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Bob Simpson - एक युग का अंत, टेस्ट के ट्रिपल सेंचुरी से 41 साल में टीम में वापसी करने तक वर्ल्ड कप विजेता कोच की कहानी

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर, कप्तान और कोच बॉब सिम्पसन का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्होंने 62 टेस्ट और 2 वनडे खेले, 10 शतक, 27 अर्धशतक और 71 विकेट दर्ज किए. 1964 में तिहरा शतक जड़कर ब्रैडमैन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाले दूसरे ऑस्ट्रेलियाई बने. 41 वर्ष की उम्र में संन्यास से वापसी की और बाद में कोच बनकर 1987 वर्ल्ड कप, एशेज़ और फ्रैंक वॉरेल ट्रॉफी जिताई. सिम्पसन को 2013 में ICC Hall of Fame में शामिल किया गया.

Bob Simpson - एक युग का अंत, टेस्ट के ट्रिपल सेंचुरी से 41 साल में टीम में वापसी करने तक वर्ल्ड कप विजेता कोच की कहानी
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( Image Source:  X/@cricketvictoria )

"ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को बॉब ने कई पीढ़ियों तक अपनी असाधारण सेवाएं दीं. एक खिलाड़ी के रूप में, कप्तान के तौर पर और फिर बतौर कोच, उन्होंने ख़ुद के लिए और जिन चैंपियनों का उन्होंने नेतृत्व किया उनके लिए बहुत ऊंचा पैमाना तय किया." ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ के ये शब्द बॉब सिम्पसन के लिए बिल्कुल सटीक हैं, जिन्होंने शनिवार की सुबह इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

पूर्व क्रिकेटर, कप्तान, कोच और ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक बॉब सिम्पसन का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. केवल 16 वर्ष की आयु में विक्टोरिया के ख़िलाफ़ न्यू साउथ वेल्स के लिए फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू करने वाले बॉब सिम्पसन ने 39 टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी की और टेस्ट मैचों में 10 शतकों और 27 अर्धशतकों समेत 4,869 रन बनाए और 71 विकेट भी चटकाए.

62 टेस्ट और 2 वनडे में अपनी राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व करने वाले बॉब सिम्पसन के निधन की पुष्टि करते हुए क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें क्रिकेट के महान खिलाड़ियों में से एक बताया और उनके निधन को पूरे खेल के लिए दुर्भाग्यपूर्ण क्षण बताया. साथ ही, यह भी घोषणा की गई कि राष्ट्रीय टीम बॉब सिम्पसन को सम्मान देने के लिए दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ वनडे मैच की शुरुआत एक मिनट के मौन के साथ करेगी और मैच के दौरान बांह में काली पट्टी पहन कर उन्हें श्रद्धांजलि देगी.

ब्रैडमैन के बाद ट्रिपल सेंचुरी बनाने वाले ऑस्ट्रेलियाई

1957 में जोहान्सबर्ग टेस्ट में दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ पहला टेस्ट खेलने वाले बॉब सिम्पसन को अपना पहला टेस्ट शतक जमाने के लिए सात साल लंबा इंतज़ार करना पड़ा. पर जब उनका पहला टेस्ट शतक आया तो वो भी शानदार अंदाज़ में था. 1964 की एशेज़ सिरीज़ के दौरान ओल्ड ट्रैफ़र्ड टेस्ट में जब बॉब सिम्पसन ने अपना पहला टेस्ट शतक जमाया तो वो केवल शतक या दोहरा शतक नहीं बल्कि तिहरा शतक था. तब बॉब ने 311 रनों की बेमिसाल पारी खेली थी. तब बॉब सिम्पसन टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलिया के लिए तिहरा शतक जमाने वाले डॉन ब्रैडमैन के बाद केवल दूसरे क्रिकेटर थे. साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने टेस्ट क्रिकेट में 30 सालों बाद तिहरा शतक देखा था. बता दें कि ब्रैडमैन ने टेस्ट मैचों में दो बार, 1930 और 1934 में, तिहरा शतक जमाया था. हालांकि सिम्पसन के उस तिहरे शतक के बाद से अब तक पांच और ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ तिहरा शतक जमा चुके हैं.

