मैं संन्यास नहीं लेने जा रहा... चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद रोहित शर्मा ने सबका मुंह कर दिया बंद
भारत ने न्यूजीलैंड को चार विकेट से हराकर रिकॉर्ड तीसरी बार चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीता. रोहित शर्मा की 76 रनों की पारी और शानदार स्पिन गेंदबाजी ने भारत को अपराजित रहते हुए जीत दिलाई. केएल राहुल ने संयम से खेलते हुए नाबाद 34 रन बनाए। रोहित को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया.

भारत ने रविवार को न्यूजीलैंड को चार विकेट से हराकर रिकॉर्ड तीसरी बार चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया. इस जीत के साथ, भारत 2002 और 2013 की अपनी पिछली जीतों में एक और खिताब जोड़ते हुए तीन बार यह ट्रॉफी जीतने वाली पहली टीम बन गया, जिसने ऑस्ट्रेलिया के दो खिताबों को पीछे छोड़ दिया. भारतीय टीम के शानदार प्रदर्शन में रोहित शर्मा की 76 रनों की अहम पारी और स्पिन गेंदबाजों का बेहतरीन योगदान रहा.
252 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए, भारतीय टीम ने अपने कप्तान रोहित शर्मा के टूर्नामेंट के पहले अर्धशतक की मदद से मजबूत शुरुआत की. बाद में केएल राहुल ने संयम भरी पारी खेलते हुए नाबाद 34 रन बनाए और भारत को फाइनल में छह गेंद शेष रहते जीत दिला दी. भारत इस टूर्नामेंट में शुरुआत से ही अपराजित रहा, जिससे उसकी विश्व की नंबर एक एकदिवसीय टीम के रूप में स्थिति और मजबूत हो गई.
जो चल रहा है चलेगा
मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब रोहित शर्मा से उनके भविष्य को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने अपने चिर-परिचित अंदाज में जवाब दिया. उन्होंने साफ शब्दों में कहा, "कोई भविष्य की योजना नहीं है, जो चल रहा है चलेगा. मैं अभी संन्यास नहीं लेने जा रहा हूं." रोहित के इस बयान से उनके वनडे करियर को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लग गया.
इस जीत से मिला संतोष
अपनी बल्लेबाजी को लेकर रोहित ने कहा कि उन्होंने 2019 विश्व कप में जमकर रन बनाए थे, लेकिन भारत की हार की वजह से उन्हें वह संतोष नहीं मिला. उन्होंने कहा, "जब टीम जीतती है, और आप योगदान देते हैं, तो उससे ज्यादा खुशी किसी चीज़ में नहीं होती." अपनी 76 रनों की पारी के लिए उन्हें 'प्लेयर ऑफ द मैच' चुना गया, जिससे उनका यह प्रदर्शन और भी खास बन गया.
बनी सबसे सफल टीम
यह रोहित शर्मा की बतौर कप्तान दूसरी आईसीसी ट्रॉफी है. इससे पहले उन्होंने 2024 में भारत को टी-20 विश्व कप जिताया था, जब टीम ने फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराया था. इस ऐतिहासिक जीत के साथ, भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी के इतिहास में सबसे सफल टीम के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत कर लिया, जिसने पूरे टूर्नामेंट में एक भी मैच गंवाए बिना खिताब अपने नाम किया.