआर के सेनानियों के जरिए अपने पक्ष में करने में जुटे हैं. इस मुहिम के लिए उन्होंने अगुवा जमुई से सांसद अरुण भारती को बनया है, जो उनके जीजा भी हैं.
एलजेपी की मुहिम यहीं तक सीमित नहीं है. पार्टी ने भीम समागम में अल्पसंख्य यानी 17 फीसदी बिहार की मुस्लिम आबादी को भी शामिल कर लिया है. भीम समागम में मुस्लिम लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. दोनों को मिला दें कि बिहार कुल आबादी में से 38 प्रतिशत आबादी पर को वह अपने पक्ष में करना चाहते हैं. इस लिहाज से चिराग पासवान का फोकस बिहार के आठ जिलों की 30 विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाने की है. यानी भीम समागम योजना एक ऐसी योजना है, जिस पर चिराग का पॉलिटिक्स निर्भर है.
यही वजह है कि सीएम नीतीश कुमार उनकी इस गुप्ता योजना को लेकर परेशान है. नीतीश इस बात को समझ रहे हैं कि ऐसे में इस बार चिराग चुनाव से पहले नहीं, उसके बार उन्हें झटका देने की योजना में हो सकते हैं.
एलजेपीआर के नेताओं का कहना है कि साल 2020 में एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल के जिलों की पांच सीटें जीतने में कामयाब हुईं थीं, लेकिन उनकी पार्टी ने नीतीश कुमार को 20 सीटों पर नुकसान पहुंचाया था. एआईएमआईएम की वजह से आरजेडी को भी पांच पहले नुकसान उठाना पड़ा था.
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एनडीए की राजनीति में हो क्या रहा है?
सीएम नीतीश कुमार चिराग से पीएम मोदी के सिवान वाले पर मंच पर पूछते हैं, सही में विधानसभा चुनाव लड़िएगा क्या? इसकी जरूरत क्या हैं? आप तो अभी नौजवान हैं. केंद्रीय मंत्री हैं. वहीं, पीएम मोदी कहते हैं कि हम तो परिवार के साथ परिवार का विकास नहीं करते. बीजेपी तो सबका साथ और सबका विकास करने में विश्वास करने वाली पार्टी है. एलजेपीआर के बिहार प्रभारी अरुण भारती कहते हैं, 'जाति जनगणना दलितों के साथ साजिश है. यह अधूरा है, जिसे वह सही तरीके पूरा कराएंगे.'
चिराग पासवान खुद बिहारी फर्स्ट का नारा लंबे अरसे से दे रहे हैं. बिहारी अस्मिता उनके लिए सबसे पहले हैं. तेजस्वी यादव नीतीश कुमार से पूछते हैं कि बिहार में विकास हुआ क्या? युवाओं को रोजगार मिले क्या, गरीबों की भलाई के लिए कुछ हुआ क्या, महिला की सुरक्षा को लेकर कुछ हुआ क्या? बिहार को स्पेशल पैकेज अभी तक क्यों नहीं मिला?
बिहार में जातीय समीकरण
बिहार में जातीय जनगणना 2023 के अनुसार राज्य में सबसे ज्यादा आबादी अति पिछड़े वर्ग की है. इसी पर नीतीश की पकड़ है. अत्यंत पिछड़ा वर्ग की कुल आबादी 36.01 फीसदी है. पिछड़ा वर्ग 27.12 फीसदी, अनुसूचित जाति के 19.6, अनुसूचित जनजाति 1.6 और जनरल कास्ट यानी जिसे सवर्णो की 15.5 प्रतिशत आबादी है.
क्या कहते हैं एलजेपीआर प्रवक्ता?
चिराग के हल्के में लेना पड़ेगा महंगा- रंजन सिंह
बिहार एलजेपीआर के प्रवक्ता रंजन सिंह ने कहा, 'चिराग पासवान एनडीए को मजबूत करना चाहते हैं. यही वजह है कि उन्होंने दलितों, गरीबों, अल्पसंख्यकों, वंचितों और मुख्यधारा से कटे अन्य लोगों को उठाने पर जोर दिया है. भीम समागम मकसद बहुत बडऋा है. इसे विरोधी दलों के नेता हल्के में ले रहे हैं, जो उनके लिए नुकसानदेह साबित होगा.'बहुजन भीम समागम' के पीछे उनकी सोच यही है. रविवार को राजगीर में चिराग पासवान इस योजना के तहत विशाल रैली को भी संबोधित करेंगे. इस रैली में तीन लाख से ज्यादा लोगों को जुटाने का लक्ष्य है. पार्टी की भीम समागम योजना हो हर हाल में सफल बनाने की है. ताकि पार्टी अपनी चुनावी रणनीति में सफल हो सके. इसके पीछे पार्टी प्रमुख की मकसद एनडीए को मजबूत करना है.'
एलजेपीआर और एनडीए की मजबूती पर जोर- विभय झा
एलजेपीआर बिहार के प्रवक्ता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विभय झा के मुताबिक, "पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान नई रणनीति के तहत ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की है. इस बार पार्टी जेडीयू के विरोध में नहीं, बल्कि उसके साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को सत्ता में वापसी कराने का काम करेगी. इस लक्ष्य को हासिल करने के मकसद से ही उन्होंने भीम समागम योजना की शुरुआत की है. इसके लिए पार्टी ने अपनी रणनीति बदल दी है. ताकि एलजेपीआर के साथ एनडीए को मजबूत करने में मदद मिले."
'बिहारी फर्स्ट, बिहार फर्स्ट' पार्टी की पहली प्राथमिकता- अंशु प्रियंका मिश्रा
एलजेपी बिहार की मीडिया पैनलिस्ट अंशु प्रियंका मिश्रा के अनुसार, "राजगीर में बहुजन भीम संकल्प समागम ऐतिहासिक होगा. यह मिशन पूरे बिहार के हित में है. हमारे नेता का उद्देश्य 'बिहारी फर्स्ट, बिहार फर्स्ट' पर ही केंद्रित है."