वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय बने लॉन्ग जंपर Sarvesh Kushare
World Athletics Championship 2025: टोक्यो में वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में सर्वेश कुशारे ने फाइनल राउंड में 2.28 मीटर के साथ तीसरे स्थान हासिल किया. सर्वेश के कोच रावसाहेब जाधव ने बताया कि सर्वेश ने कभी भूसे और कपड़ों से बने अस्थायी गड्ढों पर ट्रेनिंग शुरू की थी.

Sarvesh Kushare: टोक्यो में एथलेटिक्स वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भारत के 30 साल के सर्वेश कुशारे ने कमाल करके दिखा दिया. उन्होंने गेम में शानदार प्रदर्शन किया और अपने माता-पिता के साथ पूरे देश का नाम रोशन किया. 16 सितंबर को हाई जंप में उन्होंने 2.28 मीटर जंप लगाई और फाइनल में छठे स्थान पर रहे. फिर फाइनल राउंड में 2.28 मीटर के साथ तीसरे स्थान हासिल किया.
सर्वेश कुशारे ने नेशनल स्टेडियम में हाई-जंप पिट के पास खड़े होकर अपने बचपन के कोच रावसाहेब जाधव को वीडियो कॉल किया. यह पल काफी इमोशनल था. जाधव ने बताया कि, बातचीत बहुत छोटी थी, लेकिन उसने मुझे स्टेडियम और जंपिंग पिट दिखाया. उस पल हम पुराने दिनों की यादों में खो गए.
बचपन के कोच से की बात
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वेश के कोच रावसाहेब जाधव ने बताया कि सर्वेश ने कभी भूसे और कपड़ों से बने अस्थायी गड्ढों पर ट्रेनिंग शुरू की थी. अब ओलंपिक चैंपियन है. मिश केर जैसे खिलाड़ियों के बीच दुनिया के सबसे शानदार एरिना में खड़े थे. कोच ने कहा, सोचिए जहां से उसने शुरुआत की और अब कहां पहुंच गया.
सर्वेश ने कॉल रखते वक्त कोच से वादा किया कि वह फाइनल में टॉप-5 में आने और अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश करेंगे. मंगलवार को वह पहले लक्ष्य से थोड़ा चूक गए, लेकिन दूसरा में 2.28 मीटर की छलांग लगाकर उन्होंने नया रिकॉर्ड बनाया और वर्ल्ड चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय हाई-जंप खिलाड़ी बन गए.
इंजीनियर से खिलाड़ी कैसे बने?
सर्वेश के पिता अनिल का कहना है कि वह हमेशा से चाहते थे कि मेरा बेटा सिविल इंजीनियर बने. लेकिन उसकी जिद तो हाई-जंप में करियर बनाने की थी और उसने अपने सपने को पूरा कर दिखाया. वह नासिक के उनके छोटे से गांव देवर्गांव के रहने वाले हैं, जहां पर बेसिक सुविधाओं का अभाव था लेकिन सर्वेश ने हार नहीं मानी. वह अपने लक्ष्य को हासिल करने में लगे रहे.
उन्होंने कहा, हमारे गांव का कोई भी महाराष्ट्र से बाहर नहीं गया और सर्वेश पूरी दुनिया घूम रहा है. मैंने सोचा था कि वह नेशनल लेवल तक ही जाएगा, लेकिन अब 14 साल से लगातार खेल में डटा है और रुकने का नाम नहीं ले रहा.
टीचर्स ने किया सपोर्ट
सर्वेश के पिता ने बताया कि गांव में ट्रेनिंग की कोई उचित सुविधा नहीं थी. तब स्कूल शिक्षक और सर्वेश के पहले कोच जाधव ने अनिल के साथ मिलकर एक अस्थायी पिट तैयार किया. उसमें भूसे, कपड़ों के पुराने टुकड़े और रुई का इस्तेमाल किया गया. 18 साल के सर्वेश ने प्रैक्टिस शुरू कर दी. उनके पिता अनिल पुराने दिनों को याद करते कहा, हम मक्का की बालियों को बोरे में भरकर एक-दूसरे पर रखते और दो खंभे बांधकर बार लगा देते. जब वह ओलंपिक खेले तो पूरे गांव की आंखें नम हो गईं कि इस छोटे से गांव से निकलकर वह कितनी दूर पहुंच गया.
नए कोच का बयान
सर्वेश कुशारे के वर्तमान कोच जस्टिन थॉमस ने भी खिलाड़ी की तारीफ की. थॉमस ने बताया कि यह सेलिब्रेशन उस 0.01 मीटर के लिए था, जिसके लिए वह तीन साल से मेहनत कर रहे थे. जब 2022 में वह मेरे पास आए थे, तब उनकी छलांग 2.25 मीटर पर स्थिर थी. हमने उनकी तकनीक पर काम किया, क्योंकि बचपन से एक ही स्टाइल में कूदते रहे थे, उसे बदलना आसान नहीं था.
उन्होंने कहा, सर्वेश पहले जब दौड़ते थे तो उनका दायां हाथ खुला रहता और ज्यादा हिलता. हमने उसे कॉम्पैक्ट किया. फिर उनकी अप्रोच पर काम किया अब वह आखिरी चार कदम तेजी से रख लेते हैं, जबकि पहले स्पीड स्लो थी. थॉमस ने कहा, भले ही वह मेडल नहीं जीत पाए, लेकिन पहली बार किसी भारतीय ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप फाइनल खेला.