Begin typing your search...

मैंने अपना जनेऊ तोड़ दिया, ब्राह्मणों को... Zubeen Garg का रहा विवादों से पुराना नाता, अपने बयान के चलते हुए थे बैन

देश के फेमस सिंगर और एक्टर Zubeen Garg का 52 साल की उम्र में निधन हो गया. इस खबर से उनके फैंस और पूरी इंडस्ट्री में शोक की लहर आ गई है. जहां एक तरफ जुबिन के गाने लोगों के जहन में आज भी जिंदा हैं. वहीं, दूसरी ओर सिंगर का विवादों से गहरा नाता रह चुका है.

मैंने अपना जनेऊ तोड़ दिया, ब्राह्मणों को... Zubeen Garg का रहा विवादों से पुराना नाता, अपने बयान के चलते हुए थे बैन
X
( Image Source:  Instagram- @ zubeen.garg )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 4 Oct 2025 12:50 PM IST

असम के साथ-साथ देश के सबसे फेवरेट सिंगर जुबिन गर्ग अब इस दुनिया में नहीं रहे. सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग हादसे में उनकी मौत हो गई. मेघालय के तुरा में जन्मे ज़ुबिन गर्ग ने संगीत और कला की दुनिया में अपना अलग मुकाम बनाया. वह सिर्फ एक सिंगर ही नहीं थे, बल्कि मल्टीटैलेंटेड आर्टिस्ट थे.

हालांकि, जुबिन का विवादों से गहरा नाता रहा है. वह अक्सर कास्ट और भगवान को लेकर विवादित टिप्पणी कर चुके हैं. ब्राह्मणों को मार देना चाहिए और कृष्ण पर कमेंट को चलते उन्हें बैन किया गया था.

ब्राह्मणों को मार देना चाहिए

जुबिन अपने बयान को लेकर विवाद में फंस चुके हैं. दरअसल एक फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्होंने कहा था कि 'मैं ब्राह्मण हूं, लेकिन मैंने फिल्म में अपना 'लगुन' (जनेऊ) तोड़ दिया है. पहले भी मैंने इसे हटा लिया था और अब इसे नहीं पहनता. इन ब्राह्मणों को मार दिया जाना चाहिए.' सिंगर के इस बयान ने लोगों में हलचल मचा दी थी और कलाकार पर तीखी आलोचना हुई. कुछ ही समय बाद, उन्होंने अपने शब्दों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी, लेकिन विवाद उनके नाम के साथ जुड़ गया.

कृष्ण भगवान नहीं

पिछले साल अप्रैल 2024 में जुबिन ने एक और विवाद को जन्म दिया. बिहू के अवसर पर एक कॉन्सर्ट में उन्होंने दर्शकों से कहा था कि 'कृष्ण, जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवता माने जाते हैं, वास्तव में भगवान नहीं बल्कि एक इंसान थे.' इस बयान ने धार्मिक समुदाय में गुस्सा और असंतोष पैदा कर दिया.

बयान के बाद हुए थे बैन

कृष्ण को लेकर दिए गए बयान के बाद कलाकार को माजुली जिले की सतरा महासभा द्वारा सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लेने से बैन कर दिया था. इस कदम ने स्थानीय समुदाय और धार्मिक संस्थाओं के रुख को स्पष्ट कर दिया कि धार्मिक भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता बनाए रखना जरूरी है.


असम न्‍यूजजुबिन गर्ग
अगला लेख