कुंडली में ये योग बने तो व्यक्ति के विवाह के बाद चमकती है उसकी किस्मत, जीवन में मिलते हैं सभी सुख
जब किसी की कुंडली में सप्तेश और नवमेश का राशि परिवर्तन योग बनता हो तो व्यक्ति की जीवन उसके विवाह के बाद बदलता है. विवाह होने के बाद व्यक्ति ऊंचे मुकाम को हासिल करता है. सप्तमेश का धन भाव या फिर लाभ भाव पर स्थिति होकर शुक्र ग्रहों के प्रभाव में हो तो व्यक्ति के विवाह होने के बाद उसका भाग्य साथ देता है.

अक्सर आपने किसी ऐसे व्यक्ति को देखा या उसके बारे में सुना जरूर होगा कि अमुक व्यक्ति का विवाह होने के बाद उसका भाग्य ही बदल गया. विवाह होने से पहले वह व्यक्ति किसी भी काम को करने और उसमें सफलता पाने लिए उसको खूब संघर्ष का सामना करना पड़ता था, लेकिन जैसे ही व्यक्ति विवाह के बंधन में बंधा उसका जीवन ही बदल गया. विवाह के बाद उसको दिन-ब- दिन तरक्की मिलती गई और व्यक्ति धनवान और सुखी रहने लगा. विवाह होने के बाद व्यक्ति की जॉब लगती है और व्यापार में तरक्की मिलने लगती है.
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति का भाग्य अगर अच्छा है तो उसको जीवन में सफलता प्राप्त होती है. कुंडली के नवम भाव से भाग्य और सप्तम भाव से वैवाहिक जीवन का पता चलता है. कुंडली के इन दोनों भाव का अध्ययन करके यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति का भाग्य विवाह होने के बाद बदलेगा या नहीं. इसके अलावा कुंडली में कुछ ग्रहों की पोजिशन ऐसी होती है जिससे विवाह के बाद व्यक्ति का भाग्य बदलता है. आइए जानते हैं कुंडली में वे कौन-कौन से योग बनते हैं जिससे व्यक्ति का भाग्य विवाह होने के बाद बनता है.
जीवनसाथी के सहयोग आता है धन
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सप्तम भाव, सप्तमेश और भाव का कारक ग्रह बली होता है तो व्यक्ति को भाग्योदय विवाह के बाद होती है. ऐसे व्यक्ति का विवाह होने के बाद वह व्यापार में सफल होता है और खूब सारा धन एकत्रित करता है. ऐसा व्यक्ति जीवनसाथी के सहयोग से खूब धन कमाता है. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सप्तमेश यानी सातवें भाव का स्वामी कुंडली में उच्च का हो, स्वराशि में हो तो विवाह के बाद व्यक्ति की किस्मत खुलती है.
विवाह में होता है भाग्योदय
जब किसी की कुंडली में सप्तेश और नवमेश का राशि परिवर्तन योग बनता हो तो व्यक्ति की जीवन उसके विवाह के बाद बदलता है. विवाह होने के बाद व्यक्ति ऊंचे मुकाम को हासिल करता है. शुक्र ग्रह को विवाह का कारक ग्रह माना जाता है. शुक्र का दशमेश और भाग्येश के साथ होना भी विवाह के बाद भाग्य में बदलाव का कारक होता है. यानी कुंडली के दशम भाव में जो राशि है उसका स्वामी ग्रह और नवम भाव में जो राशि है उसका स्वामी ग्रह अगर कुंडली नवम या दशम भाव में एक साथ बैठा हो तो व्यक्ति के विवाह होने के बाद भाग्योदय होता है.
जीवनसाथी की मदद से व्यापार में लाभ
जब किसी जातक की कुंडली में सातवें भाव का स्वामी नवम या दशम में मौजूद हो या फिर सप्तमेश का नवम या दशम भाव पर द्दष्टि हो तो विवाह के बाद व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है. ऐसे लोग जीवनसाथी की मदद से व्यापार में खूब धन कमाते हैं. जब कुंडली में सातवें स्थान का कारक ग्रह गुरु और शुक्र अच्छी स्थिति में हो तो व्यक्ति के विवाह होने के बाद उसका भाग्योदय होता है. सप्तमेश का धन भाव या फिर लाभ भाव पर स्थिति होकर शुक्र ग्रहों के प्रभाव में हो तो व्यक्ति के विवाह होने के बाद उसका भाग्य साथ देता है.