हिरासत का खौफ बना रोटी का दुश्मन! डर से गुरुग्राम छोड़ लौटे असम के लोग, जानें क्या है ये माजरा
असम के युवा कामगार अब गुरुग्राम शहर छोड़कर अपने गांव वापस लौट रहे हैं. पुलिस हिरासत से डर के चलते वह अपनी रोजी-रोटी छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं. गुरुग्राम की पुलिस होल्डिंग सेंटर में लोगों को रख रही है, जिसके चलते लोग अब शहर में अपने घरों पर ताला लगाकर वापस जा रहे हैं.
जुलाई के बीच में गुरुग्राम पुलिस ने शहर में रह रहे अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या लोगों की पहचान करने के लिए एक जांच अभियान शुरू किया. इसके दौरान, कई बंगाली-मुस्लिम लोगों को पकड़कर पुलिस थानों और खास 'होल्डिंग सेंटरों' में रखा गया. हालांकि, कागज़ों की जांच के बाद अब तक कम से कम 250 लोगों को यह साबित होने पर छोड़ दिया गया है कि वे भारत के ही नागरिक हैं.
इस अभियान का असर असम के लोगों पर पड़ रहा है, जो इस शहर में काम करते हैं. वह अब डर के चलते अपने गांव वापस लौटने पर मजबूर हो गए हैं. अनवर के साथ-साथ गुरुग्राम में काम कर रहे सात और बंगाली-मुस्लिम पुरुष पुलिस द्वारा पकड़े जाने के डर से अपना काम छोड़कर वापस अपने गांव लौट आए हैं.
घर छोड़कर फिर घर लौटना
16 जुलाई को अनवर के चाचा को पुलिस बुलाने लगी, तो मकान मालिक ने बताया कि पूछताछ के लिए थाने जाना होगा, लेकिन पूछताछ एक हफ्ते की कैद में बदल गई. जब तक कोकराझार की लोकल पुलिस ने यह पुष्टि नहीं की कि वे वहीं के निवासी हैं, उन्हें नहीं छोड़ा गया. इसी डर से अनवर ने अपनी कंपनी को बताया और शुक्रवार की रात अपने कमरे में ताला लगाकर ट्रेन से गांव लौट आए. अनवर ने कहा कि 'शुक्र है कि मैंने अपनी पत्नी और बच्चों को पहले ही गांव भेज दिया था.'
'हर दिन लगता था, अब बारी मेरी है…'
25 साल के हज़रत अली शहर की एक झुग्गी बस्ती में रहते थे. उन्होंने बताया कि 'दो दिन तक पुलिस रोज़ आई और दो-दो लोगों को उठाकर ले गई. तीसरे दिन 25 लोगों को पकड़ लिया गया.' हज़रत ने कहा कि झुग्गियों में लोग खाना बनाना छोड़कर अपने बैग पैक करने लगे थे. रात में भी नींद नहीं आती थी, कोई भी दरवाज़ा खटखटाता तो लगता, अब मेरी बारी है.
काम छोड़ना आसान नहीं
अमीनुल हक जो अपने भाई के साथ काम सीखने गुरुग्राम आए थे, सिर्फ तीन महीने बाद ही डर के कारण वापस लौट गए. उन्होंने कहा कि ' हमें लगा था बड़ा शहर कुछ सिखाएगा, लेकिन वहां तो पहचान ही कटघरे में खड़ी थी.'
गुरुग्राम पुलिस का भरोसा
गुरुग्राम पुलिस का कहना है कि जिनके पास दस्तावेज़ हैं, उन्हें डरने की कोई ज़रूरत नहीं है. लेकिन जिन लोगों ने परिवार से दूर रहकर सालों तक मेहनत की, उनके लिए यह सिर्फ एक जाँच नहीं, बल्कि एक सहमा देने वाला अनुभव बन चुका है.





