कौन हैं Naaz Shaikh, जिन्होंने Songs of Forgotten Trees फिल्म में किया काम, Venice में किया असम का नाम रोशन
असम की मिट्टी से निकली एक नई चमक ने अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के मंच पर सबका ध्यान खींच लिया है. नाज़ शेख़, जिनका बचपन गुमनामी और संघर्षों के बीच बीता, आज वेनिस फिल्म फेस्टिवल में अपनी पहली ही फिल्म Songs of Forgotten Trees के ज़रिए दुनिया भर में चर्चा का विषय बनी हुई हैं.

कभी फिल्मों की चमक-दमक सिर्फ अख़बार के संडे सप्लीमेंट तक सीमित थी. गुवाहाटी के पास कामरूप जिले के छोटे से कस्बे धामपुर, हाजो में पली-बढ़ी नाज़ शेख के लिए वेनिस फिल्म फेस्टिवल का रेड कार्पेट एक दूर का सपना लगता था.
एक बढ़ई पिता की बेटी, छह भाई-बहनों के बीच बड़ी हुई यह लड़की जिंदगी की तंग गलियों से निकलकर आज दुनिया के सबसे बड़े मंचों पर खड़ी है. सितंबर 2025 में उनकी पहली फिल्म Songs of Forgotten Trees ने 82वें वेनिस फिल्म फेस्टिवल में धमाल मचाया और यही पल नाज़ शेख की जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट बन गया.
बचपन में पढ़ती थीं फिल्मी किस्से
नाज़ का बचपन आसान नहीं था. पिता बढ़ई का काम करके किसी तरह परिवार चलाते थे. घर में छह बच्चों की जिम्मेदारी और आर्थिक तंगी हमेशा साथ रहती. नाज़ ने अपने माता-पिता को जल्दी ही खो दिया. लेकिन सपनों को जिंदा रखने वाली यह लड़की कभी हार नहीं मानी. उन्हें बचपन से ही फिल्मों से जुड़ी बातें पसंद थीं. वह जब छोटी थीं, तो रविवार को अखबार में आने वाले फिल्मी किस्से पढ़ती थी. उन तस्वीरों और कहानियों को अपने ख्वाबों में संजो लेती थी.
फैशन डिज़ाइनिंग से मॉडलिंग तक
स्कूलिंग पूरी करने के बाद उन्होंने फैशन डिज़ाइनिंग का रास्ता चुना. पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्हें खुद कमाना पड़ा. बेंगलुरु पहुंचकर नाज़ ने रैंप पर चलना शुरू किया. फैशन शो, छोटे-बड़े ब्रांड्स के एड्स और मॉडलिंग असाइनमेंट उनकी पढ़ाई और जिंदगी का सहारा बने. 50 से ज्यादा फैशन शो का हिस्सा बनीं, जिनमें बेंगलुरु फैशन वीक जैसे बड़े मंच भी शामिल थे. पेप्सिको, अमेज़न और तनेरा जैसी कंपनियों के कैंपेन में काम किया. लेकिन उनके दिल में हमेशा एक ही आवाज गूंजती रही- मुझे एक्टर बनना है.
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नौकरी छोड़कर एक्टर बनने मुंबई पहुंची
2022 में नाज़ ने बड़ा फैसला लिया. उस समय वे बेंगलुरु की शाही एक्सपोर्ट्स कंपनी में नौकरी कर रही थीं. लेकिन दिल कह रहा था कि दो नाव पर सवार रहना संभव नहीं. उन्होंने नौकरी छोड़ी और सीधे मुंबई का रुख किया. मुंबई में शुरुआती स्ट्रग्ल के बीच उन्हें बड़ा मौका मिला. गुलज़ार द्वारा लिखे और सलीम आरिफ द्वारा निर्देशित नाटक बॉस्की के कप्तान चाचा में रोल मिला. यह उनका लॉन्चपैड साबित हुआ. इसके बाद छोटे-छोटे टीवी रोल और एड्स उनके हिस्से आने लगे.
‘Songs of Forgotten Trees’ तक का सफर
दिसंबर 2023 में उनकी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया जिसने सबकुछ बदल दिया. उनकी दोस्त और फिल्ममेकर अनुपर्णा रॉय ने उन्हें अपनी फिल्म Songs of Forgotten Trees के लिए ऑडिशन देने को कहा. शुरुआत में नाज़ ने सोचा भी नहीं था कि ये रोल उन्हें मिलेगा. लेकिन ऑडिशन के बाद अनुपर्णा को वही चेहरा और वही इमोशन्स मिले, जिनकी वह तलाश कर रही थीं.
फिल्म में किरदार
फिल्म में नाज़ का किरदार थूया है, एक ऐसी लड़की जो मुंबई में एक्टिंग के सपने लेकर आती है लेकिन जीने के लिए सेक्स वर्क करने को मजबूर हो जाती है. वह अपने फ्लैटमेट श्वेता के साथ एक नाजुक लेकिन मजबूत रिश्ता बनाती है. यह किरदार बेहद जटिल और संवेदनशील था. नाज़, उनकी को-एक्टर और अनुपर्णा तीनों ने दो महीने तक साथ रहकर अपने किरदारों की बारीकियों को असिमिलेशन किया.
परिवार और साहस
फिल्म में कई इंटिमेट सीन थे. नाज़ शुरुआत में घबराईं कि उनका परिवार कैसे रिएक्शन देगा. लेकिन फिल्म देखने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि उनकी चिंता बेवजह थी. परिवार शायद वर्ल्ड सिनेमा या वेनिस का महत्व नहीं समझता, लेकिन उन्होंने हमेशा नाज़ का साथ दिया. गरीबी और मुश्किलों में जो रिश्ते खड़े रहें, वही सबसे बड़ी ताकत बनते हैं.
असम से लगाव और भविष्य के सपने
भले ही नाज़ अब मुंबई और दुनिया के मंच पर पहचान बना रही हैं, लेकिन उनका दिल आज भी असम से जुड़ा है. वह कहती हैं – “मैं असम से बहुत प्यार करती हूं. अगर मौका मिले तो असमिया फिल्मों में भी काम करना चाहूंगी.”