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Sachin Tendulkar @52: उस बच्चे की कहानी जिसने क्रिकेट को धर्म बना दिया

क्रिकेट के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर आज 52 वर्ष के हो गए हैं. दुनिया भर में ‘क्रिकेट के भगवान’ के नाम से मशहूर सचिन का सफर केवल रिकॉर्ड तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने करोड़ों लोगों को खेल और जीवन दोनों में प्रेरित किया. बचपन में शरारती रहे सचिन को उनके भाई अजित ने कोच रमाकांत आचरेकर से मिलवाया, जहां से उनका क्रिकेट सफर शुरू हुआ. मात्र 16 साल की उम्र में पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू करने वाले सचिन ने 24 साल के लंबे करियर में 100 शतक, 34,000 से अधिक रन और अनगिनत रिकॉर्ड बनाए.

Sachin Tendulkar @52: उस बच्चे की कहानी जिसने क्रिकेट को धर्म बना दिया
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प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 24 April 2025 11:50 AM IST

आज वो तारीख है जिसे हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी दिल से याद रखता है – 24 अप्रैल, जब एक बच्चे ने जन्म लिया था, जो आगे चलकर क्रिकेट के मैदान पर देवता बन गया. सचिन रमेश तेंदुलकर, जिन्हें दुनिया प्यार से 'मास्टर ब्लास्टर' कहती है, आज अपना 52वां जन्मदिन मना रहे हैं. ये सिर्फ एक क्रिकेटर का जन्मदिन नहीं, बल्कि भावनाओं, यादों और गौरव का उत्सव है. वो खिलाड़ी जिसने मैदान पर न सिर्फ रन बनाए, बल्कि एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया, उम्मीद दी, और भारत को गर्व से भर दिया.

भारतीय क्रिकेट के इतिहास में शायद ही कोई नाम ऐसा हो, जो देश की धड़कनों से इस कदर जुड़ा हो जैसा कि सचिन रमेश तेंदुलकर का है. 24 साल लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर में उन्होंने ऐसा मुकाम हासिल किया जिसे छूना हर क्रिकेटर का सपना होता है. भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में ‘मास्टर ब्लास्टर’ के नाम से मशहूर तेंदुलकर को उनके रिकॉर्ड्स, उनके संयम और उनके समर्पण के लिए जाना जाता है. यही वजह है कि वेस्टइंडीज के दिग्गज बल्लेबाज सर विवियन रिचर्ड्स ने उन्हें ‘बैटिंग का भगवान’ तक कह दिया था.

शरारती बच्चा, जो बल्ले से इतिहास लिखने निकला

सचिन बचपन में बेहद शरारती थे. स्कूल में ज्यादा ध्यान नहीं था, पर उनके बड़े भाई अजीत तेंदुलकर ने कुछ और देखा—एक जूनून, एक टैलेंट. अजीत ने उन्हें लेकर पहुंचाया रमाकांत आचरेकर के पास, और वहीं से शुरू हुई उस कहानी की नींव जो आज भी हर क्रिकेट प्रेमी के दिल में बसी है.

15 साल में शतक, 16 की उम्र में पाकिस्तान की बाउंसरें और फिर... भगवान का दर्जा

सचिन ने मात्र 15 साल की उम्र में रणजी ट्रॉफी में पदार्पण किया और पहले ही मैच में नाबाद 100 रन ठोंक डाले. फिर अगले ही साल, 1989 में, जब 16 साल का यह लड़का पाकिस्तान के धुरंधरों—इमरान खान, वसीम अकरम, वकार यूनुस—का सामना करने उतरा, तब दुनिया को लगा यह सिर्फ शुरुआत है.

दूसरे ही टेस्ट में उन्होंने शानदार अर्धशतक लगाया और फिर पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा.

रिकॉर्ड्स जो सिर्फ किताबों में नहीं, दिलों में लिखे हैं

  • अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन: 34,357
  • सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय शतक: 100
  • टेस्ट में सबसे ज्यादा मैच (200), रन (15,921) और शतक (51)
  • ODI में 49 शतक (विराट कोहली से पहले सबसे ज्यादा)
  • ODI में सबसे ज्यादा 'प्लेयर ऑफ द मैच' अवॉर्ड: 62

ये सिर्फ आंकड़े नहीं, ये उन पलों की कहानी है जब पूरा देश टीवी स्क्रीन के सामने सांस रोककर बैठा होता था, सिर्फ ये देखने कि "आज सचिन क्या करेगा?"

वो आखिरी टेस्ट और वानखेड़े की वो भीगी हुई आंखें

2013 में, वेस्टइंडीज के खिलाफ सचिन ने अपना आखिरी टेस्ट खेला. वानखेड़े स्टेडियम खचाखच भरा था, हर आंख नम, हर दिल भारी. गार्ड ऑफ ऑनर मिला, और फिर सचिन ने 74 रनों की शानदार पारी खेली. खेल खत्म होने के बाद उन्होंने जो विदाई भाषण दिया, वो आज भी करोड़ों फैंस के दिलों में गूंजता है. "मेरे जीवन के 24 साल, मेरे देश को दिए. ये पल, ये प्यार... मैं कभी नहीं भूलूंगा."

क्यों कहा विव रिचर्ड्स ने – ‘ये गॉड ऑफ क्रिकेट है’

वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज सर विवियन रिचर्ड्स ने एक बार कहा था, “जहां तक बल्लेबाज़ी का सवाल है, सचिन भगवान है. उसने एक पूरी भारतीय टीम के लिए बल्लेबाज़ी की नींव रखी.” 2011 वर्ल्ड कप से पहले रिचर्ड्स ने खुले तौर पर कहा था कि वो चाहते हैं कि भारत ये कप जीते, क्योंकि ये सचिन की आखिरी उम्मीद है. और जब भारत ने जीत दर्ज की, तो पूरी दुनिया ने सचिन को कंधे पर उठाकर भगवान का दर्जा दे दिया.

सचिन तेंदुलकर सिर्फ रन मशीन नहीं हैं, वो सपनों की मिसाल हैं. एक ऐसा नाम, जो बताता है कि सच्चा समर्पण, अनुशासन और जुनून किसे कहते हैं.

जन्मदिन मुबारक हो, सचिन – क्रिकेट के भगवान!

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