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गोल्‍डन लंगूरों के लिए मौत की सड़क बना नेशनल हाईवे, लोगों ने विरोध प्रदर्शन कर रखी ये मांगें

असम में नेशनल हाईवे 117 पर शनिवार को एक गोल्डन लंगूर की सड़क हादसे में मौत हो गई. वहीं लंगूर की मौत पर ग्रामीणों में गुस्सा है. इस कारण उन्होंने इस रास्ते को जाम कर प्रशासन के सामने कुछ मांगे की है. जानकारी के लंगूरों को बचाने के लिए लोगों ने कुछ मांगे की है. जिन्हें पूरा करने के लिए ये प्रदर्शन किया जा रहा है.

गोल्‍डन लंगूरों के लिए मौत की सड़क बना नेशनल हाईवे, लोगों ने विरोध प्रदर्शन कर रखी ये मांगें
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( Image Source:  Representative Image/ Freepik )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Updated on: 6 Jan 2025 1:03 PM IST

असम के बोंगाईगांव में नेशनल हाईवे-117 पर एक गोल्डन लंगूर को कार चालक ने कुचल दिया जिसके कारण उसकी मौत हो गई. यह घटना शनिवार सुबह 8 बजकर 20 मिनट पर हुई, लेकिन लंगूर की मौत पर स्थानिय निवासियों ने हाईवे पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. लोगों का कहना है कि ये हादसा ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों की निगरानी की कमी के कारण हुआ है.

वहीं वहां रहने वाले एक व्यक्ति ने कहां कि बोंगाईगांव गांव में रहने वाले लोग गोल्डन लंगूर की मौत पर उतना ही शोक मनाते हैं जितना एक व्यक्ति की मौत पर बनाया जाता है. हालांकि लोगों के गुस्सा होने के पीछे का कारण है क्योंकी पिछले ही महीने दिसंबर में ऐसे ही चार और लंगूर मारे जा चुके हैं. इनमें से तीन की इसी तरह सड़क एक्सीडेंट में मौत हुई वहीं एक की करेंट लगने के कारण मौत होने की जानकारी सामने आई.

भारत में इतने गोल्डन लंगूर मौजूद

जानकारी के अनुसार भारत में कुल 7 हजार 396 गोल्डन लंगूर मौजूद हैं. इनमें से 500-600 काकोइजाना रिजर्व फॉरेस्ट में पाई जाती हैं. आपको बता दें कि लंगूर की ये प्रजाती धीरे-धीरे करते लुप्त होती जा रही है. ऐसे में रिजर्व फॉरेस्ट के आसपास के 34 तलहटी गांवों के निवासी इस प्रजाति के संरक्षण के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी चिंता चार लेन वाला राजमार्ग है.

चाल लेन वाला हाईवे बना चिंता का कारण

लोगों के लिए ये रास्ता चिंता का कारण इसलिए भी है क्योंकी पिछले कुछ सालों में यहां गोल्डन लंगूरों के लिए खाने के लिए पेड़, जैसे बांस और फल वाले पेड़ रिजर्व फॉरेस्ट से गायब हो चुके हैं. लोगों का कहना है कि इस जंगल में केवल सागौन के ही पेड़ बचे हुए हैं. इन पेड़ों पर लंगूरों के खाने के लिए कुछ नहीं है. इसी कारण खाने की तलाश में वो आसपास के गांव का रुख करते हैं और जंगल वापस जाने के लिए इसी सड़क का इस्तेमाल करते हैं. जो उनके लिए खतरा बना हुआ है.

स्थानिय निवासियों का कहना है कि इस लेन के आसपास पहले पेड़ हुआ करते थे. जिसके कारण एक सिरे से दूसरी ओर जाने के लिए वो पेड़ से छलांग लगाकर पार कर लिया करते थे. अब क्योंकी 2024 में इस लेन को तैयार किया गया और पेड़ गायब है तो उन्हें पैदल चलकर जाना पड़ता है. लोगों का कहना है कि हमारी मांग है कि इस जगह पर हैंगिंग ब्रिज हो, जिससे आसानी से पार किया जा सके. लोगों का कहना है कि कई बार ग्रामीण उन्हें सड़क पार करवाने में मदद करते हैं. लेकिन हर समय सतर्क रहना संभव नहीं.

लोगों ने जमकर किया विरोध

वहीं इन्हीं लंगूरों को सुरक्षित रखने के लिए लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और इस रास्ते पर जाम किया. वहीं इस पर डिसी ने ग्रामीणों को आश्वासित किया कि प्रशासन इस हैंगिंग ब्रिज के प्रस्ताव पर काम करेगा. लोगों का कहना है कि हमने इस हाईवे पर स्पीड कम करने के लिए प्रशासन से बैरिकेड लगाने का भी अनुरोध किया है. जिसे अगले कुछ ही दिनों में किया जाए.

असम न्‍यूज
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