कौन हैं अनिमेष कुजूर? 10.20 सेकंड से भी कम समय में 100 मीटर की दौड़ पूरी करने वाले बने पहले भारतीय धावक
छत्तीसगढ़ के युवा धावक अनिमेष कुजूर ने 2025 की डायमंड लीग में हिस्सा लेकर भारत को नई पहचान दिलाई है. उन्होंने 100 और 200 मीटर स्पर्धाओं में शानदार प्रदर्शन कर विश्व चैंपियनशिप और ओलंपिक की संभावनाएं मजबूत की हैं. रिलायंस फाउंडेशन की ट्रेनिंग से निकले अनिमेष अब देश के सबसे तेज धावकों में गिने जा रहे हैं. उनका मुकाबला अब दुनिया के टॉप एथलीट्स जैसे नोहा लायल्स और गाउट गाउट से हो रहा है.

Who is Animesh Kujur: मैं वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई करूंगा, चिंता मत करो... 22 साल के अनिमेष कुजूर जब मोनाको डायमंड लीग में दौड़ने के बाद अपने कोच मार्टिन ओवेन्स से मज़ाकिया लहजे में यह बोले, तो ये सिर्फ़ आत्मविश्वास नहीं था, यह भारत के ट्रैक एंड फील्ड इतिहास में एक नई क्रांति का संकेत था.
छत्तीसगढ़ के सीमांत गांव ‘घुइतांगर’ से निकलकर भारत के सबसे तेज़ धावक बनने तक का उनका सफर अभूतपूर्व है. उन्होंने 100 मीटर में 10.18 सेकंड का समय लेकर गुरिंदरवीर सिंह का रिकॉर्ड तोड़ा और अब वह 100 मीटर व 200 मीटर स्प्रिंट दोनों में वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले पुरुष खिलाड़ी बन सकते हैं.
कौन हैं अनिमेष कुजूर?
अनिमेष कुजूर 22 साल के हैं. वे छत्तीसगढ़ के घुइतांगर गांव के रहने वाले हैं .उनकी गिनती भारत के सबसे तेज धावकों में होती है. अनिमेष का बचपन गांव में बिना ट्रैक, कोच या किसी प्रोफेशनल गाइडेंस के बीता. कोविड लॉकडाउन के दौरान वह दौड़ के लिए गंभीर भी नहीं थे. शुरुआत फुटबॉल से हुई और कभी-कभार आर्मी जवानों के साथ दौड़ लगाते थे, लेकिन एक स्थानीय रेस ने उनकी ज़िंदगी की दिशा बदल दी.
Reliance Foundation के हाई परफॉर्मेंस सेंटर में कोच मार्टिन ओवेन्स ने उनकी प्रतिभा पहचानी. शुरुआत में कुजूर के शरीर में सीमित मूवमेंट था, लेकिन उनकी स्पीड और समर्पण ने सबको चौंका दिया. कोच ओवेन्स ने बताया, “वो बेहद विनम्र, मेहनती और दूसरों का ख्याल रखने वाला इंसान है. उसी की वजह से मैंने उस पर भरोसा किया.”
उल्लेखनीय कीर्तिमान
- 100 मीटर: 10.18 सेकंड (गुरिंदरवीर सिंह का रिकॉर्ड तोड़ा)
- 200 मीटर: 20.32 सेकंड तक गति दिखाई
- मोनाको डायमंड लीग में हिस्सा लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दमखम दिखाया
डायमंड लीग का अनुभव और आत्म-मूल्यांकन
मोनाको में डायमंड लीग के अंडर-23 वर्ग में 200 मीटर की रेस में उन्होंने 20.55 सेकंड में दौड़ पूरी की, जो भले ही उनके पर्सनल बेस्ट 20.32 से धीमा था, लेकिन उन्होंने कड़ी टक्कर दी. तेज़ हेडविंड और लगातार यूरोपियन रेसिंग के कारण थकान के बावजूद वह सिर्फ 0.10 सेकंड से पोडियम से चूके. इस अनुभव ने उन्हें प्रेरित किया- ना केवल लायल्स और तेबोगो जैसे ओलंपिक चैंपियनों से सीखने का मौका मिला, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को आंकने का भी.
विश्व चैंपियनशिप की राह और विश्वास
100 मीटर में डायरेक्ट एंट्री का क्वालिफाइंग टाइम 10.00 सेकंड है, जबकि 200 मीटर के लिए 20.16 सेकंड. हालांकि, डायरेक्ट एंट्री मुश्किल लगती है, लेकिन कुजूर रैंकिंग के आधार पर चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई करने के बेहद करीब हैं. उनके कोच का मानना है कि भारत के शीर्ष पांच धावकों में से कोई भी, सही समय और परिस्थिति में, 10 सेकंड का आंकड़ा पार कर सकता है और सबसे अधिक संभावना अनिमेष की ही है.
भारत के लिए नई उम्मीद
15 जुलाई को लूसेर्न मीट में उन्होंने 100 मीटर की रेस 10.28 सेकंड में पूरी की- यह बताता है कि वह लगातार टॉप फॉर्म में हैं. आगे जर्मनी के बोखुम में ट्रेनिंग और फिर भारत में कुछ और प्रतियोगिताएं हैं- सबका लक्ष्य वर्ल्ड चैंपियनशिप है. अनिमेष का सफर बताता है कि भारत अब सिर्फ कुश्ती, बॉक्सिंग या बैडमिंटन में नहीं, बल्कि ट्रैक स्प्रिंटिंग जैसे क्षेत्रों में भी आत्मविश्वास के साथ वैश्विक मंच पर खड़ा हो रहा है.
जब टूटेगा ‘सब-10 सेकंड’ का बैरियर
जिस दिन कोई भारतीय धावक 100 मीटर में 10 सेकंड से कम का समय निकालेगा, वह न सिर्फ एक रिकॉर्ड होगा, बल्कि वह भारतीय एथलेटिक्स की पहचान में ऐतिहासिक मोड़ होगा.शायद यह कुजूर होंगे, शायद कोई और... लेकिन यह यकीनन एक ऐसा क्षण होगा जो त्याग, संकल्प और उस जुनून से जन्मेगा, जिसमें एक देश दौड़ना सीख रहा है - पूरी दुनिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर...