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निजी अस्पतालों की मनमानी पर लगा ब्रेक! बिल बकाया होने पर शव रोकने पर लगेगा भारी जुर्माना, लाइसेंस भी होगा रद्द

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की है कि अब राज्य के निजी अस्पताल बिल बकाया होने पर शव नहीं रोक सकेंगे, क्योंकि यह असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि ऐसा करने वाले अस्पतालों का तीन से छह महीने में लाइसेंस निलंबित या रद्द कर दिया जाएगा. इसके साथ ही, उन पर भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा. इस प्रस्ताव को गुरुवार (11 जुलाई) को कैबिनेट ने मंजूरी दी.

निजी अस्पतालों की मनमानी पर लगा ब्रेक! बिल बकाया होने पर शव रोकने पर लगेगा भारी जुर्माना, लाइसेंस भी होगा रद्द
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( Image Source:  ANI )

Himanta Biswa Sarma Dead body release issue: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार कोएलान किया कि राज्य के निजी नर्सिंग होम अब बिल बकाया होने पर शव को रोके नहीं रख सकेंगे. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि किसी भी कानून में यह प्रावधान नहीं है कि अस्पताल किसी मृत व्यक्ति के शव को इसलिए रोके, क्योंकि परिवार अस्पताल का बिल नहीं चुका पाया. उन्होंने कहा कि अब से यदि कोई नर्सिंग होम या अस्पताल किसी शव को बंधक के रूप में रखता हुआ पाया गया तो उसे सख्त परिणाम भुगतने होंगे. दंड में तीन से छह महीने के लिए लाइसेंस निलंबन या रद्द करना और 5 लाख रुपये का जुर्माना शामिल है. वहीं, बार-बार उल्लंघन करने पर संस्थान का लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द किया जा सकता है.

सरमा ने कहा, "कई निजी अस्पताल व्यक्ति की मृत्यु के बाद शव तब तक नहीं सौंपते, जब तक पूरा बकाया नहीं चुका दिया जाता. कुछ तो मरीजों को अस्पताल में लंबे समय तक रोके रखते हैं. यह असंवैधानिक है." मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री अशोक सिंघल को निर्देश दिया है कि एक हेल्पलाइन नंबर शुरू किया जाए, जिस पर इस तरह की स्थिति में परिजन संपर्क कर सकें. इससे पुलिस हस्तक्षेप कर समय पर शव की रिहाई सुनिश्चित कर सकेगी.

"मरीजों या शव को रोकना कानूनन गलत है"

सरमा ने कहा, "अगर कोई बिल नहीं चुका पाता तो अस्पताल कानूनी रास्ता अपनाए या आपसी समझौता करे. मरीजों या शव को रोकना कानूनन गलत है. यहां तक कि जब पुलिस किसी को हिरासत में लेती है, तब भी कोर्ट को जानकारी देती है, लेकिन अस्पताल न तो पुलिस को बताते हैं, न अदालत को."

"मरीजों को उनकी आर्थिक स्थिति देखकर भर्ती करना चाहिए"

मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि इस मुद्दे को राज्य मंत्रिमंडल की अगली बैठक में उठाया जाएगा और इस पर ठोस नीति बनाई जाएगी. उन्होंने कहा, "हम जल्द ही ऐसा समाधान लेकर आएंगे, जिससे इस तरह की अमानवीय घटनाएं रोकी जा सकें. मैं हमेशा कहता आया हूं कि निजी अस्पतालों को मरीजों को उनकी आर्थिक स्थिति देखकर भर्ती करना चाहिए."

"एक दिन में 400 डॉक्टरों की भर्ती बड़ी उपलब्धि है"

इससे पहले 18 जून को मुख्यमंत्री ने 400 नव-नियुक्त मेडिकल और हेल्थ ऑफिसर्स को नियुक्ति पत्र सौंपे थे. पिछले चार वर्षों में राज्य सरकार ने कुल 1,20,359 नौकरियां दी हैं. उस मौके पर सरमा ने कहा, "असम जैसे राज्य में एक दिन में 400 डॉक्टरों की भर्ती बड़ी उपलब्धि है. यह हमारे मेडिकल शिक्षा ढांचे के तेज विस्तार की बदौलत संभव हुआ है. अब ज्यादा से ज्यादा डॉक्टर प्राइवेट की बजाय पब्लिक सेक्टर को चुन रहे हैं, जो एक सकारात्मक संकेत है."

2029 तक असम में होंगे 30 मेडिकल कॉलेज

मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि वर्ष 2029 तक असम में 30 मेडिकल कॉलेज होंगे. फिलहाल राज्य में 13 मेडिकल कॉलेज कार्यरत हैं.

असम न्‍यूज
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