तिनसुकिया में क्यों बढ़ रहे मानसिक रोगी? 151 फीसदी से ज्यादा बढ़ी मरीजों की संख्या
असम के तिनसुकिया जिले में मानसिक रोगियों की संख्या में चिंताजनक 151 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि अस्पताल में भर्ती मामलों में 206 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. डॉक्टरों के अनुसार, डिप्रेशन, एंग्जायटी, नशा और सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव मुख्य कारण हैं. बढ़ते मानसिक दबाव के चलते आत्महत्या और आपराधिक घटनाएं भी बढ़ रही हैं. जिला प्रशासन ने मासिक जांच शिविर और जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए हैं ताकि समय पर इलाज और सहयोग सुनिश्चित किया जा सके.

Tinsukia mental health crisis Assam: असम के तिनसुकिया जिले के मानसिक स्वास्थ्य विभाग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2025 तक जिले में मानसिक रोगियों की संख्या में 2021 की तुलना में 151 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. साथ ही, अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या में 206 फीसदी का इजाफा हुआ है. 2021-22 में जहां 2,896 मरीज दर्ज हुए थे, वहीं 2024-25 (मार्च 2025 तक) यह आंकड़ा 7,292 तक पहुंच गया. अस्पताल में भर्ती (इनपेशेंट) मरीजों की संख्या भी 192 से बढ़कर 588 हो गई है.
मानसिक स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, कई लोग अब भी इलाज नहीं करवा पा रहे हैं, क्योंकि समाज में मानसिक बीमारियों को लेकर जागरूकता की भारी कमी है. अंधविश्वास और शर्मिंदगी के कारण लोग इलाज से बचते हैं. हालांकि, विभाग की जागरूकता मुहिमों के कारण अब कई लोग आगे आ रहे हैं.
बढ़ रही हैं युवाओं में नशा-जनित मानसिक बीमारियां
डिप्रेशन, एंग्जायटी, बायपोलर डिसऑर्डर, सिज़ोफ्रेनिया, और नशे से जुड़ी मानसिक बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. विशेषकर ड्रग्स और सोशल मीडिया की लत युवाओं की मानसिक स्थिति को बिगाड़ रही है. शैक्षणिक दबाव, अभिभावकों की हद से ज्यादा अपेक्षाएं और कोविड महामारी के प्रभाव भी मानसिक तनाव को बढ़ा रहे हैं.
प्रशासन का प्रयास
तिनसुकिया में चार स्वास्थ्य खंडों में हर गुरुवार मासिक मानसिक स्वास्थ्य जांच शुरू की गई है:
- पहला गुरुवार: हपजान पीएचसी
- दूसरा गुरुवार: डूमडूमा एफआरयू
- तीसरा गुरुवार: चापाखोवा एसडीसीएच
- चौथा गुरुवार: मार्गेरिटा सीएचसी
इसके अलावा लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई सिविल अस्पताल में रोजाना मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं.
इलाज संभव, प्रबंधन आवश्यक
डॉक्टरों के अनुसार, मानसिक रोगों का समय पर इलाज और परामर्श, नियमित दवा, जीवनशैली में बदलाव, योग-ध्यान और पारिवारिक सहयोग से रोग को नियंत्रित किया जा सकता है. स्वास्थ्य विभाग ने अपील की है कि जागरूक बनें, इलाज के लिए आगे आएं, और समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सकारात्मक सोच बनाएं.