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कभी चले थे वैरागी बनने, कैसे हुई क्राइम वर्ल्ड में वापसी? कहानी 'मोकामा के डॉन' अनंत सिंह की

Former Mokama MLA Anant Singh Story: बिहार के मोकामा में बुधवार को हिंसक रूप ले लिया और पूर्व विधायक अनंत सिंह और कुख्यात सोनू-मोनू गिरोह के बीच अंधाधुंध फायरिंग हुई. पुलिस ने मामले में कुल तीन एफआईआर दर्ज की हैं. अनंत सिंह को पहली बार 9 साल की उम्र में गिरफ्तार किया गया था.

कभी चले थे वैरागी बनने, कैसे हुई क्राइम वर्ल्ड में वापसी? कहानी मोकामा के डॉन अनंत सिंह की
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Former Mokama MLA Anant Singh
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 23 Jan 2025 3:58 PM IST

Former Mokama MLA Anant Singh Story: 52 से अधिक अपराधिक मामले और घोड़ो से प्रेम, ये है कहानी है बिहार की राजधानी पटना से 95 km और 2 घंटे 10 मिनट दूर रहने वाले बाहुबली नेता अनंत सिंह की. ठेठ अंदाज और बेबाक बोल ही उनकी पहचान है. 'छोटे सरकार' के नाम से मशहूर अनंत सिंह इन दिनों मोकामा में हुए सोनू-मोनू के साथ गैंगवार को लेकर चर्चा में हैं, जहां कई राउंड हुई फायरिंग ने इलाके में दहशत फैली दी है.

अनंत सिंह की क्राइम हिस्ट्री करीब 4 दशक से अधिक पुरानी है. उनके खिलाफ पहला मामला साल 1979 के मई महीने में दर्ज किया गया था. ये मामला उन पर हत्या के आरोप में दर्ज हुई था. मूंछों पर ताव और ब्लैक गॉगल्स पहने 'मोकामा के डॉन' जब अपने इलाके में काफिलों के साथ शान से घूमते हैं, तो उनके सामने हर कोई फेल हो जाता है. शान-ओ-शौकत से रहने वाले अनंत सिंह कहते हैं - 'मौत से हमको डर नहीं लगता, सब ऊपरवाले के हाथ में है.'

राजपूतों और भूमिहार के खूनी खेल में अनंत की एंट्री

बिहार के बाहुबली अनंत सिंह ने अपराध की दुनिया में तब कदम रखा, जब बिहार में राजपूतों और भूमिहार के खूनी खेल खेला जा रहा था. लदमा में जन्में अनंत तब महज 9 साल के थे, जब वो पहली बार जेल गए थे. इसके बाद नेता और प्रशासन क्या, सब उनके आगे घुटने टेकने लगे.

अनंत सिंह अपने बड़े भाई दिलीप सिंह के सहारे राजनीति में कदम रखा था. उनके भाई भी बूथ कब्जाने के बाद ही पहली बार 80 के दशक में पहली बार विधायक बने थे और पूर्व मुख्यमंत्री प्रमुख लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की सरकार में मंत्री भी रह चुके थे.

वैराग्य ले चुके अनंत सिंह की कैसे हुई वापसी

लोग बताते हैं कि अनंत कम उम्र में वैराग्य के मार्ग पर चल पड़े थे. इस दौरान वो अयोध्या, हरिद्वार और अन्य धार्मिक जगहों पर रहने लगे. इस दौरान उन्होंने साधु का एक दल भी ज्वाइन कर लिया था, लेकिन वहां भी उनका झगड़ा हो गया.

तभी खबर आई कि सबसे बड़े भाई बिरंची सिंह की हत्या कर दी गई. गुस्से से तिलमिलाए अनंत निकल पड़े अपने घर की ओर और अपने भाई के हत्यारे को ढूंढने लगे. एक पता चला कि हत्यारा नदी के उस पार है. अनंत नदी तैरकर वहां पहुंचे और हत्यारे को ईंट-पत्थरों से कुचलकर मार दिया. ये उनके लिए भाई की हत्या का बदला था.

बंदूकें, मर्सिडीज़ और घोड़े के शौकिन अनंत

अनंत सिंह ने 2012 में दिल्ली से एक आलीशान घोड़ागाड़ी खरीदी थी और उन दिनों मौज-मस्ती के लिए इसी से यात्रा करते थे. अनंत सिंह 2013 में बिहार विधानसभा सत्र में घोड़ागाड़ी पर सवार होकर आने के कारण चर्चा में आए थे. वह अपनी मर्सिडीज कार को लेकर भी सुर्खियों में रहते हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अनंत सिंह ने 2007 में सोनपुर पशु मेले में लालू यादव से भी एक घोड़ा खरीदा था. लेकिन उन्हें पता था कि अगर उन्होंने अपनी पहचान बता दी तो वो उन्हें घोड़ा नहीं बेचेंगे, इसलिए उन्होंने किसी और को भेजा था.

अनंत सिंह के जुर्म की टाइमलाइन पर एक नजर-

  • अनंत सिंह के अपराध जगत की शुरुआत तब हुई जब उनके बड़े भाई दिलीप सिंह स्थानीय गैंगस्टर कामदेव सिंह के करीबी सहयोगी बन गए. कामदेव की हत्या के बाद दिलीप ने उनके आपराधिक साम्राज्य को अपने हाथ में ले लिया.
  • पहली बार साल 2024 में अनंत सिंह को पकड़ने के लिए बिहार STF की टीम मोकामा पहुंची. छापेमारी के दौरान ताबड़तोड़ गोलियां चली, जिसमें अनंत सिंह के 8 लोग और 1 जवान मारे गए. गोली तो अनंत सिंह को भी लगी थी, लेकिन वह भागने में कामयाब हो गए.
  • साल 2005 में तो अनंत सिंह के समर्थकों ने इंटरव्यू लेने आए पत्रकार को पहले तो खूब पिटा और फिर उसे बंधक बना लिया.
  • कुल मिलाकर उन्हें केवल दो मामलों में एक 2015 में और दूसरा 2019 में दोषी ठहराया गया.
  • 2015 में उनके परिवार की किसी महिला से 4 युवकों ने छेड़छाड़ कर दी थी, तब अनंत सिंह पर आरोप है कि उन्होंने सभी 4 लड़कों का अपहरण कर लिया था.
  • इनमें से पुतुश यादव का शव अनंत सिंह के पैतृक गांव नदावन में मिला था. इस लेकर पटना पुलिस ने उनके आवास पर छापा भी मारा था.
  • 2019 में पटना पुलिस ने 16 अगस्त की सुबह उनके घर पर छापा मारा और एके-47 और हैंड ग्रेनेड बरामद किए. वह शुरू में गिरफ्तारी से बचने में कामयाब रहा और फिर एक हफ़्ते बाद दिल्ली की एक स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया. 2022 में अनंत सिंह को 2015 के मामले में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई.
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