सीएम सरमा का बड़ा एलान! असम में अब ट्रांसजेंडर समुदाय को मिलेगा आधिकारिक पहचान पत्र, शिक्षा और नौकरी में आरक्षण
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य के ट्रांसजेंडर समुदाय को आधिकारिक पहचान पत्र और कल्याणकारी योजनाओं में आरक्षण देने की घोषणा की, जिससे उन्हें शिक्षा और नौकरियों में समान अधिकार मिलेंगे. इसी दिन उन्होंने ‘The Emergency Diaries’ नामक पुस्तक का विमोचन किया और संविधान से ‘धर्मनिरपेक्षता’ व ‘समाजवाद’ शब्द हटाने की मांग दोहराई. सरमा ने कहा कि ये शब्द आपातकाल के दौरान जोड़े गए थे और भारतीय विचारधारा के अनुरूप नहीं हैं.

Himanta Biswa Sarma on transgender rights: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को राज्य में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया. उन्होंने घोषणा की कि असम के मूल निवासी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अब आधिकारिक पहचान पत्र (ID Cards) दिए जाएंगे और उन्हें शैक्षणिक व नौकरी में आरक्षण समेत सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा.
इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्रांसजेंडर समुदाय के एक सदस्य ने कहा, "यह मुख्यमंत्री सर का बहुत ही सराहनीय कदम है. हम उनके आभारी हैं कि उन्होंने हमें गरिमा के साथ जीने का अधिकार दिया. समाज में सभी लैंगिक पहचान को बराबरी मिलनी चाहिए. यही सही दिशा है."
"हम इस बदलाव का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे"
एक अन्य सदस्य ने कहा, "हम इस बदलाव का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे. अब समुदाय भी आगे आकर इन अधिकारों का लाभ उठाएगा. बीते तीन वर्षों में काफी बदलाव आए हैं, जब हमने अपने हक की आवाज़ बुलंद की थी."
"संविधान से हटाए जाएं 'धर्मनिरपेक्षता' और 'समाजवाद' शब्द"
- मुख्यमंत्री सरमा ने 'The Emergency Diaries: Years that Forged a Leader' नामक पुस्तक का विमोचन भी किया. यह किताब भारतीय जनता पार्टी के गुवाहाटी स्थित राज्य मुख्यालय में लॉन्च की गई. इस दौरान उन्होंने संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’ शब्दों को हटाने की वकालत की.
- सरमा ने कहा, "यह सही समय है, जब हम आपातकाल की विरासत को खत्म करें, जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी उपनिवेशवादी शासन की विरासत को मिटाने का काम कर रहे हैं. ‘धर्मनिरपेक्षता’ भारतीय परंपरा ‘सर्व धर्म समभाव’ के खिलाफ है और ‘समाजवाद’ कभी भी भारत की मूल आर्थिक सोच नहीं रही." उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इन दोनों शब्दों को संविधान की प्रस्तावना से हटाया जाए, क्योंकि इन्हें आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी सरकार ने बाद में जोड़ा था, और यह संविधान के मूल स्वरूप में शामिल नहीं थे.
BlueKraft ने प्रकाशित की किताब
किताब को BlueKraft ने प्रकाशित की है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के युवावस्था के दौरान आपातकाल में उनके संघर्ष और लोकतंत्र के लिए किए गए गुप्त आंदोलन की कहानियों को पहले-पहल साझा किया गया है. यह किताब दर्शाती है कि कैसे एक युवा प्रचारक नरेंद्र मोदी ने तानाशाही के खिलाफ मोर्चा संभाला और लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.