जब खेला गया टेस्ट क्रिकेट का 2000वां मुक़ाबला: धमाकेदार प्रदर्शन, रोमांच और रिकॉर्ड्स की बरसात के बीच रचा गया इतिहास
25 जुलाई 2011 को लॉर्ड्स में टेस्ट क्रिकेट का 2000वां मुकाबला भारत-इंग्लैंड के बीच खेला गया. इस मैच में केविन पीटरसन ने दोहरा शतक जमाया, राहुल द्रविड़ ने शतक लगाया और प्रवीण कुमार ने पांच विकेट लेकर ऑनर्स बोर्ड पर नाम दर्ज कराया. ज़हीर खान की चोट और बल्लेबाज़ों की नाकामी से भारत को 196 रनों से हार झेलनी पड़ी.

25 जुलाई 2011 को ठीक आज ही के दिन लॉर्ड्स में टेस्ट क्रिकेट का 2000वां मैच खेला गया था. वो मैच इंग्लैंड और भारत के बीच था. यह इन दोनों देशों के बीच 100वां टेस्ट मैच भी था. साथ ही बतौर कोच डंकन फ्लेचर के लिए भी यह 100वां टेस्ट मैच था. साथ ही यह वो ही मैच था जिसमें यह संभावना जताई जा रही थी कि सचिन तेंदुलकर 'क्रिकेट का मक्का' कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर अपना 100वां अंतरराष्ट्रीय शतक पूरा कर सकते हैं.
इन सभी ऐतिहासिक लम्हों के बीच धोनी ने बादलों से ढके पहले दिन की सुबह टॉस जीतकर गेंदबाज़ी चुनी. मैच की शुरुआत आधे घंटे की देरी हुई और ज़हीर ख़ान ने अपने धारदार स्पैल (7 ओवर, 3 मेडन, 9 रन, 1 विकेट) में एलिस्टेयर कुक को एलबीडब्ल्यू कर पवेलियन लौटाया. लंच के बाद जब ज़हीर वापस गेंदबाज़ी पर लौटे तो लगातार चार मेडन ओवर डाले, उसी दौरान इंग्लैंड के कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस ने ज़हीर की एक गेंद को पुल शॉट खेलने की कोशिश में टॉप एज किया और गेंद फाइन लेग पर कैच हो गई.
ज़हीर चोटिल हुए, इंग्लैंड ने ली राहत की सांस
कुछ ओवरों के बाद ज़हीर फिर गेंदबाज़ी के लिए बुलाए गए और यह वो लम्हा था जिसने इस मैच का रुख़ पूरी तरह से बदल दिया. अपने 14वें ओवर में ज़हीर को दाहिने पैर के पिछले हिस्से में तेज़ दर्द हुआ. उन्होंने अपना पैर पकड़ लिया पर दर्द इतना तेज़ था कि उन्हें मैदान छोड़ना पड़ा. तब मैच का केवल 42वां ओवर चल रहा था. ज़हीर के हटते ही इंग्लैंड की टीम से तनाव जैसे ख़त्म हो गया, उसने पहले दिन कोई और विकेट नहीं गंवाया. पहले दिन ख़राब रोशनी और बारिश की वजह से 49.2 ओवर का ही खेल हो सका और इंग्लैंड की टीम दो विकेट पर 127 रन ही जोड़ सकी. ज़हीर ऐसे चोटिल हुए कि न केवल पूरे मैच में फ़िर गेंद नहीं डाल सके बल्कि पूरी सिरीज़ से ही उन्हें बाहर होना पड़ा और यह इंग्लैंड के लिए बहुत बड़ी राहत की बात बन गई.
फ़ॉर्म में लौटे पीटरसन ने जमा दिया दोहरा शतक
दूसरे दिन केविन पीटरसन विकेट के एक छोर पर ऐसे जमे कि भारतीय गेंदबाज़ उन्हें आउट ही नहीं कर सके. पीटरसन ने पहले धीमी बल्लेबाज़ी की. 134 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा किया. लेकिन अगले 37 गेंदों पर ही उन्होंने अपना शतक भी पूरा कर लिया. यह घरेलू मैदान पर पीटरसन का तीन साल बाद जमाया गया शतक था. वो यहीं नहीं रुके, टी ब्रेक से पहले इंग्लैंड के स्कोर को 300 के पार पहुंचाया तो दिन का खेल ख़त्म होने से कुछ पहले ही अपना दोहरा शतक भी पूरा किया. यह टेस्ट क्रिकेट में पीटरसन का तीसरा दोहरा शतक था. इसके साथ ही उन्होंने टेस्ट में 6000 रन भी पूरे किए.
