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सचिन तेंदुलकर की वो जुझारू पारी, जिसने इंग्लैंड में बचाया था भारत का सम्मान

1990 के इंग्लैंड दौरे पर एजबेस्टन टेस्ट मैच में टीम इंडिया की बल्लेबाज़ी पूरी तरह लड़खड़ा गई थी, लेकिन सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर की शुरुआती और सबसे यादगार पारियों में से एक खेली. जब टीम 17 रन पर दो विकेट गंवा चुकी थी और मध्यक्रम धराशायी हो चुका था, तब सचिन ने अकेले दम पर 122 रनों की शानदार पारी खेली और भारत को मुकाबले में बनाए रखा. हालांकि उनके आउट होते ही टीम सिमट गई और भारत मैच हार गया.

सचिन तेंदुलकर की वो जुझारू पारी, जिसने इंग्लैंड में बचाया था भारत का सम्मान
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( Image Source:  ICC )
अभिजीत श्रीवास्तव
By: अभिजीत श्रीवास्तव

Updated on: 25 July 2025 11:47 AM IST

90 के दशक में टीम इंडिया का इंग्लैंड दौरा एक बेहद यादगार लम्हा था. यह पहला मौक़ा था जब टेस्ट मैचों का लाइव टेलीकास्ट सीधा इंग्लैंड से भारत में बैठे लोगों ने देखा. यही वजह है कि भारत के क्रिकेट प्रशंसकों को टीम इंडिया के उस दौरे के प्रदर्शन का एक-एक लम्हा अच्छे से याद हो गया. तब टीम इंडिया की बल्लेबाज़ी अपने चिर परिचित अंदाज़ में सीरीज़ के पहले मैच में पूरी तरह ध्वस्त हो गई थी. हां, यह पहला लम्हा था जब ऐसा होते हुए, भारत के क्रिकेट प्रशंसकों ने अपनी आंखों से देखा था. साथ ही उन्होंने एक चमत्कार होते भी देखा था, एक ऐसा जवाबी हमला जो उससे पहले न कभी सुना गया और न कभी देखा गया था.

इंग्लैंड के एजबेस्टन में खेले जा रहे उस मैच के तीसरे दिन की दोपहर भारत की दूसरी पारी में दूसरा विकेट 17 रन पर गिरा था. नंबर- 4 पर बैटिंग करने सचिन तेंदुलकर मैदान में उतरे. इसमें ऐसा कुछ भी नया नहीं था, क्योंकि 90 के दशक में ऐसा अक्सर होता था. लेकिन इसमें भी कोई संदेह नहीं कि सचिन तेंदुलकर की बेमिसाल पारियां अक्सर हाथ से फिसलते हुए मैचों में उम्मीद की किरणें बिखेरती थीं- ठीक वैसे ही जैसे अंधकार में टिमटिमाता कोई नायाब तारा बीच मैदान में उभर कर अपनी रौशनी बिखेर रहा हो और तेंदुलकर की यह ख़ास पारी तो मानो उनकी बल्लेबाज़ी के सौंदर्य का शिखर थी-बीच मैदान पर वो अकेले ही तूफ़ान से जूझते सूरज की भांति दमक रहे थे.

सचिन के बल्ले से मैदान के हर कोने तक पहुंची गेंद

तब पहली पारी के आधार पर टीम इंडिया 99 रनों से पीछे थी. विक्रम राठौर और अजय जडेजा के लड़खड़ाने के कारण बल्लेबाज़ी का शीर्ष क्रम कमज़ोर पड़ गया था. संजय मांजरेकर चोटिल थे, लिहाजा उन्हें नंबर-7 पर रखा गया था. मध्यक्रम बेहद कमज़ोर था, नंबर-3 पर नयन मोंगिया को उतारा गया. तो सुनील जोशी नंबर छह पर और कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन पांचवें नंबर पर अपने ख़राब फ़ॉर्म से जूझ रहे थे. भारतीय पारी ताश के पत्तों की तरह बिखर गई थी. इंग्लैंड के गेंदबाज़ों क्रिस लुईस, डोमिनिक कॉर्क और एलेन मुल्लेली ने भारतीय बल्लेबाज़ों के थोड़े बहुत प्रतिरोध को पूरी तरह नाकाम कर दिया था.

