असम में आफत की बारिश: गुवाहाटी की सड़कों पर तैरता शव, लखीमपुर के 234 गांव जलमग्न, स्कूल-कॉलेज बंद, 5 की मौत
असम में भारी बारिश और बाढ़ से तबाही मची है. गुवाहाटी में जलभराव के बीच सड़क पर शव बहता मिला. लखीमपुर में निपको नदी की बाढ़ से 234 गांव डूबे, एक की मौत. राज्यभर में अब तक 5 लोगों की जान गई है. स्कूल-कॉलेज बंद, ऑफिसों में छुट्टी, कई जगह यातायात ठप है. नगांव, कामपुर, नामरूप, गहपुर जैसे इलाके भी बाढ़ से बेहाल हैं. अगले कुछ दिनों में और बारिश का अलर्ट जारी है, प्रशासन से राहत की मांग तेज.

असम एक बार फिर भीषण बारिश और बाढ़ की चपेट में है. राज्य के कई ज़िलों में मूसलाधार बारिश ने जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है. राजधानी गुवाहाटी में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं, जहां रुक्मिणीगांव इलाके में सड़कों पर भरे पानी में एक शव तैरता हुआ पाया गया. ये दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और पूरे शहर में सनसनी फैल गई.
स्थानीय लोगों ने बताया कि बारिश के कारण पूरे इलाके में कृत्रिम बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. नालों की सफाई न होने और जल निकासी की कमजोर व्यवस्था की वजह से लोगों को सड़कों पर नाव चलानी पड़ रही है. रुक्मिणीगांव में शव को अंतिम संस्कार के लिए नाव से ले जाना पड़ा.
लखीमपुर में निपको की बाढ़ का कहर
लखीमपुर जिले में निपको नदी उफान पर है और इसने 234 से अधिक गांवों को जलमग्न कर दिया है. सैकड़ों घरों में पानी भर चुका है और लोग घरों में फंसे हुए हैं. नाओबैछा इलाके में NH-15 पर बाढ़ का पानी बहने से यातायात पूरी तरह ठप हो गया है. एक बुजुर्ग व्यक्ति की घर में डूबकर मौत हो गई है. स्थानीय प्रशासन की तरफ से महज चेतावनी जारी कर दी गई, लेकिन राहत कार्यों में कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं दिख रही.
राज्यभर में हालात खराब
नगांव, कामपुर, कार्बी आंगलोंग, गहपुर, नामरूप जैसे कई इलाकों में भी हालात खराब हैं. 5 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि दर्जनों घायल हैं. असम सरकार ने स्कूल-कॉलेज बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं. कई सरकारी और निजी कार्यालयों में कामकाज ठप है. यातायात, बिजली, इंटरनेट सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं. कई जगहों पर पुल बह गए हैं, जिससे राहत टीमें भी पहुंचने में कठिनाई झेल रही हैं.
मौसम विभाग का अलर्ट
IMD (भारतीय मौसम विभाग) ने असम के लिए अगले 72 घंटों के लिए 'रेड अलर्ट' जारी किया है. विभाग ने चेतावनी दी है कि ब्रह्मपुत्र और इसकी सहायक नदियों का जलस्तर और अधिक बढ़ सकता है. इससे और गांवों के डूबने का खतरा है.
स्थानीय लोग सोशल मीडिया और प्रशासन के माध्यम से NDMA (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) और सेना की मदद की मांग कर रहे हैं. उनका आरोप है कि बाढ़ हर साल आती है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया.
असम में हर साल की तरह इस बार भी मानसून कहर बनकर आया है. गुवाहाटी जैसे शहर में जहां विकास की बात होती है, वहीं एक शव का सड़क पर बहना व्यवस्था की पोल खोल देता है. असम सरकार और केंद्र को मिलकर अब इस बाढ़ संकट से स्थायी समाधान निकालना होगा, वरना हर साल यही त्रासदी दोहराई जाती रहेगी.