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पैड्स उतार कर धोनी ने की गेंदबाज़ी
भारत की ओर से ईशांत शर्मा, हरभजन सिंह और सुरेश रैना ने भी गेंदबाज़ी की पर प्रवीण कुमार को छोड़ कर कोई भी गेंदबाज़ असर नहीं दिखा सका. आलम यह था कि कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को विकेटकीपिंग पैड्स उतार कर गेंदबाज़ी करने के लिए आना पड़ा. धोनी लॉर्ड्स पर तब तक खेले गए 123 टेस्ट मैचों में गेंदबाज़ी करने वाले पहले विकेटकीपर बने. तब भारत को वर्ल्ड कप दिलाने वाले पूर्व कप्तान कपिल देव ने इस पर नाराज़गी जताई और बोले कि "धोनी टेस्ट क्रिकेट का अपमान कर रहे हैं." लेकिन धोनी ने मध्यम गति की अच्छी गेंदबाज़ी की. अपनी पहली ही गेंद पर केविन पीटरसन के ख़िलाफ़ एक ज़ोरदार एलबीडब्ल्यू की अपील की, और धोनी के अगले ओवर में ही पीटरसन विकेट के पीछे कैच आउट दे दिए गए, तब उन्होंने 73 रन बनाए थे. लेकिन रीव्यू में यह फ़ैसला पलट गया क्योंकि हॉट स्पॉट में बल्ले का कोई किनारा छूता नज़र नहीं आया. उस दौरान ईशांत और भज्जी जैसे गेंदबाज़ 4 से अधिक की औसत से गेंदबाज़ी कर रहे थे, तो रैना 9 से अधिक की औसत से गेंद डाल रहे थे. ऐसे में धोनी ने पहली पारी में आठ ओवर डाले और केवल 23 रन दिए.
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ऑनर्स बोर्ड से जुड़े प्रवीण कुमार
भारत की ओर से एक मात्र गेंदबाज़ प्रवीण कुमार ने पहली पारी में बेहतरीन गेंदबाज़ी का प्रदर्शन किया. उनकी गेंदें विकेट के दोनों और घूम रही थीं और उन्होंने अकेले दम पर ट्रॉट, बेल, मॉर्गन, प्रायर और ब्रॉड के विकेट लिए. पांच विकेट लेकर प्रवीण कुमार ने लॉर्ड्स के ऑनर्स बोर्ड पर अपना नाम दर्ज करवाया. उधर पीटरसन के दोहरा शतक पूरा होते ही इंग्लैंड ने दूसरे दिन का खेल ख़त्म होने से कुछ पहले आठ विकेट पर 474 रन बनाकर अपनी पहली पारी घोषित कर दी. लिहाजा दूसरे दिन की शाम को भारत को छह ओवरों के लिए बैटिंग करने उतरना पड़ा. गौतम गंभीर और अभिनव मुकुंद ने भारत को विकेट का कोई नुकसान नहीं होने दिया. तीसरे दिन की सुबह दोनों ने अर्धशतकीय साझेदारी निभाई पर लंच से पहले दोनों आउट हो गए. अभिनव सिर्फ़ एक रन से अपना अर्धशतक बनाने से चूक गए.
द्रविड़ ने जमाया लॉर्ड्स पर शतक
तीसरे दिन लंच से ठीक पहले सचिन तेंदुलकर भारी तालियों की गड़गड़ाहट के बीच क्रीज़ पर उतरे. राहुल द्रविड़ के साथ मिलकर उन्होंने 81 रनों की साझेदारी की. सचिन बेहतरीन लय में दिख रहे थे लेकिन स्टुअर्ट ब्रॉड की एक गेंद उनके बैट का बाहरी किनारा लेते हुए दूसरे स्लिप में स्वान के पास चली गई और उन्होंने कोई ग़लती नहीं की. इस तरह पहली पारी में तेंदुलकर केवल 34 रन बना सके. दूसरी ओर द्रविड़ पूरे धैर्य और मज़बूती के साथ दोनों तरफ़ घूमती गेंदों का शांत चित सामना करते रहे. वो फ़्रंट फ़ुट पर जाकर ड्राइव जमाते तो बैकफ़ुट पर भी कवर ड्राइव लगाते. ये शॉट्स खेलते समय उनके पैर, घुटने का मुड़ा हुआ होना, बैट का गेंद के पीछे आकर प्रहार करने का तरीक़ा, उनके हाथों की स्विंग ऐसी दिखती मानों कि युवाओं के कोच क्रिकेट के अपने स्टूडेंट्स को बैठा कर बार बार उसे दिखाएं. द्रविड़ के शॉट्स में सब कुछ ऐसा होता जैसे क्रिकेट की कोचिंग मैनुअल में बताया जाता है. जहां तेंदुलकर चूक गए वहीं द्रविड़ ने कोई कसर नहीं छोड़ी और अपने टेस्ट करियर का 33वां शतक (नाबाद 103 रन) जमा दिया. आपको बता दें कि इसी लॉर्ड्स के मैदान पर उन्होंने डेब्यू किया था और 1996 के उस डेब्यू मैच में द्रविड़ केवल पांच रनों से शतक बनाने से चूक गए थे. हालांकि इस शतक के साथ ही द्रविड़ टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ों में रिकी पोंटिंग को पीछे छोड़ते हुए नंबर-2 पर पहुंच गए थे. यह लॉर्ड्स के मैदान में द्रविड़ का पहला शतक था लिहाजा वो भी प्रवीण कुमार के साथ यहां के ऑनर्स बोर्ड से जुड़ गए.
