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कन्या पूजन में भूलकर भी न करें ये गलती, वरना नहीं मिलेगा पूजा का फल!

नवरात्रि के अष्टमी और नवमी तिथि को विशेष रूप से कन्या पूजन किया जाता है, जिसे करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्त को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. हालांकि, सही विधि से कन्या पूजन करना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि पूजा सफल हो और माता रुष्ट न हों.

कन्या पूजन में भूलकर भी न करें ये गलती, वरना नहीं मिलेगा पूजा का फल!
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Updated on: 5 Oct 2024 7:00 PM IST

Kanya Pujan 2024: नवरात्रि के दिनों में कुंवारी कन्या का विशेष महत्व होता है, क्योंकि उन्हें साक्षात माता दुर्गा का रूप माना जाता है. नवरात्रि के अष्टमी और नवमी तिथि को विशेष रूप से कन्या पूजन किया जाता है, जिसे करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्त को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. हालांकि, सही विधि से कन्या पूजन करना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि पूजा सफल हो और माता रुष्ट न हों.

कुंवारी कन्या पूजन के लिए सही उम्र

देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल बताते हैं कि नवरात्रि के नौ दिनों में किसी भी दिन कन्या पूजन किया जा सकता है, लेकिन अष्टमी और नवमी के दिन इसका विशेष महत्व होता है. शास्त्रों के अनुसार, कुंवारी कन्या पूजन के लिए 1 से 9 वर्ष तक की कन्याओं को ही चुनना चाहिए. यह उम्र माता दुर्गा के बाल रूप की प्रतीक मानी जाती है. इन कन्याओं को भोजन कराने के बाद स्वयं भी उसी भोजन को ग्रहण करना चाहिए जिससे माता दुर्गा अत्यंत प्रसन्न होती हैं और पूजा सफल होती है.

कन्या पूजन में बटुक भैरव का महत्व

कन्या पूजन के साथ-साथ एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि कुंवारी कन्याओं के साथ एक बटुक भैरव का होना आवश्यक है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, बटुक भैरव मां दुर्गा के रक्षक माने जाते हैं और उनकी पूजा के बिना कन्या पूजन अधूरा माना जाता है. सभी शक्तिपीठों के मुख्य द्वार पर बटुक भैरव विराजमान होते हैं, इसलिए कन्या पूजन से पहले उनकी पूजा करना आवश्यक होता है.

कन्या पूजन की विधि

नवरात्रि के दिनों में अष्टमी और नवमी पर नौ कुंवारी कन्याओं का पूजन और भोजन कराना चाहिए. पहले उनका आदर-सत्कार करें, फिर सभी कन्या को अच्छे से भोजन कराएं और आखिर में वस्त्र या उपहार देकर घर से विदा करें. इस प्रकार विधिपूर्वक किए गए कन्या पूजन से मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है. इसके साथ ऊपर दिए गए सभी नियमों का पालन करने से पूजा और नौ दिन का व्रत सफल होता है. कहा जाता है मां दुर्गा भी प्रसन्न होती हैं.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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