बिहार के हेल्थ सिस्टम की खुली पोल! मोबाइल की फ्लैश लाइट में हुई दो महिलाओं की डिलीवरी
अस्पतालों से यह उम्मीद की जाती है कि वहां मरीजों का उचित तरीके से इलाज होगा, खासकर जब गर्भवती महिला को इलाज के लिए लाया जाता है. गर्भवती महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से नाजुक स्थिति में होती हैं, ऐसे में थोड़ी सी भी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है. लेकिन बिहार के वैशाली जिले के एक अस्पताल में, दो गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों की जान को गंभीर खतरे में डालने वाला मामला सामने आया.

बिहार : अस्पतालों से यह उम्मीद की जाती है कि वहां मरीजों का उचित तरीके से इलाज होगा, खासकर जब गर्भवती महिला को इलाज के लिए लाया जाता है. गर्भवती महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से नाजुक स्थिति में होती हैं, ऐसे में थोड़ी सी भी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है. लेकिन बिहार के वैशाली जिले के एक अस्पताल में, दो गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों की जान को गंभीर खतरे में डालने वाला मामला सामने आया.
वैशाली के सहदेई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव पीड़ा से कराहती दो महिलाओं का प्रसव, स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा मोबाइल की फ्लैश लाइट की मदद से कराया गया. यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया. यह घटना बुधवार देर रात की बताई जा रही है, जब अस्पताल में बिजली नहीं थी और जनरेटर चालू करने वाला कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। इस वजह से, प्रसव मोबाइल की रोशनी में कराना पड़ा.
स्वास्थ्य कर्मियों का बयान
स्वास्थ्य केंद्र में तैनात एएनएम (ANM) कुमारी आशा ने बताया कि बुधवार देर रात करीब 1:30 बजे बिजली कट गई थी. उस समय दो महिलाएं प्रसव के लिए आई थीं, लेकिन बिजली की व्यवस्था न होने के कारण रात 2:10 बजे मोबाइल की फ्लैश लाइट में डिलीवरी करानी पड़ी. उन्होंने यह भी बताया कि अस्पताल में पानी की भी कमी थी, जिससे स्थिति और खराब हो गई थी.
अस्पताल में न सिर्फ बिजली, बल्कि पानी की भी सुविधा नहीं थी. डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि जनरेटर तो था, लेकिन उसे चलाने वाला कोई नहीं था. मरीजों के परिजनों को शौच के लिए बगीचे में जाना पड़ा क्योंकि अस्पताल में पानी की कमी थी.
मरीजों के परिजनों की परेशानी
गर्भवती महिलाओं के परिजनों ने बताया कि उन्हें इस लापरवाही के चलते अंधेरे में डिलीवरी करानी पड़ी. दोनों महिलाएं सहदेई प्रखंड के अलग-अलग गांवों से थीं, और उनके परिजन उन्हें अस्पताल लेकर आए थे. बिजली और पानी की सुविधाएं न होने के कारण, यह प्रसव एक बेहद असुविधाजनक और खतरनाक परिस्थिति में हुआ.
इस घटना ने एक बार फिर से ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही की पोल खोल दी है. गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों की जान जोखिम में डालना किसी भी समाज के लिए बेहद चिंता का विषय है.