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हुस्न नहीं, हैकरों की हरकत! एक्स BF ने BabyDoll Archita को कैसे बना दिया पोर्न स्टार?

अर्चिता फुकन, जिन्हें सोशल मीडिया पर 'BabyDoll Archita' के नाम से जाना जाता है, हाल ही में एक वायरल वीडियो के कारण चर्चा में आईं. लेकिन यह वायरल क्लिप असली नहीं, बल्कि एक AI डीपफेक निकली. दावा है कि उनके एक्स बॉयफ्रेंड ने बदला लेने के लिए उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल कर अश्लील वीडियो बनवाया और इंटरनेट पर फैला दिया.

हुस्न नहीं, हैकरों की हरकत! एक्स BF ने BabyDoll Archita को कैसे बना दिया पोर्न स्टार?
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Published on: 23 July 2025 8:57 PM

जून- जुलाई 2025 में सोशल मीडिया पर छाई 'अर्चिता फुकन' नाम की एक ग्लैमरस और बोल्ड डिजिटल शख्सियत ने देशभर में सनसनी फैला दी. रील्स से लेकर विवादित तस्वीरों तक, हर ओर सिर्फ उसी की चर्चा थी. लेकिन जो हकीकत सामने आई, वह रोंगटे खड़े कर देने वाली थी. अर्चिता फुकन असल में कभी अस्तित्व में थी ही नहीं. वह एक डीपफेक था, जिसे एक पूर्व प्रेमी ने बदले की भावना से रचा था.

अर्चिता फुकन का अस्तित्व केवल एक डिजिटल छलावा था. एक ऐसी लड़की, जिसकी हर तस्वीर, वीडियो और मौजूदगी सिर्फ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और चोरी हुई तस्वीरों का उत्पाद थी. यह मामला भारत में अब तक का सबसे भयावह डिजिटल पहचान धोखाधड़ी (Digital Identity Hoax) साबित हुआ है.

कैसे हुई एक नकली पहचान की रचना

2020 में 'Babydoll Archi' नाम से एक इंस्टाग्राम अकाउंट अस्तित्व में आया. उसमें एक आत्मविश्वासी, स्टाइलिश युवती को दिखाया गया, जो ट्रेंडिंग डांस, फैशन रील्स और ट्रांजिशन वीडियो में दिखाई दे रही थी. एक साड़ी ट्रांसफॉर्मेशन वीडियो ने उसे वायरल बना दिया. 2025 तक उसके 1.4 मिलियन फॉलोअर्स हो चुके थे. सबसे ज्यादा वायरल पोस्ट, अमेरिकी एडल्ट स्टार केंड्रा लस्ट के साथ एक फोटो ने यह अफवाह फैलाई कि अर्चिता जल्द ही एडल्ट फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू करने वाली है.

ये लड़की असली थी ही नहीं

जांच के बाद सामने आया कि जिस चेहरे को दुनिया 'अर्चिता' मान बैठी थी, वह एक असली महिला का चेहरा था. मगर बिना उसकी जानकारी के, उसके पूर्व प्रेमी प्रतीम बोरा ने उसकी निजी तस्वीरें चुरा कर Midjourney, Desire AI और OpenArt AI जैसे AI टूल्स के जरिए एक पूरी तरह से फर्जी डिजिटल इंसान बना डाला. उसने इंस्टाग्राम पर इस नकली पहचान से ट्रैवल, ग्लैमर और अश्लील कंटेंट तैयार किया और यहां तक कि सब्सक्रिप्शन के ज़रिए पैसा भी कमाया. असली महिला को तब पता चला जब अकाउंट वायरल हुआ और उसके परिवार ने तुरंत डिब्रूगढ़ में FIR दर्ज करवाई.

प्रतीम बोरा को पहचान, यौन उत्पीड़न और डिजिटल धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. उसकी मंशा थी. ब्रेकअप के बाद बदनाम करना और मानसिक प्रताड़ना देना. इस घटना ने साफ कर दिया कि AI टूल्स अब केवल फैंटेसी नहीं, बल्कि असल खतरा बन चुके हैं. आम उपयोग के लिए उपलब्ध इन टूल्स के ज़रिए कुछ निजी तस्वीरों से भी पूरी नकली ज़िंदगी रचाई जा सकती है. कल्पना कीजिए- आपका फेसबुक डीपी किसी अश्लील वीडियो में उपयोग हो जाए और आपको खुद इसकी खबर न हो. यही डिजिटल युग की सबसे बड़ी भयावहता है.

पीड़िता की मानसिक स्थिति और कानूनी पहलू

जिस असली महिला की पहचान इस मामले में चुराई गई, वह गहरे मानसिक आघात से गुज़री. उसकी छवि सार्वजनिक रूप से नष्ट हो गई, परिवार पर सामाजिक दबाव पड़ा, और उसे खुद को सफाई देनी पड़ी. यह मामला सिर्फ साइबर क्राइम नहीं, बल्कि डिजिटल शोषण है. इस घटना ने भारत में डीपफेक के खिलाफ सख्त कानूनों की ज़रूरत को उजागर कर दिया है. मौजूदा साइबर कानून तेजी से बदलती AI तकनीकों से पीछे हैं.

कैसे करें अपनी डिजिटल सुरक्षा?

अपनी हाई-रेज़ोल्यूशन तस्वीरें सीमित लोगों से साझा करें.

समय-समय पर गूगल रिवर्स इमेज सर्च का उपयोग करें.

सभी सोशल मीडिया खातों पर टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑन करें.

किसी भी संदिग्ध एक्टिविटी को तुरंत cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें.

AI तकनीक और उसकी जोखिमों की जानकारी रखें.

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