दुनिया का महान बॉक्सर, जिसे केवल 5 मैचों में मिली हार... कहानी कैसियस मार्सेलस क्ले जूनियर के मुहम्मद अली बनने की
मुहम्मद अली एक अमेरिकी पेशेवर मुक्केबाज थे, जिन्हें उनकी अद्वितीय मुक्केबाजी शैली और उनके सामाजिक कार्यों के लिए जाना जाता है. उनका जन्म आज के ही दिन जन्म 17 जनवरी 1942 को अमेरिका के केंटुकी के लुइसविले में हुआ था. उनका असली नाम कैसियस मार्सेलस क्ले जूनियर था, लेकिन उन्होंने बाद में इस्लाम धर्म अपनाने के बाद अपना नाम मुहम्मद अली रख लिया.

Muhammad Ali Birthday Special: अगर आप बॉक्सिंग में रुचि रखते हैं तो आप अमेरिका के मशहूर मुक्केबाज (Boxer) मुहम्मद अली के नाम से जरूर परिचित होंगे. आज के ही दिन केंटकी के लुइसविले में 1942 में उनका जन्म हुआ था. वे तीन अलग-अलग मौके पर वर्ल्ड हेवीवेट चैंपियंशिप जीतने वाले पहले बॉक्सर थे. उन्होंने 19 बार अपने इस खिताब का सफलता पूर्वक बचाव किया.
मुहम्मद अली का मूल नाम कैसियस मार्सेलस क्ले जूनियर था. वे दक्षिणी अमेरिका में पले बढ़े थे. उनके पिता कैसियस मार्सेलस क्ले सीनियर बिल बोर्ड और साइन्स पेंट करके अपनी पत्नी और दो बेटों के परिवार का भरण पोषण करते थे. उनकी मां ओडेसा ग्रेडी क्ले लोगों के घरों में काम करती थीं.
12 साल की उम्र में शुरू की मुक्केबाजी
कैसियस मार्सेलस क्ले जूनियर ने 12 साल की उम्र में मुक्केबाजी शुरू की. उन्होंने लुइसविले के पुलिसकर्मी जो मार्टिन के मार्गदर्शन में मुक्केबाजी सीखी. आगे चलकर क्ले जूनियर ने 1960 के रोम ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता. इसके बाद वे इटली की राजधानी रोम चले गए. यहां उन्होंने लुइसविले स्पॉन्सरिंग ग्रुप के मार्गदर्शन में अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की.
सन्नी लिस्टन को हराकर किया बड़ा उलटफेर
25 फरवरी 1964 को क्ले जूनियर ने उस समय के सबसे मजबूत और शक्तिशाली फाइटर सन्नी लिस्टन को हराया. इसी साल 6 फरवरी 1964 को उन्होंने अपना नाम बदलकर मुहम्मद अली कर लिया. यह नाम उन्हें एलिजा मुहम्मद ने दिया. लिस्टन के खिलाफ 25 मई 1965 को हुए मुकाबले में उन्होंने फिर से जीत हासिल की. इसके बाद उन्होंने हेनरी कूपर, ब्रायन लंदन और फ्लोयड पैटरसन जैसे कई मशहूर खिलाड़ियों को हराया.
अमेरिकी सेना में शामिल होने से किया साफ इनकार
अली ने 28 अप्रैल 1967 को वियतनाम के खिलाफ हो रहे युद्ध के लिए अमेरिकी सेना में शामिल होने से साफ इनकार दिया. इससे उन्हें चैंपियनशिप से वंचित कर दिया गया. इसके साथ ही अमेरिका में साढ़े तीन साल तक लड़ने पर रोक लगा दी गई. उन्हें 20 जून 1967 को पांच साल की जेल की सजा सुनाई गई. हालांकि, वे जमानत पर रिहा हो गए. अली का मानना था कि जब तक आपके पास हत्या करने का बहुत अच्छा कारण न हो, युद्ध गलत है.
अली पर अक्टूबर 1970 में लगा प्रतिबंध हटा दिया गया, लेकिन अब उनमें पहले जैसी बात नहीं थी. उनके पैर पूरी तरह से पहले जैसे नहीं चल रहे थे. हालांकि, उन्होंने फिर भी अपने शुरुआती दो मुकाबलों में जीत हासिल की, लेकिन जब उनका मुकाबला जो फ्रेजियर से हुआ तो वे हार गए. फ्रेजियर और अली के बीच हुए मुकाबले को सदी की लड़ाई के रूप में जाना जाता है.
अली ने लगातार जीते 10 मुकाबले
फ्रेजियर से हारने के बावजूद अली ने हार नहीं मानी और लगातार 10 मुकाबले जीते. इनमें से 8 मुकाबला दिग्गज खिलाड़ियों से था. हालांकि, 31 मार्च 1973 को केन नॉर्टन ने उनका जबड़ा तोड़ दिया और मैच जीत लिया. इसके बाद अली का मुकाबला फिर से फ्रेजियर से हुआ, जिसमें अली ने जीत दर्ज की.