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बमुश्किल फ़ॉलो-ऑन बचा सका भारत
द्रविड़ ने तो बेमिसाल पारी खेली लेकिन बाकी बल्लेबाज़ उसके इर्द-गिर्द भी नहीं दिखे. पुछल्ले बल्लेबाज़ों के स्कोर नहीं करने की समस्या तब भी टीम इंडिया के साथ जुड़ी हुई थी. तब अंतिम छह बल्लेबाज़ों में से चार तो अपना खाता भी नहीं खोल सके. हालांकि कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 102 मिनट तक पिच पर जुझारू 28 रनों की पारी खेलते हुए बमुश्किल फ़ॉलो-ऑन बचाने में कामयाब रहे. भारत फ़ॉलो-ऑन से तो बच गया, पर इंग्लैंड 188 रनों की मज़बूत बढ़त लेने में कामयाब रहा.
पर पांचवें दिन ये हुआ...
चौथे दिन ईशांत शर्मा ने इंग्लैंड के चार बल्लेबाज़ों को आउट किया पर इंग्लैंड के विकेटकीपर मैट प्रायर ने शतक जमा कर अपनी टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया. आखिर इंग्लैंड ने अपनी दूसरी पारी 269/6 पर घोषित कर दी और भारत के सामने जीत के लिए 458 रनों का लक्ष्य मिला. मैच में अभी 125 ओवरों का खेल बाकी था. उस शाम भारत ने 27 ओवरों का सामना किया. अभिनव मुकुंद 9वें ओवर में ही आउट हो गए थे उनके साथ चोटिल होने की वजह से गौतम गंभीर नहीं उतरे थे, बल्कि राहुल द्रविड़ ने पारी की शुरुआत की थी. द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने चौथे दिन भारत को और किसी विकेट का नुकसान नहीं होने दिया. पर पांचवें दिन द्रविड़ जल्दी आउट हो गए. चूंकि मैच के चौथे दिन तेंदुलकर बुखार की वजह से बहुत देर तक मैदान से बाहर थे. इसलिए पांचवें दिन वो 12.30 बजे से पहले मैदान में नहीं उतर सकते थे. लिहाजा गंभीर को उतरना पड़ा और उन्होंने लक्ष्मण के साथ मिलकर पारी संवारने की कोशिश की पर लक्ष्मण 56 रन बनाकर जब आउट हुए तो गंभीर भी ठीक अगले ओवर में ही पवेलियन लौट गए. अभी स्कोरबोर्ड पर 30 रन और जुड़े थे कि सचिन तेंदुलकर भी आउट हो गए और साथ ही यह उम्मीद भी कि उनके बल्ले से लॉर्ड्स के मैदान पर शतक देखने को मिलेगा. सुरेश रैना ने 78 रन बनाए पर यह नाकाफ़ी था. भारत के अंतिम चार बल्लेबाज़ एक बार फिर केवल 29 गेंदों के दरम्यान आउट हो गए और टीम इंडिया क़रीब 30 ओवर बाकी रहते ऑल आउट हो गई और यह मुक़ाबला 196 रनों के अंतर से हार गई. कुल मिलाकर ज़हीर ख़ान, प्रवीण कुमार राहुल द्रविड़, ईशांत शर्मा और सुरेश रैना का यह संयुक्त प्रयास भारत को मैच हारने से नहीं बचा सका.
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लगातार आठ मैच हारने का सिलसिला
मैच के बाद कप्तान धोनी ने कहा, "इस मैच में जो कुछ भी ग़लत हो सकता था, वो लगभग सब कुछ ग़लत ही हुआ." बाद में यह इंग्लैंड की धरती पर लगातार आठ मैच हारने के सिलसिले की शुरुआत वाला मुक़ाबला भी बना. लॉर्ड्स पर खेले गए इस मैच को हारने के बाद भारत अगले तीन टेस्ट मैच भी हार गया. वहीं पांच मैचों की वनडे सिरीज़ में भी फ़ैसला 3-0 से इंग्लैंड के पक्ष में गया और दोनों देशों के बीच खेला गया एकमात्र टी20 मुक़ाबला भी भारत हार गया. भारत के तब के मुख़्य चयनकर्ता कृष्णामाचारी श्रीकांत ने भारत के इंग्लैंड दौरे को 'बुरा सपना' कहा, और बोले कि इसे भूलकर यह आगे बढ़ने का समय है.