असम सरकार का अतिक्रमण हटाओ अभियान, धुबरी में जमीन खाली कराने गई पुलिस की टीम पर हमला, जानें क्यों छिड़ गया विवाद
Assam News: धुबरी में अतिक्रमण हटाओं अभियान के दौरान स्थानीय लोगों ने सुरक्षा बलों की पत्थर फेंके. वह अभियान के खिलाफ थे और विरोध के बाद हमला करना शुरू कर दिया. इसके जवाब में पुलिस ने लाठी चार्ज कर भीड़ पर काबू पाया.

Assam News: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा प्रदेश में अतिक्रमण को हटाने के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. मंगलवार (8 जुलाई) को धुबरी जिले में अभियान के दौरान विवाद खड़ा हो गया. लोगों ने कार्रवाई का विरोध जताते हुए सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया. सरकार ने दो जिलों में 540 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को खाली कराने का आदेश दिया था.
धुबरी में अतिक्रमण हटाओं अभियान के दौरान 3,500 (लगभग 450 हेक्टेयर) सरकारी जमीन से करीब 1,400 परिवारों को बेघर किया गया. यह कार्रवाई चारुआबाख्रा, संतोषपुर और चिराकुता (भाग 1) नामक तीन राजस्व गांवों में सुबह से शुरू हुई थी लेकिन दोपहर तक तनाव बढ़ गया. स्थानीय लोगों ने बुलडोजर पर पत्थर और ईंटें फेंकी, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर माहौल को नियंत्रण में लाया.
मशीनों को पहुंचा नुकसान
स्थानीय लोगों ने अभियान में इस्तेमाल होने वाली मशीनों पर भी पत्थर फेंके जिससे काफी नुकसान हुआ है. इस दौरान शिवसागर विधायक और राइजर दल के नेता अखिल गोगोई मौके पर पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें डिटेन कर ले लिया. उन्होंने इस कार्रवाई को अवैधानिक और अलौकिक बताया और कहा कि यह अल्पसंख्यकों पर उत्पीड़न है. उनका कहना था कि प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए.
प्रभावित परिवार को मदद
इस मामले पर डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने बताया कि अभियान में प्रभावित हर परिवार को 50 हजार सहायता दी गई है. कुछ परिवारों को बयजरालगा गांव में वैकल्पिक जमीन आवंटित करने की प्रक्रिया जारी है हालांकि विपक्षी का कहना हैं कि वास्तविक मुआवजा बहुत कम लोगों को ही मिला है. इस कार्रवाई का मकसद असम पावर वितरण कंपनी लिमिटेड (APDCL) को थर्मल पावर प्लांट के लिए जगह देने के लिए की गई.
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और आदानी समूह के बीच बातचीत भी शामिल रही है. डील में यह स्पष्ट किया गया कि परियोजना जल्द टेंडर प्रक्रिया के लिए भेजी जाएगी. बता दें कि पिछले महीने गॉलपारा, नलबाड़ी और लखीमपुर में भी इसी तरह की खस जमीन खाली कराने की मुहिम चली, जिसमें कुल मिलाकर 2,300 से अधिक परिवारों की बेदखली हुई. इस प्रक्रिया में लगभग 1,400–2,000 परिवार प्रभावित हुए, जिनमें से जहां अधिकांश ने नोटिस मिलने के बाद घर खाली कर दिया, वहीं कुछ ने विरोध जताया और पत्थरबाजी की.