Begin typing your search...

11 चोटें, 211 गेंदें और 56 रन... जब ऑस्ट्रेलिया के सामने 'दीवार' बनकर खड़े हो गए थे पुजारा, कहानी 2021 के गाबा टेस्ट की

चेतेश्वर पुजारा ने रविवार को क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया. उनकी पहचान भारतीय टेस्ट क्रिकेट की 'दीवार' के रूप में रही, जहां उन्होंने धैर्य, साहस और अदम्य इच्छाशक्ति से टीम इंडिया को कई कठिन हालात से बाहर निकाला. उनके करियर की सबसे यादगार पारी 2021 के ब्रिस्बेन (गाबा) टेस्ट में रही, जब उन्होंने 211 गेंदों पर सिर्फ 56 रन बनाए लेकिन इस दौरान ऑस्ट्रेलियाई तेज़ गेंदबाजों के 11 खतरनाक वार अपने शरीर पर झेले.

11 चोटें,  211 गेंदें और 56  रन... जब ऑस्ट्रेलिया के सामने दीवार बनकर खड़े हो गए थे पुजारा, कहानी 2021 के गाबा टेस्ट की
X
( Image Source:  ANI-x/adi021996 )

Cheteshwar Pujara Retirement, India vs Australia Gabba 2021 Test: चेतेश्वर पुजारा ने रविवार (24 अगस्त) को जब क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा की, तो पूरा क्रिकेट जगत उनके धैर्य, साहस और जज्बे को याद कर रहा था. उनकी गिनती भारत के उन बल्लेबाज़ों में होती है जिन्होंने कभी हार नहीं मानी, चाहे सामने कैसी भी चुनौती क्यों न हो. उनकी कई यादगार पारियों में सबसे अहम रही 2021 के ब्रिस्बेन टेस्ट (गाबा) की 56 रनों की पारी... ये पारी सिर्फ अंकों की वजह से नहीं, बल्कि उस जज्बे की वजह से इतिहास में दर्ज हुई जब उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई तेज़ गेंदबाज़ों के सामने अपना शरीर ढाल बना दिया.

मैच के आखिरी दिन ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ लगातार बाउंसर और तेज़ गेंदों से हमला कर रहे थे. उस दौरान पुजारा को कुल 11 बार गेंद लगी- कभी हेलमेट पर, कभी गर्दन पर, तो कभी बाजू और छाती पर. पैट कमिंस ने उन्हें 6 बार मारा- हेलमेट, गर्दन के नीचे, छाती, जांघ, बाइसेप और ग्लव्स पर. मिशेल स्टार्क की गेंद दो बार उनके ग्लव्स पर लगी. जोश हेज़लवुड ने उन्हें 3 बार चोट पहुंचाई- बाज़ू, ग्लव्स और हेलमेट पर.

पुजारा न तो पीछे हटे और न ही डर दिखाया

इतना सब होने के बावजूद पुजारा न तो पीछे हटे और न ही डर दिखाया. उन्होंने अपनी 211 गेंदों की डटकर खेली गई पारी से ऑस्ट्रेलिया की तेज़ गेंदबाज़ी को थका दिया और वही मंच तैयार किया जिस पर ऋषभ पंत ने भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई.

“पिच पर गेंद का उछाल अनिश्चित था”

बाद में पुजारा ने खुद बताया कि उन्होंने गेंद से बचने के बजाय शरीर पर झेलना क्यों चुना. उनके मुताबिक, “उस पिच पर गेंद का उछाल अनिश्चित था. बैट से बचाने की कोशिश खतरनाक हो सकती थी, क्योंकि कैच शॉर्ट लेग या गली में जा सकता था. इसलिए मैंने तय किया कि शरीर पर मार खाना ज्यादा सुरक्षित है.”

“सलाम है पुजारा, आपने भारत का सिर ऊंचा किया”

पुजारा की इस सहनशीलता की सराहना पूरे क्रिकेट जगत ने की. महान बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर ने कहा, “वो पुराने जमाने के खिलाड़ी थे जो हमेशा देश को खुद से ऊपर रखते थे. अनगिनत बार भारत के लिए चोटें खाईं, लेकिन कभी पीछे नहीं हटे. भारतीय क्रिकेट को चाहिए कि उनके अनुभव का उपयोग करके नई पीढ़ी को सिखाए कि हम जो भी हैं, वो भारत की वजह से हैं. सलाम है पुजारा, आपने भारत का सिर ऊंचा किया.” गाबा की वही 11 चोटें पुजारा की असली पहचान बन गईं. एक ऐसा योद्धा, जिसने दर्द को कवच बनाकर टीम इंडिया के लिए दीवार खड़ी कर दी.

क्रिकेट न्‍यूज
अगला लेख