विकेट के एक छोर पर लगातार भारतीय बल्लेबाज़ पस्त हो रहे थे तो दूसरा छोर संभाले तेंदुलकर लगातार रनों की इमारत खड़ी कर रहे थे. ड्राइव, कवर ड्राइव और क्रिकेट के तमाम शॉट देखने को मिल रहे थे. गेंद उनके बल्ले से टकराती और मिड ऑन के बीच से बाउंड्री की ओर दौड़ती चली जाती. उनके बैट से निकल कर कट शॉट से गेंद मैदान के किसी भी कोने में जब पहुंचती तो दर्शकदीर्घा में बैठे और टेलीविज़न पर देखते भारतीय प्रशंसकों की उत्सुकता बढ़ जाती. क्योंकि उन्हें मालूम था कि टीम इंडिया की बल्लेबाज़ी की ढहती इमारत के बीच सचिन ही वो टिमटिमाता दीया हैं जो उसकी दीवार को थामे रखेंगे. टीवी पर देखते भारतीय दर्शकों के लिए यह अनुभव बिल्कुल नया था, क्योंकि इससे पहले उन्होंने विदेशी धरती पर अकेले दम पर लड़ने की कहानियां सुनी थीं, पर उसके नज़ारे देखे नहीं थे.

ढह गया भारतीय मध्यक्रम

दिनेश मोंगिया 35 रन बना कर आउट हो गए तो कप्तान अज़हरुद्दीन केवल तीन गेंद खेल पाए और स्कोरबोर्ड को संभालने वाले को हाथ हिलाने तक की परेशानी नहीं दी. कुछ रनों का योगदान देकर सुनील जोशी भी पवेलियन लौट गए. चोट के बावजूद संजय मांजरेकर उतरे 48 मिनट तक पिच पर रहे लेकिन केवल 18 रन ही बना सके. लेकिन विकेट के दूसरे छोर पर नैसर्गिक प्रतिभा के धनी सचिन तेंदुलकर अपने महारथ का दमदार प्रदर्शन कर रहे थे. तेंदुलकर का उस मैच पर कैसा प्रभाव था इसका अंदाज़ा इसी से लगा सकते हैं कि उस दिन मास्टर ब्लास्टर ने 19 चौके और एक छक्के की बदौलत 122 रनों की आकर्षक पारी खेली, तो टीम इंडिया की ओर से 18 रनों की दूसरी सबसे बड़ी पारी मांजरेकर ने खेली.

अकेले दम पर मैच में वापसी कराई

उनके पिच पर उतरने से पहले ही भारतीय चुनौती लगभग ख़त्म हो गई थी लेकिन उन्होंने पूरे संयम के साथ धीरे-धीरे भारतीय पारी को फिर संजोया. तेंदुलकर की उस जादुई पारी ने लाखों दर्शकों को टेलीविजन की स्क्रीन से चिपकने पर मजबूर कर दिया. भारत के आठ बल्लेबाज़ आउट हो चुके थे, जैसे ही सचिन 122 के व्यक्तिगत स्कोर पर पहुंचे, उन्होंने क्रिस लुईस की एक गेंद को पुल करना चाहा, उनकी टाइमिंग ग़लत हो गई, गेंद उनके बल्ले के बाहरी किनारे से लग कर तेज़ी से मिड विकेट पर बहुत ऊंची गई और ग्राहम थोर्प ने कोई ग़लती नहीं की.

सचिन के आउट होते ही भारतीय उम्मीदों पर भी पर्दा ढक गया. 208 के स्कोर पर सचिन आउट हुए और पूरी टीम 219 रनों पर ढेर हो गई. सचिन के अलावा बाकी 10 बल्लेबाज़ों ने अतिरिक्त रनों समेत केवल 97 रन जोड़े. इंग्लैंड के सामने जीत के लिए 121 रनों का छोटा सा लक्ष्य रखा गया जिसे उन्होंने आठ विकेट शेष रहते ही बना लिया. जितने भी लोग सचिन तेंदुलकर की पारी को देखने मैदान में पहुंचे थे, वो उनके आउट होने के बाद ही वहां से लौट गए तो टीवी पर उनकी बल्लेबाज़ी के कारनामे देखते लोग भी वापस अपने काम पर हो लिए.

सचिन की वो यादगार पारी कहीं गुम हो गई

भारत वो मैच हार गया और सचिन तेंदुलकर की वो यादगार पारी रिकॉर्ड बुक में कहीं गुम हो गई, क्योंकि बाद में उन्होंने कई ऐसी नायाब पारियां खेलीं जो भारतीय क्रिकेट के जनमानस में रच-बस गईं. हालांकि सचिन की यह पारी जिन लोगों ने भी देखी, सुनी... इस मैच के बाद से उन भारतीय दर्शकों के टेलीविज़न सेट से चिपकने का सिलसिला ऐसा शुरू हुआ कि बीते तीन दशकों से बदस्तूर जारी है.

क्रिकेट न्‍यूजस्टेट मिरर स्पेशल
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