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नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में महिलाएं नहीं करती हैं प्रवेश, माना जाता है वर्जित, जानिए इसका रहस्य

नालंदा जिले के घोसरावा गांव में स्थित आशापुरी मंदिर एक प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर है, जहां नवरात्रि के दौरान महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहता है.

नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में महिलाएं नहीं करती हैं प्रवेश, माना जाता है वर्जित, जानिए इसका रहस्य
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( Image Source:  meta ai )
स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Updated on: 10 Dec 2025 8:26 PM IST

Nalanda Ashapuri Temple: नालंदा जिले के घोसरावा गांव में स्थित आशापुरी मंदिर एक प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर है, जहां नवरात्रि के दौरान महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहता है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा के पीछे कई धार्मिक और तांत्रिक कारण बताए जाते हैं. इस मंदिर की पूजा पद्धति और परंपराएं अन्य मंदिरों से बिल्कुल अलग हैं, जो इसे विशेष बनाती हैं. आइए जानते हैं इस परंपरा का रहस्य और इसके पीछे की मान्यताएं.

तांत्रिक पूजा का महत्व

आशापुरी मंदिर की खासियत यह है कि यहां माता की पूजा तांत्रिक विधियों से की जाती है. मंदिर के पुजारी पुरेंद्र उपाध्याय बताते हैं कि इस मंदिर में विशेष तांत्रिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें मंत्र, यंत्र और तंत्र का प्रयोग होता है. तांत्रिक पूजा के दौरान अत्यधिक उग्र और तीव्र ऊर्जा का संचार होता है, जिसे संभालना आसान नहीं होता. इस उग्र ऊर्जा का प्रभाव विशेष रूप से महिलाओं पर अधिक पड़ सकता है, इसी कारण नवरात्रि के दौरान यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित किया गया है. तांत्रिक साधनाओं के समय उत्पन्न शक्तियां अत्यधिक संवेदनशील और गूढ़ होती हैं, जिन्हें केवल प्रशिक्षित तांत्रिक साधक ही नियंत्रित कर सकते हैं.

पुजारियों और स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि तांत्रिक क्रियाओं के समय मंदिर में उत्पन्न शक्तियों का महिलाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए उनकी सुरक्षा के लिए यह परंपरा सदियों से निभाई जा रही है. तांत्रिक पूजा विधि में शक्ति का आह्वान किया जाता है, जिससे साधनाएं और भी शक्तिशाली हो जाती हैं। इस कारण नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश निषिद्ध होता है.

आस्था और परंपरा

मां आशापुरी मंदिर की यह परंपरा सदियों पुरानी है और आज भी बिना किसी बदलाव के जारी है. स्थानीय लोग इस परंपरा का पालन बड़ी श्रद्धा और आस्था से करते हैं. उनका मानना है कि इस परंपरा को निभाने से गांव और आसपास के क्षेत्र में शांति, समृद्धि और सुरक्षा बनी रहती है. तांत्रिक साधनाओं की इस अनूठी पूजा पद्धति को पीढ़ी दर पीढ़ी जारी रखा गया है, जो इस मंदिर की विशेषता को और भी बढ़ाती है.

दशमी के दिन खुलता है महिलाओं के लिए मंदिर का द्वार

हालांकि नवरात्रि के दौरान महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहता है, लेकिन दशमी के दिन महिलाएं मंदिर में जाकर माता की पूजा-अर्चना कर सकती हैं. इस दिन महिलाएं भक्ति भाव से माता आशापुरी की आराधना करती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. दशमी के दिन महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति मिलती है, जो इस परंपरा की खासियत है.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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