रंग लाया संघर्ष! असम में भर-राजभर समुदाय को मिला ओबीसी का दर्जा
असम में अखिल भारतीय भर-राजभर संगठन को ओबीसी जाति का दर्ज मिल गया है. असम सरकार के इस फैसले से राजभर संगठन को ओबीसी का दर्जा मिलने से पूरे असम में समुदाय के करीब 7 लाख से ज्यादा सदस्यों को लाभ मिलेगा. वह आरक्षण के लिए वर्ष 1983 से संघर्ष कर रहे हैं. इससे समुदाय को सरकारी योजनाओं , नौकरी और बच्चों को स्कूल-कॉलेज एडमिशन लेते समय फायदा होगा.

Assam News: असम में अखिल भारतीय भर-राजभर संगठन को ओबीसी जाति का दर्ज मिल गया है. इस संबंध में असम राज्य समिति ने एलान किया है. सरकार के इस फैसले पर संगठन ने आभार व्यक्त किया है. शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस ने समिति के अध्यक्ष ने इस बारे में जानकारी दी.
असम ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, असम सरकार के इस फैसले से राजभर संगठन को ओबीसी का दर्जा मिलने से पूरे असम में समुदाय के करीब 7 लाख से ज्यादा सदस्यों को लाभ मिलेगा. वह आरक्षण के लिए वर्ष 1983 से संघर्ष कर रहे हैं.
राजभर संगठन को मिला आरक्षण
रिपोर्ट में बताया गया कि साल 2011 में कैबिनेट मंत्री पीयूष हजारिका ने भी इस मांग पर विचार किया था. जिसने असम कैबिनेट के अंदर विचार-विमर्श के बाद संगठन को ओबीसी कैटेगरी में शामिल करने में मदद की. ये लोग कई सालों से अपने हक के लिए लड़ रहे हैं. आखिरकार उनका यह संघर्ष काम आया और ओबीसी जाति का दर्जा मिल गया. इससे समुदाय को सरकारी योजनाओं , नौकरी और बच्चों को स्कूल-कॉलेज एडमिशन लेते समय फायदा होगा.
असम सरकार का जताया आभार
भर-राजभर संगठन ने ओबीसी जाति का दर्जा मिलने पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का आभार व्यक्त किया है. संगठन ने कैबिनेट मंत्री पीयूष हजारिका, डॉ. रनोज पेगु और कैशव महंत को सपोर्ट करने के लिए धन्यवाद बोला है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में कैलाश राजभर और सचिव लाल बहादुर राजभर, लक्ष्मण राजभर संजय राजभर सहित अखिल भारतीय भर-राजभर संगठन के कई सदस्य उपस्थित रहे. वहीं हमेश राजभर और कोषाध्यक्ष बिरजू ने कहा कि भर-राजभर समुदाय को मान्यता देना असम में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
समुदाय को होगा ये लाभ
असम सरकार के इस कदम से समुदाय का जीवन पहले से बेहतर होगा. भर समाज के प्रमुख ने मीडिया से बात की और कहा कि हम असम सरकार के इस फैसले से बहुत खुश हैं. इससे अब भर और राजभर समाज को ओबीसी का प्रमाण पत्र मिलने लगेगा, जो उन्हें शैक्षणिक और सरकारी सेवाओं में आरक्षण की सुविधाओं से वंचित रहने की वजह से हमारे समाज के लोग सरकारी योजनाओं और नौकरियों में पीछे रह गए थे.