कैलेंडर वर्ष में सबसे अधिक रन का रिकॉर्ड

साल 1964 बॉब सिम्पसन के क्रिकेट करियर का स्वर्णिम वर्ष भी था. उस साल उन्होंने तीन शतकों समेत टेस्ट मैचों में 1381 रन बनाए थे, जो तब एक कैलेंडर वर्ष में सबसे अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड था, जो अगले 12 सालों तक उनके नाम पर बना रहा. बाद में 1976 में वेस्ट इंडीज़ के दिग्गज बल्लेबाज़ सर विवियन रिचर्ड्स ने 1710 रन बनाकर यह रिकॉर्ड अपने नाम किया. जिसे 30 साल बाद पाकिस्तान के मोहम्मद यूसुफ़ ने 1788 रन बनाकर तोड़ा और आज 19 साल बाद भी यह उन्हीं के नाम पर बरकरार है. जब वो क्रिकेट खेला करते थे तब ऑस्ट्रेलिया में उनकी और बिल लॉरी की सलामी जोड़ी बहुत महशूर थी. दोनों ने ऑस्ट्रेलिया को कई मैचों में शानदार शुरुआत दी.

41 साल की उम्र में संन्यास से वापसी की कहानी

बॉब की गिनती महानतम स्लिप-फील्डरों में होती है. उनके हाथों से कैच ड्रॉप होना नामुमकिन माना जाता था. टेस्ट क्रिकेट में बॉब सिम्पसन के नाम 110 टेस्ट कैच दर्ज है. टेस्ट क्रिकेट से उनके संन्यास लेने के समय यह एक ऑस्ट्रेलियाई रिकॉर्ड था. तब बॉब सिम्पसन टेस्ट मैचों में सर्वाधिक कैच लेने के मामले में इंग्लैंड के कोलिन काउड्रे (120 कैच) के बाद दूसरे पायदान पर थे. साल 1964 के शानदार प्रदर्शन के चार साल बाद ही बॉब सिम्पसन ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया. पर 13 साल बाद उन्हें अपना संन्यास तोड़ कर वापस ऑस्ट्रेलियाई टीम को अपनी सेवाएं देनी पड़ी.

दरअसल 1977 में जब ऑस्ट्रेलियाई मीडिया मुग़ल कैरी पैकर ने कैरी पैकर सिरीज़ शुरू की तो कई नामी गिरामी क्रिकेटरों ने उसमें भाग लिया. तब इयान चैपल, ग्रेग चैपल, डेनिस लिली, रॉड मार्श, विवियन रिचर्ड्स, क्लाइव लॉयड, इमरान ख़ान, टोनी ग्रेग और बैरी रिचर्ड्स क्रिकेटरों ने इस समांनांतर लीग में भाग लिया था. पूरी दुनिया में इस सिरीज़ ने हंगामा मचा दिया था क्योंकि सभी क्रिकेट बोर्ड एकमत थे कि इससे परंपरागत क्रिकेट को नुकसान पहुंचेगा. उसी दौरान ऑस्ट्रेलिया के कई क्रिकेटर जब कैरी पैकर सिरीज़ में खेलने लगे तो बोर्ड ने उन्हें पारंपरिक टेस्ट मैचों में खेलने से प्रतिबंधित कर दिया. तब बॉब सिम्पसन ने 41 साल की उम्र में टेस्ट मैचों में कप्तान के तौर पर भारत के ख़िलाफ़ शानदार वापसी की. पहले मैच में 89 रन तो दूसरे में 176 रन और दो मैच बाद एडिलेड में 100 और 51 का स्कोर बना डाले.

