अब सरकारी कामों में होगा असमिया भाषा का इस्तेमाल, असम सरकार का नया फैसला, जानें क्या होंगे बदलाव
असम में सरकारी कामों के लिए असमिया भाषा का इस्तेमाल किया जाएगा. साथ ही, छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले बराक घाटी, पहाड़ी जिलों और बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR) में स्थानीय भाषाओं का उपयोग किया जाएगा.

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को ऐलान किया कि अब राज्य में सभी सरकारी नोटिस, आदेश, कानून और ऐसे बाकी कामों के लिए असमिया भाषा को जरूरी बना दिया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि बराक घाटी के जिलों में बंगाली और बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR) में बोडो भाषा का इस्तेमाल किया जाएगा.
इस बारे में मुख्यमंत्री ने एक्स पर पोस्ट कर बताया है. एक आधिकारिक नोटिस में कहा गया है कि असम राजभाषा अधिनियम, 1960 की धारा 3 और 7 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए असम के राज्यपाल ने यह फैसला लिया है.
क्या है फैसला?
असम में सरकारी कामों के लिए असमिया भाषा का इस्तेमाल किया जाएगा. साथ ही, छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले बराक घाटी, पहाड़ी जिलों और बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR) में स्थानीय भाषाओं का उपयोग किया जाएगा.
30 दिन के अंदर बदले जाएंगे डॉक्यूमेंट्स
इसके आगे इसमें कहा गया कि कानून से लेकर आदेश जैसी चीजों को संबंधित विभाग को भेजा जाएगा. फाइल मिलने के 30 दिन के भीतर असमिया भाषा में बदल कर पब्लिश किया जाएगा.
यूनिवर्सिटी की ली जाएगी मदद
लेगेसी डॉक्यूमेंट जिनमें ऑर्डर्स, एक्ट, रूल्स और रेगुलेशन हैं, उन्हें आने वाले 2 सालों में असमिया और बोडो और बंगाली भाषा में ट्रांसलेट किया जाएगा. साथ ही, इसमें यह भी बताया गया कि यह काम इस काम में यूनिवर्सिटी के लैंग्वेज डिपार्टमेंट की मदद ली जाएगी.
कब माना जाएगा इंग्लिश वर्जन?
अगर किसी डॉक्यूमेंट के ट्रांसलेशन में कोई गलती, गड़बड़ या लीगल इंटरप्रिटेशन की जरूरत होगी, तो ऐसे में अग्रेंजी में लिखे गए ओरिजनल वर्जन को सही माना जाएगा.