Begin typing your search...

22 सितंबर से दुर्गा उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्रि आरंभ, जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि 2025 22 सितंबर से शुरू हो रही है और इस वर्ष यह 10 दिन की होगी. मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर पृथ्वी पर आ रही हैं. पहले दिन कलश स्थापना का विशेष महत्व है, जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 06:09 से 08:05 और अभिजीत मुहूर्त 11:49 से 12:38 तक है. नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ स्वरूपों की पूजा होती है. पूजा में गणेश जी का आवाहन, कलश स्थापना, माता को लाल वस्त्र, फूल, आभूषण अर्पित करना और मंत्र-जप शामिल हैं.

22 सितंबर से दुर्गा उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्रि आरंभ, जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि
X
( Image Source:  Sora_ AI )
State Mirror Astro
By: State Mirror Astro

Updated on: 21 Sept 2025 10:47 PM IST

मां दुर्गा की उपासना, साधना और ध्यान का महापर्व शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू हो रहा है. इस वर्ष नवरात्रि पर्व 9 दिन के बजाय 10 दिनों का होगा. दरअसल कई बार तिथियों के घटने और बढ़ने से कारण नवरात्रि के दिनों में कमी या बढ़ोतरी होती है. इससे पहले साल 2016 में भी नवरात्रि 10 दिनों की थी.

नवरात्रि के दिनों में 9 दिनों तक माता दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा -अर्चना होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर वर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर देवी दुर्गा स्वर्ग लोक से 9 दिनों के लिए पृथ्वी पर आती हैं. हर बार माता का धरती पर आगमन अलग-अलग वाहनों से होता है जिसका खास महत्व होता है. इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं जिसे काफी शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि पर कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त, मंत्र और महत्व.

शारदीय नवरात्रि 2025 कलश स्थापना शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है, जिसमें शुभ मुहूर्त को देखकर कलश स्थापना के साथ माता की पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है. 22 सितंबर को कलश स्थापना के लिए पहला शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 09 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 05 मिनट तक है. वहीं दूसरा शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त होगा जो सुबह 11 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक है. इन दोनों ही शुभ मुहूर्त में घट स्थापना कर सकते हैं.

कलश स्थापना मंत्र

  • ॐ आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दवः" और "ॐ भूर्भुवः स्वः भो वरुण, इहागच्छ, इह तिष्ठ, स्थापयामि, पूजयामि, मम पूजां गृहाण."
  • "ॐ अपां पतये वरुणाय नमः" मंत्र बोलकर जल में वरुण देवता का आह्वान कर सकते हैं.

शारदीय नवरात्रि पर ऐसे करें देवी दुर्गा की पूजा

  • - नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है. ये नौ स्वरूप इस प्रकार है- पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री.
  • - नवरात्रि पर हर दिन सुबह जल्दी स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र पहन कर सबसे पहले सूर्य को जल दें, फिर घर के बने मंदिर में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें. गणेश जी पूजा में उन्हें फल-फूल, अक्षत, दूर्वा अर्पित करें.
  • - गणेश जी की पूजा के बाद देवी दुर्गा की पूजा करना आरंभ करें और उनकी मूर्ति में मां दुर्गा का आवाहन करें, इसमें देवी का पूजा के लिए आमंत्रित किया जाता है.
  • - इसके बाद नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करें और फिर माता की मूर्ति या फोटो को चौकी पर आसन दें. इससे जल और पंचामृत से माता का स्नान कराएं.
  • - नवरात्रि पर देवी दुर्गा को लाल वस्त्र, जिसमें लाल चुनरी, आभूषण, माला, फूल और इत्र अर्पित करें.
  • - फिर इसके बाद माता का कुमकुम से तिलक करें, धूप और दीप जलाकर उनके नारियल अर्पित करें.
  • - अंत में माता के हर एक स्वरूप के अनुसार उनको भोग लगाएं, आरती करें, मंत्रों का जाप और दुर्गा सप्तशी का पाठ करें.
अगला लेख