1977-78 में भारत से दो टेस्ट हारे, वेस्ट इंडीज़ ने सिरीज़ हराई

हालांकि पांच टेस्ट मैचों की ये सिरीज़ तो ऑस्ट्रेलिया ने जीत ली पर यह वही सिरीज़ है जिसमें भारत ने दो टेस्ट मैच जीते थे. ब्रिसबेन और पर्थ टेस्ट हारने के बाद भारत ने सिरीज़ में वापसी की थी और मेलबर्न टेस्ट को 222 रनों से तो सिडनी टेस्ट को एक पारी और 2 रनों से जीत कर सिरीज़ में वापसी की थी. हालांकि अंतिम टेस्ट एडिलेड में 47 रनों से जीत कर ऑस्ट्रेलिया ने उस सिरीज़ पर क़ब्ज़ा जमा लिया था. तब भारतीय टीम की कप्तानी बिशन सिंह बेदी ने की थी. भारत के ख़िलाफ़ टेस्ट सिरीज़ बमुश्किल जीतने वाले सिम्पसन को इसके तुरंत बाद वेस्ट इंडीज़ की टीम ने 3-1 से हरा दिया. और 1978 में कैरी पैकर के चैनल-9 को ऑस्ट्रेलियाई मैचों के प्रसारण का अधिकार मिलने के साथ ही बोर्ड से साथ चल रहा उनका झगड़ा ख़त्म हो गया और सभी ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों से भी प्रतिबंध हटा लिया गया तो बतौर खिलाड़ी बॉब सिम्पसन का क्रिकेट करियर भी समाप्त हो गया.

वर्ल्ड कप, फ़्रैंक वॉरेल ट्रॉफ़ी और एशेज़ जीतने वाले कोच

बॉब 1986 से 1996 तक 10 सालों के दौरान ऑस्ट्रेलियाई टीम के कोच भी रहे और जैसा कि ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा- बतौर कोच बॉब ने सर्वोतम उधाहरण सेट किया. सिम्पसन 1986 में ऑस्ट्रेलियाई टीम के पहले फ़ुल टाइम कोच थे. उन्हें एलेन बॉर्डर के नेतृत्व में वो ऑस्ट्रेलियाई टीम विरासत में मिली जो तीन साल से बग़ैर जीत के दौर से गुज़र रही थी. सिम्पसन ने बॉर्डर के साथ मिलकर स्टीव वॉ, डेविड बून, डीन जोन्स और क्रेग मैकडरमॉट जैसे प्रतिभा के धनी नए क्रिकेटर्स के बल पर एक मज़बूत टीम बनाने में अहम योगदान दिया.

लगातार हार रही टीम को वर्ल्ड चैंपियन बनाने वाले कोच

2019 में एलेन बॉर्डर ने कोच के दौर की बातों को याद करते हुए कहा था कि बॉब का रवैया था कि वो सभी को एकमत करने के लिए तब तक अड़े रहते जब तक सभी मान नहीं जाते, वो बिना कोई क़र्फ़्यू लगाए एक नियम बना देते और उसे मनवाने के लिए अड़े रहते थे. बॉर्डर बताते हैं कि अगर कोई खिलाड़ी प्रैक्टिस करने देरी से पहुंचता तो वो उससे कुछ नहीं कहते, बस तब तक ड्रिल करवाते जब तक कि वो अधमरा सा न हो जाए. बॉर्डर ने ये भी माना कि ये बॉब सिम्पसन ही थे जिन्होंने हमरी टीम में वो धार डाली जिसकी पहले कमी थी.

यही वजह है कि अभी बॉब सिम्पसन को कोच बने केवल एक ही साल हुए थे कि ऑस्ट्रेलिया ने 1987 के रिलायंस वर्ल्ड कप को अपने नाम कर लिया. तो वेस्ट इंडीज़ के क़िले को 17 साल से फ़तह करने में लगातार नाकाम रही ऑस्ट्रेलियाई टीम उनके कोच रहते फ़्रैंक वॉरेल ट्रॉफ़ी पर भी क़ब्ज़ा जमा कर इस सूखे को ख़त्म करने में कामयाब हुई. तब ऑस्ट्रेलिया ने 1995 में वेस्ट इंडीज़़ को कैरेबियाई मैदान पर हराया था. साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने उनके कोच रहते इंग्लैंड के ख़िलाफ़ चार बार एशेज़ सिरीज़ भी जीती. बॉब सिम्पसन को कई अवार्ड मिले और क्रिकेट में उनके असीम योगदान को सम्मान देते हुए आईसीसी ने उन्हें 2013 में हॉल ऑफ़ फ़ेम में भी शामिल किया.

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