'रंबल इन द जंगल' में अली को मिली जीत
अली ने 30 अक्टूबर 1974 को जॉर्ज फोरमैन को शिकस्त दी, जिसने 1973 में फ्रेजियर को हराकर विश्व हैवीवेट चैंपियन का खिताब जीता था. अली और फोरमैन के बीच मुकाबले को 'रंबल इन द जंगल' कहा गया. अली और फ्रेजियर के बीच तीसरी बार 1 अक्तूबर 1975 को मुकाबला हुआ, जिसमें अली ने जीत दर्ज की.
अली को अंतिम मुकाबले में मिली हार
अली ने 1978 में विश्व हैवीवेट चैंपियनशिप का खिताब खो दिया. उन्हें लियोन स्पिंक्स के हाथों हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, सात महीने बाद ही उन्होंने स्पिंक्स को हराकर फिर से खिताब पर कब्जा जमा लिया. इसके बाद उन्होंने संन्यास ले लिया. हालांकि, दो साल बाद उन्होंने फिर से रिंग में वापसी की. इस बार उन्हें लैरी होम्स के हाथों हार का सामना करना पड़ा. अली अपने आखिरी मुकाबले में 1981 में ट्रेवर बर्बिक से हार गए. इस तरह उनके करियर का दुखद अंत हुआ.
सिर्फ 5 मुकाबलों में मिली हार
अली की गिनती बॉक्सिंग के इतिहास में सबसे महान बॉक्सर के रूप में होती है. उन्होंने 56 मुकाबलों में जीत दर्ज की, जबकि 5 में हार का सामना करना पड़ा. पार्किसंस रोग के चलते 3 जून 2016 को एरिजोना के फीनिक्स में उनका निधन हो गया. उन्हें उनके सामाजिक कार्यों के लिए भी याद किया जाता है. उन्होंने नस्लवाद और युद्ध के खिलाफ भी बोला था.
मुहम्मद अली ने इस्लाम क्यों अपनाया था?
मुहम्मद अली ने 1964 में इस्लाम धर्म अपनाया था. उस समय वे 22 साल के थे। अली का कहना था कि उन्हें इस्लाम की शिक्षाएं और मूल्य आकर्षक लगे थे, खासकर इसकी एकता और समानता की शिक्षा. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अमेरिकी समाज में नस्लवाद और भेदभाव के खिलाफ लड़ने के लिए इस्लाम ने एक मजबूत आधार प्रदान किया था. इस्लाम ने उन्हें अपनी पहचान और अपने समुदाय के साथ जुड़ने का एक तरीका दिया था.
मुहम्मद अली की पत्नी का क्या नाम था?
मुहम्मद अली ने अपने जीवन में चार बार शादी की. उनकी पहली पत्नी का नाम सोनजी रोय था, जिनसे उन्होंने 1964 में शादी की थी. सोनजी एक मॉडल और एक्ट्रेस थीं. यह शादी केवल दो साल तक चली और 1966 में उनका तलाक हो गया. अली ने 1967 में बेलिंडा बॉयड से दूसरी शादी की. बेलिंडा एक मॉडल और अभिनेत्री थीं. उनकी शादी दस साल तक चली और 1977 में उनका तलाक हो गया.
मुहम्मद अली ने तीसरी शादी वर्ना मेल्विन से 1977 में की. वर्ना एक अभिनेत्री और मॉडल थीं. दोनों की 9 साल तक चली और 1986 में उनका तलाक हो गया. इसके बाद उन्होंने चौथी शादी योलैंडा 'लोनी' विलियम्स से की. लोनी एक बिजनेसवूमन और परोपकारी थीं. उनकी शादी मुहम्मद अली की मृत्यु तक यानी 30 तक चली.
अली की बेटी बनी प्रोफेशनल बॉक्सर कितने बच्चे थे?
अली के नौ बच्चे थे. उनकी एक बेटी लैला अली ने प्रोफेशनल बॉक्सर के रूप में अपना करियर बनाया. वह 1999 से 2007 के बीच 24 मुकाबलों में अपराजित रहीं. उन्होंने विभिन्न भार वर्गों में कई खिताब जीते.
अली ने 1996 में जलाई ओलंपिक मशाल
अली को 1996 में अटलांटा, जॉर्जिया में 26वें ओलंपियाड खेलों की शुरुआत में ओलंपिक मशाल जलाने के लिए चुना गया था. उनकी एक झलक पाने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. उनकी जिंदगी पर अली (2001) फिल्म भी बनाई गई, जिसमें विल स्मिथ ने मुक्केबाज की भूमिका निभाई थी. अली की जीवन कहानी डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'आई एम अली' (2014) में बताई गई है. उन पर डॉक्यूमेंट्री सीरीज व्हाट्स माई नेम (2019) और मुहम्मद अली (2021) भी बनाई गई. अली को 2005 में प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ़्रीडम से सम्मानित किया गया था.