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गुवाहाटी को उड़ाने की थी तैयारी, NIA का बड़ा खुलासा, चार्जशीट में ULFA-I चीफ परेश बरुआ का भी नाम

ULFA-I ने 15 अगस्त 2024 को खुद प्रेस रिलीज़ के ज़रिए बम प्लांट करने की जिम्मेदारी ली थी. अब NIA इस पूरे नेटवर्क को तोड़ने में जुटी है और परेश बरुआ जैसे वांछित नेताओं पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है.

गुवाहाटी को उड़ाने की थी तैयारी, NIA का बड़ा खुलासा, चार्जशीट में ULFA-I चीफ परेश बरुआ का भी नाम
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हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 14 Jun 2025 6:20 PM IST

15 अगस्त 2024 जब पूरा देश आज़ादी का जश्न मना रहा था, उसी समय असम की धरती पर कुछ देशविरोधी ताकतें आतंक की पटकथा लिख रही थीं. गुवाहाटी के शांत इलाकों में अचानक एक डर फैल गया. जब एक के बाद एक जगहों से आईईडी जैसी संदिग्ध वस्तुएं बरामद होने लगीं. अब, इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बड़ा खुलासा किया है.

NIA के मुताबिक़ प्रतिबंधित आतंकी संगठन ULFA-I (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट) ने 202 में स्वतंत्रता दिवस को अशांत करने की पूरी साजिश रची थी. इस साजिश की अगुवाई कर रहा था संगठन का कुख्यात प्रमुख परेश बरुआ, जिसके साथ दो और नाम सामने आए हैं. वह अभिजीत गोगोई और जाह्नु बोरुआ उर्फ अर्नोब असोम हैं. इन तीनों को गुवाहाटी के दिसपुर 'लास्ट गेट' क्षेत्र में प्लांट किए गए आईईडी से जोड़ा गया है.

धमाके नहीं हुए, लेकिन मकसद था जान-माल का नुक़सान

NIA ने अदालत में जो आरोपपत्र दाखिल किया है, उसमें साफ लिखा है कि इन आईईडी को भारत की अखंडता और संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने, जनता में डर फैलाने और सरकारी समारोहों को बाधित करने के इरादे से लगाया गया था. अभी तक हुई जांच में यह भी सामने आया है कि ULFA-I की योजना पूरे असम में 20 से अधिक स्थानों पर धमाके करने की थी, जिनमें गुवाहाटी के आठ स्थान भी शामिल थे.

सितंबर 2024 में NIA ने संभाली कमान

हालांकि शुरुआत में इस घटना की जांच स्थानीय पुलिस कर रही थी, लेकिन 26 सितंबर 2024 को केस NIA को सौंपा गया. इसके बाद NIA ने तेज़ी से कार्रवाई शुरू की और गिरीश बोरा उर्फ गौतम नामक शख्स को गिरफ्तार किया. गिरीश पर आरोप है कि स्वतंत्रता दिवस पर गुवाहाटी के गांधी बस्ती, पानबाजार, नारेंगी और लास्टगेट में आईईडी प्लांट करने में उसकी अहम भूमिका थी.

सवाल उठते हैं...

इन खबरों के बाद सवाल उठते हैं कि क्या असम में अभी भी ऐसे अलगाववादी नेटवर्क हैं? क्या त्योहारों और राष्ट्रीय पर्वों के दौरान सुरक्षा में और सख्ती ज़रूरी है? क्या ULFA-I जैसी ताक़तों को बाहरी देशों से भी समर्थन मिल रहा है? यह मामला एक चेतावनी है कि देश के अंदर छिपे कुछ चेहरे अब भी भारत की एकता के खिलाफ एक्टिव हैं, लेकिन राहत की बात यह है कि NIA जैसी एजेंसियां लगातार इन साजिशों का पर्दाफाश कर रही हैं.

असम न्‍यूज
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