बिहार चुनाव पर बीजेपी और RJD एक सुर में! लेकिन 'बुर्का' वाले बयान से मचा सियासी बवाल- आरजेडी बोली- राजनीति चमकाना...
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और आरजेडी के बयानों में हैरान कर देने वाली समानता दिखी, लेकिन एक नेता के 'बुर्का' वाले बयान ने सियासी माहौल गरमा दिया है. आरजेडी ने इस बयान को महिलाओं का अपमान बताते हुए भाजपा पर राजनीति चमकाने का आरोप लगाया, जबकि भाजपा नेताओं ने इसे गलत तरीके से पेश करने की बात कही.

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां अब तेज़ हो चुकी हैं. इसी बीच शनिवार को बीजेपी ने चुनाव आयोग से मांग की कि राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव एक या दो चरणों में कराए जाएं. इसके साथ ही पार्टी ने यह भी आग्रह किया कि मतदान केंद्रों पर बुर्का पहनने वाली महिलाओं की पहचान उनके वोटर आईडी (EPIC) कार्ड से ठीक तरह से मिलान की जाए. हालांकि, बीजेपी की इस मांग ने नया विवाद खड़ा कर दिया. मुख्य विपक्षी दल आरजेडी ने इसे 'राजनीतिक साज़िश' करार देते हुए कहा कि बीजेपी महिलाओं के बहाने अपनी राजनीति चमकाना चाहती है. दिलचस्प बात यह रही कि दोनों दल चुनाव को एक या दो चरणों में कराने पर एकमत नजर आए.
चुनाव आयोग से मुलाकात में क्या बोली बीजेपी?
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में बिहार दौरे पर पहुंचे चुनाव आयोग के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद राज्य बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि 'हमने चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि विधानसभा चुनाव एक या दो चरणों में ही संपन्न कराए जाएं. चुनाव प्रक्रिया को अनावश्यक रूप से लंबा न खींचा जाए. साथ ही बुर्का पहनने वाली महिला मतदाताओं की पहचान उनके EPIC कार्ड से अवश्य मिलाई जाए ताकि सिर्फ असली वोटर ही वोट डाल सकें.' बीजेपी ने आयोग से यह भी कहा कि चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद कम से कम 28 दिन का अंतर रखते हुए मतदान नवंबर के पहले हफ्ते (3 या 4 नवंबर से) शुरू किया जाए.
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बुर्का विवाद पर आरजेडी का पलटवार
बीजेपी के इस बयान पर आरजेडी ने तीखी प्रतिक्रिया दी. पार्टी के लोकसभा नेता अभय कुशवाहा ने कहा कि 'यह एक राजनीतिक साजिश है. अभी हाल ही में विशेष मतदाता सूची संशोधन (SIR) हुआ है. नए EPIC कार्ड बनाए जा रहे हैं, जिनमें ताज़ा तस्वीरें हैं. पहचान में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन बीजेपी अपनी राजनीति के लिए यह मुद्दा उठा रही है. हालांकि कुशवाहा ने भी माना कि उनकी पार्टी भी चाहती है कि चुनाव अधिकतम दो चरणों में ही हों. उन्होंने आयोग से छठ पूजा के बाद चुनाव कराने की भी मांग की, जो इस साल अक्टूबर के अंत में दीवाली के छह दिन बाद है.
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन जैसी पार्टियों ने भी आयोग के सामने यही मांग रखी कि विधानसभा चुनाव “दो चरणों से अधिक में न हों. बीजेपी ने आयोग से यह भी आग्रह किया कि जिन गांवों में कमजोर वर्गों की आबादी अधिक है, वहां मतदान से पहले अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जाए और फ्लैग मार्च जैसी कवायद कराई जाए ताकि मतदाताओं में भरोसा बढ़े. जायसवाल ने कहा कि जिन नदी किनारे वाले इलाकों में बूथ कैप्चरिंग का इतिहास रहा है, वहां घुड़सवार बल (cavalry) की भी तैनाती की जाए.”
वहीं आरजेडी ने आयोग से आग्रह किया कि संवेदनशील बूथों की पहचान जल्द की जाए और उसकी सूची सभी दलों के साथ साझा की जाए, ताकि कमजोर वर्गों के मतदाताओं को डराने-धमकाने की घटनाओं को रोका जा सके. चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को यह भी सलाह दी कि मतदान समाप्ति के बाद उनके एजेंट Form 17C अवश्य प्राप्त करें. आरजेडी नेता कुशवाहा ने कहा कि कई बार एजेंट बूथ छोड़कर चले जाते हैं और बाद में विवाद खड़ा हो जाता है. आयोग ने कहा है कि 17C फॉर्म अब कम्प्यूटरीकृत रूप में उपलब्ध रहेगा और उम्मीदवारों को इसका प्रिंटआउट जरूर दिया जाएगा.”
मतदाता सूची से नाम हटाने पर आरजेडी के सवाल
आरजेडी ने आयोग से यह भी मांग की कि हाल ही में मतदाता सूची से हटाए गए 3.66 लाख नामों का पूरा ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए. पार्टी का आरोप है कि यह कार्रवाई भाजपा-नीत एनडीए को “लाभ पहुंचाने” के लिए की गई है. इसके अलावा, आरजेडी ने आयोग से यह भी कहा कि नीतीश सरकार को बिना बजटीय प्रावधान वाले लोकलुभावन ऐलानों से रोका जाए और चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं द्वारा निजी हमले या अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर सख्त रोक लगाई जाए.