नहीं रही अर्चिता फुकन! Baby Doll Archi का इंस्टाग्राम अकाउंट हुआ गायब, कैसे रियल से फेक बनी Ishtara Amira?
असम की अर्चिता फुकन की असली तस्वीरों को एडिट कर उनके नाम से फेक प्रोफाइल "Baby Doll Archi" बनाई गई. AI और Deepfake तकनीक से तैयार ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए. जांच में सामने आया कि यह सब उनके एक्स बॉयफ्रेंड प्रीतम बोरा ने बदला लेने के लिए किया था. मामला साइबर क्राइम और प्राइवेसी पर गंभीर सवाल खड़े करता है.

सोशल मीडिया की चमक-दमक के बीच अब एक नाम अचानक गायब हो गया है. Baby Doll Archi, जिसे असल में अर्चिता फुकन के नाम से जाना जा रहा था. उनकी ग्लैमरस फोटो और वीडियो इंटरनेट पर छाए हुए थे, लेकिन अब उनका इंस्टाग्राम अकाउंट डिलीट हो गया है. इसके पीछे की सच्चाई हैरान कर देने वाली है. यह पूरा डिजिटल अस्तित्व नकली था.
"Amira Ishtara" नाम की प्रोफाइल, जो अब वायरल हो रही थी, दरअसल एक फेक डिजिटल पहचान है. पहले यह प्रोफाइल "Babydoll Archi" के नाम से जानी जाती थी. असल में, इन सबके पीछे एक मासूम लड़की की तस्वीरों का दुरुपयोग हुआ. इन तस्वीरों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से मॉर्फ कर वायरल किया गया और एक ऐसी शख्सियत बना दी गई जो असल में कभी थी ही नहीं.
एक्स बॉयफ्रेंड की बदले की घिनौनी साजिश
अर्चिता फुकन की यह डिजिटल बर्बादी एक रिवेंज प्लान का हिस्सा थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके पूर्व प्रेमी प्रीतम बोरा ने ब्रेकअप के बाद बदला लेने के लिए उनकी तस्वीरों को एडिट कर के सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया. उसने AI टूल्स की मदद से Deepfake वीडियोज़ बनाए, जो देखते ही देखते वायरल हो गए. पुलिस ने इस मामले में प्रीतम बोरा को गिरफ्तार कर लिया है.
डीपफेक कैसे करता है काम?
Deepfake तकनीक में AI के इनकोडर और डिकोडर सिस्टम का इस्तेमाल होता है. पहले असली तस्वीर या वीडियो को AI में डाला जाता है, फिर उसका हूबहू मिलता-जुलता चेहरा किसी दूसरे शरीर पर सुपरइम्पोज़ किया जाता है. बार-बार की ट्रेनिंग और ट्यूनिंग के बाद यह नकली वीडियो इतना असली लगता है कि आम यूज़र को भ्रम हो जाता है. यही हुआ अर्चिता के केस में भी.
सिर्फ अर्चिता नहीं, कई सेलेब्स बन चुके हैं शिकार
यह पहली बार नहीं है जब Deepfake किसी की पहचान पर हमला कर रहा हो. रश्मिका मंदाना, कैटरीना कैफ, आलिया भट्ट, काजोल, यहां तक कि सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा तेंदुलकर भी Deepfake वीडियो का शिकार हो चुकी हैं. इन फर्जी वीडियो ने न केवल उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया, बल्कि साइबर सुरक्षा की गंभीरता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.
क्या कहती है कानून और समाज की ज़िम्मेदारी?
इस घटना ने एक बार फिर से प्राइवेसी और डिजिटल सुरक्षा को लेकर समाज को जागरूक किया है. अर्चिता ने अपनी पहचान, आत्मसम्मान और निजता के लिए लड़ाई शुरू की है. प्रीतम बोरा की गिरफ्तारी के बाद यह मामला साइबर क्राइम के गंभीर उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है. लेकिन सवाल यह है कि क्या हमारे कानून और समाज ऐसे फेक रियलिटी से निपटने के लिए तैयार हैं?