Adani के एयरोट्रॉपोलिस प्रोजेक्ट पर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, गुवाहाटी एयरपोर्ट के पास 1000 से अधिक परिवारों पर विस्थापन का खतरा
गुवाहाटी में लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास अडानी समूह से जुड़े एरोट्रॉपोलिस प्रोजेक्ट के लिए असम सरकार ने लगभग 1,000 परिवारों को बेदखली का नोटिस भेजा है. आजरा, गराल और मिर्जापुर क्षेत्रों की लगभग 410 बीघा जमीन अधिग्रहित की जा रही है, जिससे पुश्तैनी जमीन खोने को लेकर लोगों में गहरी चिंता और गुस्सा है. ग्रामीणों ने पारदर्शिता, सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन और निष्पक्ष पुनर्वास की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं.
Adani Guwahati Airport Project Protest: गुवाहाटी के लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास बसे गांवों में हड़कंप मच गया है. राज्य सरकार ने अडानी समूह से जुड़े एक महत्वाकांक्षी एयरोट्रॉपोलिस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे आज़ारा, गराल और मिर्ज़ापुर जैसे इलाकों में रहने वाले 1,000 से अधिक परिवारों को अधिग्रहण नोटिस थमा दिए गए हैं. इससे ग्रामीणों में विस्थापन, मुआवजे और पुश्तैनी जमीन के भविष्य को लेकर भारी चिंता है.
कामरूप ज़िला प्रशासन द्वारा जारी अधिसूचना (पत्र संख्या 678988/2 दिनांक 19 जुलाई) के अनुसार, असम भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1964 की धारा 3(1) के तहत करीब 410 बीघा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में है. इसमें आज़ारा में 400 बीघा, गराल में 70 बीघा और मिर्ज़ापुर में 250 बीघा से अधिक भूमि शामिल है.
स्थानीय लोग क्यों नाराज हैं?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पूरी प्रक्रिया जल्दबाज़ी में और पारदर्शिता के अभाव में चलाई जा रही है. आज़ारा, गराल और बोरझार क्षेत्रों के ग्रामीण प्रदर्शन कर रहे हैं और पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA), पारदर्शी प्रक्रिया और उचित पुनर्वास की मांग कर रहे हैं. एक किसान अनुपम डेका ने कहा, “हम विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हमारे साथ खुलकर बात होनी चाहिए. मुआवज़ा पारदर्शी और उचित हो. अभी सब कुछ छुपा हुआ लगता है.”
“यह सिर्फ ज़मीन नहीं, हमारी यादें हैं”
गराल के एक बुज़ुर्ग निवासी ने भावुक होते हुए कहा, “हम आज़ादी से पहले से इस ज़मीन पर रह रहे हैं. यह सिर्फ ज़मीन नहीं, हमारी यादें हैं. सरकार अगर हमसे ज़मीन ले रही है तो पुनर्वास की जिम्मेदारी भी निभाए.”
“जिस किसी की ज़मीन ली जाएगी, उसे मुआवज़ा ज़रूर मिलेगा”
अधिग्रहण नोटिस जारी होने के बाद कई जगह विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. कुछ ग्रामीणों ने कहा है कि यदि सरकार प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायसंगत बनाती है, तो वे परियोजना के लिए भूमि देने को तैयार हैं. कामरूप (मेट्रो) ज़िला प्रशासन के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया, “जिस किसी की ज़मीन ली जाएगी, उसे मुआवज़ा ज़रूर मिलेगा. बिना उचित मुआवज़े के भूमि अधिग्रहण संभव नहीं है.”
कांग्रेस ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
वहीं, विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता दिब्रतर सैकिया ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा, “असम सरकार 1,000 से ज्यादा परिवारों को उजाड़ने की योजना बना रही है, और अडानी समूह के लिए ज़मीन को असम इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (AIDC) के नाम पर अधिग्रहीत कर रही है.” सैकिया का कहना है कि इससे सैकड़ों स्थानीय परिवारों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा.
अडानी और सरकार की क्या योजना है?
गौरतलब है कि अडानी समूह ने 2021 में गुवाहाटी एयरपोर्ट का संचालन PPP मॉडल पर अपने हाथ में लिया था. अब यहां टर्मिनल विस्तार और कार्गो सुविधा जैसे बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की योजना है. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने परियोजना को देश का सबसे सुंदर एयरपोर्ट बताया है और इसका उद्घाटन नवंबर में प्रस्तावित है.
ग्रामीणों ने की अपील
हालांकि, कई ग्रामीणों के लिए यह 'विकास' उनके पुश्तैनी जीवन और पहचान को मिटा देने जैसा है. वे चाहते हैं कि सरकार उनकी बात सुने, उन्हें प्रक्रिया में शामिल करे और विकास की कीमत पर उनका भविष्य बर्बाद न हो. उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि सरकार हमें सुने, हमारी शर्तों पर न्याय करे और अगर ज़मीन ली जाए तो हमें सम्मानपूर्वक बसाया जाए.”





